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प्राइवेसी : ‘सतर्क रहें’, यदि करते हैं Facebook, Instagram और Twitter यूज

प्रतीकात्मक चित्र।

भारत में ‘प्राइवेसी’ शब्द को ज्यादातर लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं। दुनिया के ऐसे कई देश हैं जहां प्राइवेसी को लेकर वहां के नागरिक काफी सतर्क रहते हैं। लेकिन हम यहां आपसे साझा करेंगे कि भारतीयों के लिए प्राइवेसी कितना मायने रखती है।

सोशल मीडिया, मौजूदा दौर का सबसे बड़ा कम्युनिकेशन प्लेटफार्म है। जहां दुनिया भर से लोग एक दूसरे से कनेक्ट रह सकते हैं। लेकिन यहां प्राइवेसी कहीं नहीं। यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम रील्स हो या व्हाट्सअप, टेलीग्राम पर मौजूद टेक्स्ट कंटेंट कहीं ना कहीं, कोई ना कोई यह सब देख-सुन-रिकार्ड कर रहा है।

कंपनियां भले ही दावा करती हैं कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हों, लेकिन फिर भी चेट और वीडियो, हैकर्स लीक कर देते हैं। देशहित में, जरूरत पढ़ने पर या क्राइम सीन होने पर इनको सुरक्षा एजेसिंया चेक करती है। गूगल जैसे अनगिनत सर्च इंजन और फेसबुक, ट्विटर और कई सोशल मीडिया वेब साइट्स लोगों की निजी जानकारी मसलन डेट ऑफ वर्थ, यूजर्स किस तरह की पोस्ट करता है, यूजर्स का पॉलीटिकल एंगल, यूजर्स की पसंद ना पसंद, निजी चैट, लाइक और कमेंट द्वारा और वो किस तरह का कंटेंट बना रहा है या देख रहा है। यह सब कुछ सोशल मीडिया कंपनी तथाकथित तौर पर मार्केटिंग, पॉलीटिकल पार्टीज को बेचती हैं, जिससे उन्हें रेवेन्यू जनरेट होता है।

अमेरिका-चीन रखता है निगाह

भारत में इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली कंपनियों और सोशल मीडिया के डाटा पर, अमेरिका खूफिया एजेंसी NSA और चीन के अलावा भारत विरोधी देशों की नजर रहती है। यह आपके ई मेल और व्हाट्सअप/टेलीग्राम चैट पर नजर रखते हैं।

यदि आप कोई ऐसे प्रोफेशन से जुड़े हैं जहां जानकारी की कीमत ज्यादा है, तो ऐसे में सतर्कता जरूर बरतना चाहिए। आपको याद होगा, साल 2013 में NSA के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन के लीक दस्तावेजों में यह बात सामने आई थी कि अमेरिका पूरी दुनिया में फाइबर ऑप्टिक टैप के जरिए लोगों के इंटरनेट ट्रैफिक पर नजर रखता है।

प्राइवेसी के लिए कुछ आसान टिप्स

  • सोशल मीडिया में आपकी मौजूदा लोकेशन, बच्चों के फोटोग्राफ्स और निजी जीवन से जुड़े फोटो पोस्ट ना करें।
  • पासवर्ड स्ट्रांग बनाएं। पासवर्ड बनाते समय (#&%$@*&+) इस तरह के साइन का यूज स्पेलिंग के बीच में करें, ताकि पासवर्ड स्ट्रांग बने और हैकर्स आपकी निजी जानकारी ना चुरा सकें। पासवर्ड को समय-समय पर रीसेट करें और नया स्ट्रांग पासवर्ड बनाएं।
  • इंस्टाग्राम की प्राइवेसी के लिए प्रोफाइल को प्राइवेट रखें। फेसबुक/ट्विटर को लॉक भी कर सकते हैं। उन्हीं लोगों को एड करें, जिन्हें आप निजी तौर पर जानते हैं। जिस भी सोशल मीडिया को यूज करते हैं उसकी सेटिंग्स में जाकर प्राइवेसी को अपने अनुसार सेट करें।
  • सोशल मीडिया में जो भी आप पोस्ट करते हैं, पहले तय करें कि क्या वो सार्वजनिक करने से आपकी निजता तो प्रभावित नहीं हो रही है। यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं या किसी ऐसे प्रोफेशन से हैं जहां जानकारी काफी कीमती होती है तो सोशल मीडिया का यूज कम करें।
  • सोशल मीडिया में कोई भी वीडियो पोस्ट करते समय यह तय कर लें कि यह कॉपीराइट के अंतर्गत तो नहीं आता। साथ ही पोस्ट करते समय लिखे और बोले गए शब्दों को अच्छी तरह पढ़ें और सुनें। ध्यान रखें! यह किसी सामाजिक वर्ग, धार्मिक या किसी अन्य तरह से किसी भी भावनाएं तो आहत नहीं करता है।

आखिर कौन और क्यों करता है, डाटा चोरी?

भारत सरकार हो या विपक्षी दल कभी भी ये मुद्दा संसद में नहीं उठाते, क्योंकि वो सोशल मीडिया यूज करने वाले भारतीय यूजर्स पर निगाह रखते हैं। निजी कंपनियां भी डाटा चोरी कर लाभ कमाती हैं। भारतीय राजनीतिक पार्टियां खुद इस तरह का डाटा का यूज कर चुनाव के समय मतदाताओं का मत डायवर्ट (मानसिक तरह से) करने में यूज करती हैं।

डाटा को डायवर्ट करने वाले डेटा साइंटिस्ट जानते हैं कि भारत का युवा सोशल मीडिया पर मौजूद है। इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और रील्स हो या अन्य सोशल प्लेटफार्म वहां टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो कंटेंट को इंटरनेट के जरिए एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा जाता है। इंटरनेट जिसे हिंदी में जाल कहते हैं और इस जाल में सोशल मीडिया यूज करने वाला यूजर्स फंसता जा रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसमें एक मुख्य भूमिका निभाती है। वो यह तय करती है कि कौन-सा यूजर्स किस, कितने और किस दिन क्या देखता-सुनता-लिखता है, इसी से यूजर्स का डाटा एकत्र कर निजी कंपनियां प्रोडक्ट मार्केटिंग और सरकार अपने मत में प्रभाव बनाने की कोशिश करती है। यह पूरी तकनीकी प्रक्रिया है। इसमें यूजर्स का डाटा उसकी प्रोफाइल से चुरा लिया जाता है और इस डाटा को हैकर्स और फेसबुक, गूगल, ट्विटर और भी कई कंपनिया बेचकर भारी मुनाफा कमाती हैं।

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