मोन्स सी अब्राहम THEV कंसल्टिंग के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वह प्रबंध विशेषज्ञ होने के साथ ही आंत्रप्रेन्योर, बिजनेस पर्सन और नेताओं के लिए परामर्श देते हैं। उनकी स्कूली शिक्षा सेंट कोलंबा स्कूल, नई दिल्ली में हुई और अन्ना विश्वविद्यालय से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री (डिस्टिंक्शन के साथ प्रथम श्रेणी) की उपाधि प्राप्त की।
वह हार्वर्ड, यूपीएन, कोलंबिया, कैम्ब्रिज, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यंग ग्लोबल लीडर्स (WEF YGLs), फॉर्च्यून 500 के सीईओ, IIM, IIT, REC, McKinsey और शीर्ष स्तर में शामिल हैं। 6 भाषाओं (अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, तमिल, स्पेनिश और जर्मन) की बेहतर समझ रखने वाले मोन्स सी अब्राहम ने The Feature Times से बात की और युवा कैसे स्किल डवलपमेंट, अटल टिंकरिंग लैब्स से जुड़कर खुद को ग्रूम कर सकते हैं इस बारे में विस्तार से बताया…
युवा खुद की स्किल को ऐसे करें ग्रूम
मोन्स बताते हैं, ‘ये वो समय है जब युवाओं के लिए इंटरनेट बहुत सस्ते पैकेज में उपलब्ध है। वर्तमान में भारत स्मार्टफोन क्रांति से गुजर रहा है। आज कोई भी व्यक्ति कहीं भी कुछ भी सीखने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग कर बहुत कुछ सीख सकता है। आज आपकी पॉकेट में संचार और जानकारी का एक ऐसा खजाना है, जिसके जरिए आप अपने स्किल को ग्रूम करने के लिए कहीं भी लर्निंग कर सकते हैं। बस में, ट्रेन या फिर किसी गार्डन में बैठे हुए भी आप खुद कुछ न कुछ सीख सकते हैं।’
ध्यान देने वाली बात है भारत एक युवा देश है यहां की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है। युवाओं में ऊर्जा होती है और वो अपनी ऊर्जा का उपयोग खुद के स्किल को ग्रूम करने में करते हैं तो उन्हें बेहतर नौकरी और यदि वो बिजनेस करते हैं तो बेहतर स्किल होने के कारण उन्हें लाभ मिलेगा। कह सकते हैं देश में बेरोजगारी की समस्या का निराकरण भी हो सकेगा।
युवाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वो अपने हितों और जुनून को बनाए रखने की दिशा में कार्य करते रहें। यदि वो किसी तरह का प्रशिक्षण चाहते हों तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं। सीखना एक ऐसी प्रक्रिया है जो निरंतर और आजीवन चलती रहती है। आप परीक्षा में रट कर पास हो सकते हैं, लेकिन जिंदगी की परीक्षा में रट कर पास नहीं होते बल्कि यदि आप स्किल्ड पर्सन है तो जिंदगी में आने वाली समस्याओं को सुलझाते हुए आप सफल हो सकते हैं, क्योंकि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है।
भारत सरकार का प्रोजेक्ट अटल इनोवेशन मिशन है बेहद कारगर
मोन्स बताते हैं कि, ‘मैं राष्ट्रीय अटल इनोवेशन मिशन के अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) का हिस्सा बनने के लिए सम्मानित किया गया हूं, और ‘मेंटर ऑफ चेंज’ बनने के लिए देश भर से चुने गए पहले बैच में चुने गए लोगों में मैं एक था। अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) एक अद्भुत पहल है जो युवाओं के बीच स्कूल स्तर पर वह अपने भविष्य में क्या बन सकते हैं और वो क्या हैं इस बात का अहसास कराती है यानी उनके अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाने का काम करती है। एटीएल का निर्माण उन स्कूलों में किया जाता है, जहां विभिन्न पहलुओं पर ‘मेंटर ऑफ चेंज’ विशेषज्ञ युवा स्टूडेंट्स के साथ बातचीत कर सकते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने के सक्रिय समाधानों के बारे में बताते हैं।’
बच्चे दुनिया का भविष्य हैं और वो अपनी जिंदगी में आने वाली समस्या का समाधान कैसे कर सकते हैं एटीएल की महत्वपूर्ण पहल उन्हें प्रेरित कर उनकी हर समस्या को दूर करने का प्रयास कर रही है। ताकि बच्चें अपने भविष्य को उज्जवल बना सकें। मैं व्यक्तिगत रूप से दिल्ली के सेक्टर-10 द्वारका स्थित वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल के साथ जुड़ा हुआ हूं, जो द्वारका के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक है और इस तरह वहां एटीएल इंचार्ज के नेतृत्व में प्रिंसिपल, वाइस-प्रिंसिपल और टीचर को पूरी तरह से युवा स्टूडेंट्स के बीच हम सभी वर्क कर रहे हैं।
मैं युवा स्टूडेंट्स से यह आग्रह करूंगा कि अपने कौशल (स्किल) को इंप्रूव करने में लगातार काम करते रहें। ताकि आप अपने स्किल के जरिए अपने से जुड़े और लोगों की भी मदद कर सकें। मुझे विश्वास है कि अटल इनोवेशन मिशन पूरे देश में स्कूलों तक पहुंचने के लिए ‘मेंटर्स ऑफ चेंज’ के अगले बैच में जुड़ता जाएगा और भारत सरकार के इस मिशन के लिए सक्षम और विशेषज्ञ लोगों को निश्चित रूप से इस पहल में जोड़ेगी।
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अपने अंदर छिपी अनंत संभावनाओं को तलाशें
साल 2014 में जब में 28 साल का था तब मैनें आईक्यू टेस्ट क्लियर किया। जहां मेरा 97 वें पर्सेंटाइल था और प्रभावी रूप से मुझे दुनिया के टॉप 3% आईक्यू के लोगों में शामिल किया गया। इसका यह मतलब था कि मैंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खर्च किया था और उस छिपी क्षमता से अनभिज्ञ नहीं था जिसे मैं चारों ओर ले जा रहा था।
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मैं अपने ज्ञान के आधार पर निष्पक्ष रूप से काम करता हूं, जिसका अर्थ है कि मैं और अधिक सीखने के प्रयास लगातार करता रहता हूं। मैं यह तय करता हूं कि भविष्य में चीजों के काम करने के तरीके और उस ज्ञान का कैसे उपयोग किया जा सकता है। वर्षों से अपने काम से व्यावहारिक अनुभव के आधार पर कार्य कर रहा हूं और यही मेरे आईक्यू को और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाती है।
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