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Incredible India

चित्र : कोलवा बीच, गोवा, भारत। कोलवा, दक्षिण गोवा में स्थित बीच है, जहां मौजूद सफेद रेत तट पर सुंदरता मन मोह लेता है, गोवा का यह लोकप्रिय तट मेनिनो जीसस की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां का इतिहास और स्थापत्य देखते ही बनता है, कोलवा, बोगमालो समुद्र तट…
चित्र सौजन्य : विकीपीडिया/कोवलम बीच। कोवलम का अर्थ है नारियल वृक्षों का समूह, केरल के तिरुवनंतपुरम में ‘कोवलम बीच’, साल 1930 के दशक की शुरुआत से ही पर्यटन का एक बड़ा केंद्र है, यह पहले भी था लेकिन इसे अंतराट्रीय पहचान इस समय मिली। कारण कई थे, लेकिन सबसे बड़ा…
अमृत सिंह। अब तक: हम काज़ा से मनाली वाया कुंजम दर्रा के रास्ते में हैं। यह रास्ता रोमांच से भरा हुआ है। अब आगे… कुछ लोगों ने हमें कहा था कि अगर आप कुंजम पास वाले रास्ते से मनाली जा रहे हैं तो सुबह जितनी जल्दी हो सके, काज़ा से…

रोमांच : काज़ा से मनाली वाया कुंजम दर्रा – जैसे दूसरी दुनिया पार करना

All Picture (Kanjam Pass/Manali/Kaaza) Courtesy: Amrit Singh अमृत सिंह। बौद्ध दर्शन के प्रकांड विद्वान, अर्थशास्त्री व यायावर कृष्णनाथ जी ने ‘स्पीति में बारिश’ में कुंजम दर्रे का ज़िक्र कुछ इस तरह किया है,’यह द्रौपदी तीर्थ है। किंवदन्ती है कि द्रौपदी यहां आकर गलीं। उनके प्रतापी पांच पति स्वर्गारोहण के लिए…

अतुल्य : यहां के पत्थर और गीत बयां करते हैं बुंदेली लोकगाथाएं

प्राकृतिक सौंदर्य और अपने अतीत को संजोए मध्यप्रदेश भारत के मध्य में है। यह राज्य अपने समृद्ध इतिहास और राजसी स्मारकों के लिए लंबे समय तक विभिन्न राजवंशों के शासनकाल और विश्व यात्रियों के बीच अविश्वसनीय रूप से प्रसिद्ध रहा है। यह राज्य वास्तव में भारत का एक आदर्श प्रतिबिंब…

प्रकृति : भारत में पर्यावरण पर्यटन का अतुल्य नाम है ‘हैवलॉक द्वीप’

अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से ‘हैवलॉक द्वीप’ कुछ दूर स्थित है। यह द्वीप उत्तर-पूर्व में है, जहां राधानगर समुद्र तट पर शिविर लगाने की भी सुविधा उपलब्ध है। पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग का अतिथिगृह ‘डालफिन रिसॉर्ट’ भी उपलब्ध है। हैवलॉक द्वीप सबसे अधिक पर्यटकों के…

जन्नत : भारत में यहां है ‘स्विट्जरलैंड’ जहां है बौद्ध-हिंदू संस्कृति का संगम

सिक्किम की सैर करने से पहले यह जान लीजिए कि यह राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा 16 मई, 1975 को बना। सिक्किम 1974 तक एक अलग देश  के रूप में अपनी पहचान रखता था। आजादी के 28 साल बाद  16 मई के दिन ही एक देश, भारत में राज्य बनकर…

पर्यटन : खूबसूरत लोगों का सुन्दर शहर जहां की हर बात है रोमांचक

संजीव शर्मा। मिजोरम की राजधानी आइज़ोल खूबसूरत लोगों का सुन्दर शहर है, जहां खूबसूरती केवल चेहरों की नहीं बल्कि व्यवहार की, साफ़ दिल की, शांति और सद्भाव की, अपने शहर को साफ़-स्वच्छ बनाने की जिजीविषा की और मदद को हमेशा तत्पर सहयोगी स्वभाव की है। सड़कों पर बिंदास एसयूवी दौड़ाती…

