पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से जीवों की सुरक्षा, ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु, जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण और प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित किया गया था। एक तरह से देखा जाए तो पर्यावरणविद् का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड होता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार, और सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।
पर्यावरण विज्ञानके कोर्स इस क्षेत्र की मांग को देखते हुए तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मास्टर में प्रवेश बीएससी व बीटेक के बाद मिलता है। एमफिल व पीएचडी का रास्ता मास्टर कोर्स के बाद खुलता है।
कई तरह से सहायक हैं कोर्स
एनवायर्नमेंटल साइंस से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर कई तरह के अवयवों और रोचकता को समेटे हुए हैं। वे न सिर्फ एनवायर्नमेंटल साइंस का गहरा ज्ञान देते हैं, बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित करने के लिए कई तरह के कौशल भी प्रदान करते हैं। इसमें उन्हें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है, ताकि छात्र आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकें।
यहां मिलेगा अवसर
साइंटिस्ट, रिसर्चर, इंजीनियर, कंजरवेशनिस्ट, कम्प्यूटर एनालिस्ट, लैब असिस्टेंट, जियो साइंटिस्ट, प्रोटेक्शन एजेंट, एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट
आवश्यक स्किल्स
यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें प्रोफेशनल्स को प्रकृति से प्रेम करना सीखना होगा। साथ ही उनमें लॉजिकल और एनालिटिकल माइंड, फोटोग्राफी का शौक, सामान्य ज्ञान की जानकारी, कम्युनिकेशन स्किल्स, रिपोर्ट लिखने का कौशल सहित अन्य कई तरह के गुण आवश्यक हैं। इसके अलावा उनके अंदर भूगोल, बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी तथा जियोलॉजी आदि विषयों के प्रति रुचि होनी चाहिए।
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