रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। घरेलू वस्तुओं से लेकर कॉर्पोरेट ऑफिस में प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग रोज किया जाता है। ऐसे में प्लास्टिक इंडस्ट्री में प्रोफेशनल की जरूरत हमेशा बनी रहती है। 12वीं के बाद यदि आप प्लास्टिक इंजीनियरिंग में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए यह क्षेत्र भी करिअर का अच्छा विकल्प हो सकता है।
देशभर में प्लास्टिक प्रोसेस करने वाली 30 हजार प्रोसेसिंग यूनिट हैं, जिसमें 40 लाख एंप्लॉई काम करते हैं। इनमें साल 2017 से दो नए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर मध्यप्रदेश के भोपाल और उत्तरप्रदेश के लखनऊ में शुरू हुए हैं। इसके पहले ये सेंटर ओडिशा के भुवनेश्वर में मौजूद है।
प्लास्टिक प्रोडक्ट की बढ़ती मांग
एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 के अंत तक देश में प्लास्टिक की खपत लगभग 2 करोड़ मीट्रिक टन के करीब हो जाएगी। देश ही नहीं विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ी है। भारत प्लास्टिक प्रोडक्ट के बड़े निर्यातकों में से एक है। 2015-16 में भारत ने 7.64 अरब डॉलर के प्लास्टिक उत्पादों का निर्यात किया था। अमेरिका, यूरोप और मध्यपूर्व के देशों में भारत में बने प्लास्टिक की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्लास्टिक इंजीनियर की बड़ी संख्या में कमी होने के कारण प्लास्टिक इंजीनियरिंग या प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं।
12वीं के बाद कैसे ले सकते हैं प्रवेश
- फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ 12वीं पास करना जरूरी है।
- बारहवीं के बाद छात्र इसके बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं।
- बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश जेईई मेन के वैलिड स्कोर के आधार पर मिलता है।
- कुछ संस्थान खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी आयोजित करते हैं।
- स्टूडेंट्स इसके एमटेक कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं।
- कई संस्थानों में एमटेक कोर्स में प्रवेश के लिए गेट का वैलिड स्कोर आवश्यक होता है।
- मास्टर डिग्री कोर्स के बाद रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए छात्र पीएचडी कोर्स का भी चुनाव कर सकते हैं।
- इसके अलावा स्टूडेंट्स प्लास्टिक इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं।
- केमिकल इंजीनियरिंग या इससे संबंधित कोर्स करने वाले छात्रों के लिए भी इस क्षेत्र में कॅरिअर की बेहतर संभावनाएं हैं।
यहां मिलती है जॉब
प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट पब्लिक सेक्टर कंपनियों या संस्थाओं जैसे कि ऑइल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन, ऑइल इंडिया लिमिटेड, विभिन्न पॉलीमर कॉर्पोरेशन, पेट्रोकेमिकल रिसर्च लैबोरेटरीज़ और मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड केमिकल्स में विभिन्न पदों पर जॉब कर सकते हैं। इसके अलावा ये प्रोफेशनल बड़े पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग प्लांट और प्लास्टिक कमोडिटी से जुड़ी विभिन्न प्राइवेट कंपनियों में जॉब कर सकते हैं। प्लास्टिक प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनियों में भी जॉब के कई अवसर मौजूद हैं।
मार्च 2018 तक प्लास्टिक इंडस्ट्री पर एक नजर
ट्रेंडिंग इकॉनोमिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 में भारत का प्लास्टिक औद्योगिक उत्पादन सालाना 4.4 प्रतिशत बढ़ गया, जो पिछले महीने की तुलना में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद और 5.9 प्रतिशत की बाजार अपेक्षाओं को याद कर रहा था। विनिर्माण विकास में तेज गिरावट के कारण पिछले अक्टूबर से औद्योगिक उत्पादन में यह सबसे छोटी वृद्धि थी (फरवरी में 4.4 प्रतिशत बनाम 8.5 प्रतिशत)। इस बीच, बिजली उत्पादन आगे बढ़ गया (5.9 प्रतिशत बनाम 4.5 प्रतिशत) और खनन उत्पादन दृढ़ता से (2.8 प्रतिशत बनाम -0.4 प्रतिशत) बढ़ा। मार्च में समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष के लिए, पिछले साल की समान अवधि में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले भारत का कारखाना उत्पादन 4.3 प्रतिशत बढ़ गया। भारत में औद्योगिक उत्पादन 1994 से 2018 तक 6.55 प्रतिशत औसत रहा, जो 2006 के नवंबर में 20 प्रतिशत के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया और 2009 फरवरी में -7.20 प्रतिशत दर्ज किया गया।
source: tradingeconomics.com
बिजनेस में स्टार्टअप इंडिया करता है मदद
घटते वन क्षेत्र में विस्तार, प्रदूषण की रोकथाम एवं पेड़ों के संरक्षण संबंधी कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़े कार्यकलापों से लेकर फर्नीचर निर्माण, अन्तरिक्ष टेक्नोलॉजी आदि में प्लास्टिक की उपयोगिता दिनोदिन बढ़ती जा रही है। यह छोटा उद्योग रोजगार के काफी अवसर मुहैया करा रहा है। मामूली पूंजी से इस कारोबार में स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इस क्षेत्र में सालाना 10 से 14 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही है। इसमें विदेशों से भी लगातार धन का निवेश हो रहा है।
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