अनुभव : भारत में यहां होता है सूरज और बादलों के बीच ट्वंटी-ट्वंटी मैच

संजीव शर्मा।  मेघालय की राजधानी शिलांग से चेरापूंजी जाते समय आपको आमतौर पर सूरज और बादलों की आंख-मिचौली का पूरा आनंद उठाने का मौका मिलता है। तक़रीबन पांच से छः हजार फुट की ऊंचाई पर 10 से 20 डिग्री तापमान में रिमझिम फुहारों से तरोताज़ा हुए विविध किस्म के आकर्षक…

धरोहर : ऐसा दिखाई देता है स्वर्ग, देखना चाहें तो यहां जरूर आएं

चित्र: बत्तीसी बावड़ी, चंदेरी यदि आप प्राचीन इमारतों पर की गई नायाब कारीगरी देखने के शौकीन हैं तो चंदेरी की यात्रा जरूर कीजिए। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में चंदेरी एक प्राचीन शहर है। यह शहर महाभारत काल से अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संवारे हुए है। खिलजी वंश और मुगल…

भोपाल की गलियां-3 : कौन थे ‘भोपाली पटिए’ जो चलाते थे परनिंदा का चर्खा

राकेश ढोंडियाल। यात्रा में अब तक: मैं भोपाली ज़बान के साथ-साथ नामकरण का ‘क’, ‘ख’ और ‘घ सीख रहा था। अब तक भोपाल के बारे में काफी रोचक बातें मालूम हो चुकी थीं। अब आगे… भोपाल के बारे में थोड़ा सा अध्ययन किया तो पाया कि भोपाल का इतिहास जहां…

भोपाल की गलियां-2 : भोपाली बोली से रू-ब-रू होने का यहां मिलेगा मौका

राकेश ढोंडियाल। यात्रा में अब तक: मैं उस लड़के की बात को आज भी नहीं भूला हूं, जो भट सुअर के पीछे लटक कर ज़ोर से चिल्लाया था ‘जान दो…जान दो…सनन जान दो…।’ भोपाली ज़बान समझने का जुनून मुझे ऐसा लगा कि मैं ‘भट सुअर’ और ‘को खां’ जैसे नए…

भोपाल की गलियां-1 : 90 के दशक में भोपाल की पहचान बन गया था ये सवाल

राकेश ढोंडियाल। 90 का दशक यानी वो समय जब कई लोग बचपन के सुहाने दिन गुजार रहे थे। न कोई फ्रिक न कोई चिंता… बस! होता था तो टीवी पर मोगली या फिर बाहर बारिश में कागज की नाव चलाने का इंतजार, लेकिन आज से 27 साल पहले कैसा था…

स्पीति के रंग-2 : यहां है ऐसा गांव जहां कभी हुआ करता था समुद्र!

राकेश ढोंडियाल। स्पीति के रंग: यात्रा के पहले भाग में हम रिकांग पिओ से चले थे और काज़ा स्पीति नदी के तट, पिन घाटी से मुद गांव के रास्ते मोनेस्ट्री पहुंचे थे जहां तिब्बती बुद्धिज़्म के सबसे नए स्वरुप जेलपु विचारधारा के बारे में हमने जाना। अब आगे… हम बहुत…

स्पीति के रंग-1 : यहां मिलेंगे सेब के सूखे चिप्स और पॉपुलर विलो

राकेश ढोंडियाल। यह बात है आज से 3 साल पहले यानी जून 2016 की, मैं रिकांग पिओ (रिकांग पिओ, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले का मुख्यालय है।) के बस अड्डा पर था। चंडीगढ़ से हिमाचल परिवहन की बस में 320 किलोमीटर का सफर 12 घंटों में तय कर शाम लगभग…