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अध्यात्म

चित्र : ब्रह्मांड। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। क्या आप सृष्टि की रचना के पीछे का विज्ञान या कहें रहस्य जानते हैं। दुनियाभर के धर्म अपनी-अपनी व्याख्याएं देते रहे हैं, जिन्हें आम तौर पर एक खास मकसद से सुनाया जाता है। जरूरी नहीं है कि उसे सही आंकड़ों के रूप…
मां दुर्गा महिषासुर मर्दिनी के रूप में। नटराज शिव मंदिर, चिदंबरम, तमिलनाडू। चित्र सौजन्य : रिचर्ड मोरटेल/विकीपीडिया देवी को महिषासुर मर्दिनी क्यों कहा जाता है और इस प्रतीकात्मकता का हमारे जीवन में क्या महत्व है? इस बारे में कभी न कभी कहीं ना कहीं किसी अवसर पर आपने एक बार…
सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। योग में, एक अच्छी तरह से स्थापित, स्थिर मन को कल्पवृक्ष कहते हैं। कल्पवृक्ष यानी हर इच्छा को पूरा करने वाला वृक्ष। अगर आप अपने शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा को एक ही दिशा में लगाते हैं तो निर्माण करने की आप की योग्यता अद्भुत…

व्यसन : नशा करना ‘मंदबुद्धि बनाता है’, आध्यात्मिक नहीं

प्रतीकात्मक चित्र। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यत्मिक गुरु। कहते हैं कि न्यूयॉर्क शहर में 70 प्रतिशत लोग नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं और 20 प्रतिशत अत्यधिक शराब पीते हैं। न्यूयॉर्क शहर के लोगों का ऐसा हाल होते हुए भी हर कोई वहां जाना चाहता है। कोई भी व्यक्ति,…

आध्यात्मिक विज्ञान : यहां है ‘हम क्या हैं, क्या थे और क्या होंगे’ का जवाब

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। विज्ञान हमेशा उन चीज़ों को समझने की कोशिश करता रहता है जो समझ से बाहर होती हैं, उन चीज़ों को सुलझाने की कोशिश करता है जो सुलझाई नहीं जा सकतीं, और उन चीज़ों को जानने की कोशिश करता है जो जानी नहीं जा…

अपेक्षा : कौन करता है, ‘बिना शर्त सभी से प्रेम’

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। आत्मा बिना शर्त प्रेम करती है। वो कोई भेदभाव, कोई पक्षपात, और कोई अलगाव नहीं जानती। प्रभु हमारी आत्मा से बिना शर्त प्रेम करते हैं। बदले में हम भी उस प्रेम को प्रतिबिंबित कर सकते हैं, और अपने मिलने वालों में बिना किसी…

शाकाहार : एकाग्र, शांत और स्थिरता के साथ ‘आध्यात्मिक विकास’

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। पिछले दशक में, हमने वैज्ञानिक ज्ञान का एक ऐसा भारी विस्फोट देखा है, जिसने कहीं ज़्यादा ज्ञान हम तक पहुंचा दिया है। अनेक वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की समर्पित खोजों व शोधों के परिणामस्वरूप, आज हम अपने शरीर के बारे में, और अच्छे स्वास्थ्य…

सनातन : 21वीं सदी में ‘स्वामी विवेकानंद के विचार’ इसलिए हैं जरूरी

चित्र : स्वामी विवेकानंद। डॉ. डेविड फ्रॉली। स्वामी विवेकानंद ने अद्वैत वेदांत, योग, वेदांत और सनातन धर्म के आध्यात्मिक परिवर्तन को दुनिया में पहुंचाया, ताकि हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुरूप सत्य की खोज कर सके। 11 सितंबर, 1893 को शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए स्वामी विवेकानंद के…

परिणाम : हमेशा अपने कार्य को बेहतर तरह से कीजिए

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते…

त्याग : कुछ इस तरह लक्ष्य प्राप्त करने में ‘रुकावट डालते हैं लगाव’

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। स्थाई ख़ुशी को बाहरी संसार में पाया नहीं जा सकता। वो तो हमारे भीतर है। सच्ची ख़ुशी हमें तभी मिलती है जब हम अपने अंतर में समस्त ख़ुशियों के स्रोत अपनी आत्मा और परमात्मा के साथ जुड़ जाते हैं। एक समय की बात…

दिनचर्या : रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगा समस्याओं से समाधान

अध्यात्म ‘जीने के मार्ग’ पर चलने की राह दिखाता है और आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में नहीं होती बल्कि शरीर का जन्म व मृत्यु होती है। सरल शब्दों में कहें तो, आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके बारे में होती है, जो कि न तो जीवन है और न ही…

नवरात्रि : मानवता को जीवंत और ‘आत्मा की अज्ञानता’ को दूर करने का अवसर

देवी मां के रूप में, मां दुर्गा मानवता को शांति और खुशी के एक नए युग में ले जाती हैं। लेकिन वह ऐसा अंधकार यानी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के बाद ही करती हैं, उनसे समझौता करके नहीं, उन्हें सांत्वना देकर या उन्हें खुश करके तो बिलकुल भी नहीं।…

नवरात्रि : भारतीय संस्कृति में, क्या है ‘दुर्गा’ का अर्थ

भारत दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां स्त्री को देवी माना गया है। दुनिया का कोई भी देश स्त्री के संदर्भ में स्थायी श्रद्धा नहीं दिखाता, जितना भारत में है। यहां देवी यानी शक्ति और इस अमिट शक्ति को पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसे हम नवरात्रि…

अंश : क्या ‘धर्म में सत्य’ पाया जा सकता है?

प्रतीकात्मक चित्र। जे. कृष्णमूर्ति, आध्यात्मिक गुरु। एक प्रश्न अमूमन लोगों के मन में जरूर आता है और वो यह है कि सभी धर्म, सिद्धांत, विचार और विश्वास में सत्य के अंश मिलते हैं। उन्हें अलग करने का सही तरीका क्या है? दरअसल, असत्य, असत्य है, और आप असत्य को सत्य…

पवित्रता : क्या जीवन में कुछ पवित्र है, यदि ‘हां’ तो वो क्या है?

प्रतीकात्मक चित्र : जीवन में पवित्रतता। जे. कृष्णमूर्ति, आध्यात्मिक गुरु। क्या जीवन में कुछ पवित्र है? यह विचार या कहें प्रश्न आविष्कार द्वारा नहीं बनाया गया है, क्योंकि मनुष्य, अनंत काल से, हमेशा यह प्रश्न पूछता आया है। क्या इस भ्रम, दुख, अंधकार, भ्रम से परे, संस्थानों और सुधारों से…