चीन ने भी दशक के अंत तक वहां अंतरिक्ष यात्री भेजने की प्रतिबद्धता जताई है, जबकि रूस ने पिछले सप्ताह ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया था, जो विफल रहा. नैप्टन ने लिखा कि इसलिए, यह कुछ हद तक आश्चर्यजनक है कि अपेक्षाकृत नवागंतुक भारत ही सबसे पहले वहां पहुंचा, जिससे देश को पानी और अन्य संसाधनों की खोज में अप्रत्याशित बढ़त मिली. स्काई न्यूज के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संपादक टॉम क्लार्क ने इसे भारतीय वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों के लिए एक बड़ी जीत बताते हुए लिखा कि चंद्रयान-3 अब तक का सबसे परिष्कृत अंतरिक्ष यान नहीं है, लेकिन उन्होंने कम लागत वाले डिजाइन के साथ वह हासिल किया है, जो अन्य देश (हाल ही में रूस) नहीं कर पाए हैं.
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने बटोरी दुनिया भर की सुर्खियां, विदेशी मीडिया ने जमकर की तारीफ
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