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Uniform Dress Code : तो नागा साधु कॉलेज में प्रवेश ले लेंगे, सुप्रीम कोर्ट का समान ड्रेस कोड पर विचार से इनकार

विस्तार कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एकसमान ड्रेस कोड की मांग एक तरह से खारिज कर दी।

इस मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया। 
 

Supreme Court refuses to entertain a PIL seeking a uniform dress code for students and teachers in educational institutions across the country. pic.twitter.com/KkxezQHVIt

— ANI (@ANI) September 16, 2022 निखिल उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विचार करने से इनकार कर दिया। इसमें केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वे शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए एकसमान ड्रेस कोड लागू करें। 

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसे अदालत के विचारार्थ रखा जाना चाहिए। जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि समानता को सुरक्षित करने और बंधुत्व और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एकसमान ड्रेस कोड लागू किया जाना चाहिए। उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने शीर्ष कोर्ट में पक्षा रखा।

भाटिया ने कहा कि यह एक संवैधानिक मुद्दा है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट को एक निर्देश देना चाहिए। याचिका पर सुनवाई को लेकर पीठ की अनिच्छा को देखते हुए वकील भाटिया ने यह वापस ले ली। 

वकील अश्विनी उपाध्याय और अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर जनहित याचिका में केंद्र को सामाजिक और आर्थिक न्याय,  समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों की खातिर एक न्यायिक आयोग या एक विशेषज्ञ पैनल स्थापित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।

याचिका में यह भी कहा गया कि शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक स्थान हैं और ज्ञान, रोजगार, अच्छे स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हैं, न कि आवश्यक और गैर.जरूरी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए। इन संस्थानों का धर्मनिरपेक्ष चरित्र बनाए रखने के लिए सभी स्कूल-कॉलेजों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करना बहुत जरूरी है, अन्यथा कल नागा साधु कॉलेजों में प्रवेश ले सकते हैं और धार्मिक प्रथा का हवाला देकर बगैर कपड़ों के कक्षा में शामिल हो सकते हैं।

यह याचिका कर्नाटक के हिजाब विवाद के मद्देनजर दायर की गई थी। जस्टिस गुप्ता की अध्यक्षता वाली यही पीठ कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

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