न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: काव्या मिश्रा Updated Tue, 01 Oct 2024 03:04 PM IST
इस्राइल की ओर से किए गए हालिया पेजर धमाके को लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बड़ी बात कही है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी – फोटो : अमर उजाला
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इस्राइल की ओर से किए गए हालिया पेजर धमाके को लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बड़ी बात कही है। जब उनसे पूछा गया कि ऐसे हमलों और इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए भारत क्या कर रहा है? इस पर भारतीय सेना प्रमुख ने कहा कि जिस पेजर की आप बात कर रहे हैं, वह ताइवान की कंपनी है, जिसे हंगरी की कंपनी को सप्लाई किया जा रहा है। हंगरी की कंपनी ने इसके बाद उसे उन्हें दे दिया।
‘सालों-साल की तैयारी की जरूरत होती’
उन्होंने आगे कहा, ‘जो शेल कंपनी बनाई गई है, वह इस्राइलियों का मास्टरस्ट्रोक है। इसके लिए सालों-साल की तैयारी की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि वे इसके लिए तैयार थे। युद्ध उस तरह से शुरू नहीं होता जिस तरह से आप लड़ना शुरू करते हैं। यह उसी दिन शुरू होता है जिस दिन आप योजना बनाना शुरू करते हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे पक्ष में आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट और बाधाएं ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में हमें बहुत सावधान रहना होगा। हमें विभिन्न स्तरों पर निरीक्षण करना होगा, चाहे वह तकनीकी स्तर पर हो या मैन्युअल स्तर पर, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे मामले में ऐसी चीजें दोबारा न हों।’
न हथियार, न मिसाइल… कैसे एक ही झटके में हिज्बुल्ला को निशाना बना गए थे पेजर?
लेबनान में बीते महीने हिज्बुल्ला संगठन के सदस्यों को निशाना बनाता हुआ सबसे बड़ा हमला हुआ था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस हमले में न किसी हवाई जहाज का इस्तेमाल हुआ और न ही बंदूकों या बम का। बल्कि इस बार निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल हुए पेजर। वही, पेजर जिनका मोबाइल के आने के बाद से इस्तेमाल बहुत कम या न के बराबर हो चुका है। हालांकि, सुरक्षित मैसेज सेवा के लिए कुछ संगठन आज भी इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हिज्बुल्ला के सदस्यों को निशाना बनाने के लिए इस सुरक्षित तकनीक को ही घातक बना दिया गया। बताया गया है कि लेबनान में एक ही समय पर एक साथ हजारों पेजर फट गए। इनमें हिज्बुल्ला के सैकड़ों सदस्यों के घायल होने की खबर है। जख्मियों में लेबनान में ईरान के राजदूत मोज्तबा अमानी भी शामिल हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो हिज्बुल्ला सदस्यों को निशाना बनाते हुए यह हमला राजाधानी बेरूत के उपनगरीय क्षेत्र दाहिये में हुआ। हमले में लेबनान की बेका घाटी के अली अल-नाहरी और रियाक के शहर को निशाना बनाया गया। इसके अलावा दक्षिणी लेबनान के सिदोन और टायर शहर में भी कई पेजर में धमाकों की आवाजें सुनीं गईं।
कोई बाजार में, कोई कहीं था, अचानक धमाका हुआ और लोग घायल होकर नीचे गिरने लगे
इस घटना के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। धमाके से ठीक पहले और पूरी घटना को दिखाने वाले इन वीडियो में लोगों को फल-सब्जी के बाजारों में देखा जा सकता है। इस बीच अचानक ही बीच में एक धमाका होता है और एक व्यक्ति जमीन पर गिरकर दर्द में चिल्लाता दिखता है। इस दौरान वहां मौजूद लोगों को डर के मारे अपनी जगह पर खड़ा देखा जा सकता है।
एक अन्य सिक्योरिटी कैमरा फुटेज में एक शख्स को दुकान पर पेमेंट करते देखा गया। इसी दौरान उसके पास धमाका होता है और कैमरे में धुएं की बड़ी लहर देखी जा सकती है। वहीं एक और वायरल वीडियो में एक व्यक्ति पेजर ब्लास्ट के बाद बेडरूम में तबाही के हालात दिखाता है। इसमें मेज की दराज में ऊपर-नीचे बड़े छेदों को देखा जा सकता है। इससे शीशा टूटते और कमरे में मलबा गिरा हुआ देखा जा सकता है।
पेजर ही क्यों?
गौरतलब है कि हिज्बुल्ला के नेता हसन नसरल्ला ने कुछ समय पहले ही संगठन के सदस्यों को चेतावनी दी थी कि वह मोबाइल फोन लेकर न घूमें, ताकि इस्राइल उनकी गतिविधियों को तकनीक के जरिए ट्रैक न कर सके और संगठन के लोगों को निशाना बनाकर हमला न कर सके।
एक स्वतंत्र सैन्य और राजनीतिक विश्लेषक इलाइजा मैग्नियर ने बताया कि सदस्यों के लिए संचार का एक अहम माध्यम पेजर हैं। उन्होंने अंदाजा लगाया कि इन पेजर्स को हिज्बुल्ला के सदस्यों को दिए जाने से पहले ही इनके साथ छेड़छाड़ की गई। उन्होंने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है। ऐसा पहले भी किया जा चुका है। उन्होंने किसी तीसरे देश/एजेंसी की संलिप्तता की आशंका जताते हुए कहा कि इस मामले में कोई तीसरा पक्ष शामिल है, जिसने हमलावर की पेजर तक पहुंच बनाने में मदद की ताकि धमाकों के सिग्नल भेजे जा सकें।
पेजर में धमाके कैसे संभव हुए?
हिज्बुल्ला के सदस्यों ने जो नए पेजर खरीदे थे, उनमें लिथियम बैटरियों का इस्तेमाल होता है। इन्हीं बैट्रियों के फटने के चलते संगठन के हजारों सदस्य घायल हो गए। बता दें कि लिथियम बैट्री जब ओवरहीट कर जाती हैं तब इनसे धुआं निकलता है या ये गल जाती हैं। कई बार इनमें अचानक धमाके के साथ आग भी लग जाती है। रिचार्ज की जा सकने वाली लिथियम बैट्रियां मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रिक कारों में भी इस्तेमाल की जाती हैं। यह 590 डिग्री सेल्सियस (1100 डिग्री फारहेनहाइट) पर आग पकड़ सकती हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान के संगठन हिज्बुल्ला के पास संचार के लिए जो पेजर्स थे, उन्हें हैक किा गया और इन्हीं में धमाके किए गए। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, पेजर के सर्वर में सेंध लगाई गई और इसमें एक ऐसी स्क्रिप्ट डाली गई, जिससे पेजर में प्रोग्राम ओवरलोडिंग हुई। इससे डिवाइस में ओवरहीटिंग की समस्या पैदा हो गई और इसमें लगी लिथियम बैट्री में विस्फोट हो गया। इन धमाकों की गंभीरता पेजर्स के इस्तेमाल और इन्हें कहां रखा गया है, इस पर भी निर्भर करती है।
हिज्बुल्ला के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह सबसे बड़ा सुरक्षा उल्लंघन है, जो कि इस्राइल से संघर्ष शुरू होने के एक साल के भीतर हुआ है। यह घटना इस्राइल-हमास संघर्ष से ज्यादा गंभीर है।
इस हमले के मायने क्या हैं?
यह घटना ऐसे समय में आई है, जब इस्राइल और गाजा पट्टी में सक्रिय संगठन हमास के बीच संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में हजारों लोगों की जान जाने के बाद हिज्बुल्ला भी इस युद्ध में कूद गया। लेबनान और इस्राइल के बीच लगभग हर दिन ही मिसाइल और रॉकेट हमलों की खबर आती है।
बेरूत में अमेरिकी यूनिवर्सिटी के फेलो रामी खौरी ने बताया कि यह धमाके हिज्बुल्ला की मानसिक स्थिति को बिगाड़ने के लिए काफी हैं। हिज्बुल्ला के लिए यह वर्षों में सबसे खतरनाक घटना है, क्योंकि इस्राइल के पास हमले की वो क्षमताएं और खुफिया तंत्र है, जो इंसान के सोचने के दायरे को भी पार कर देता है। उन्होंने कहा कि लेबनान की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर है। देश लगभग दिवालिया हो चुका है। अस्पतालों में दिक्कतें हैं। डॉक्टर और नर्सों की भारी कमी है। तो यह हमला अपने आप में ही चिंता पैदा करने वाला है।
घायलों में कौन शामिल?
इस हमले में हिज्बुल्ला के हजारों सदस्यों के अलावा लेबनान में ईरान के राजदूत मोज्तबा अमानी भी घायल हुए हैं। बताया गया है कि अमानी इससे पहले लेबनान और सीरिया पर इस्राइली एयरस्ट्राइक के दौरान भी घायल हुए थे। फिलहाल राजदूत को बेरूत में ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पेजर होते क्या हैं?
ये छोटे रेडियो रिसीवर जैसे होते हैं जिसे आप अपने साथ लेकर चल सकते हैं। इसमें हर उपभोक्ता का एक निजी कोड होता है जिसे लोग संदेश भेजने के लिए दूसरों को दे सकते हैं। हर संदेश पेजर की स्क्रीन की एक तरफ फ्लैश होता है। बीप की आवाज के साथ फ्लैश होने के चलते इसे बीपर भी कहा जाता था। इसे 1950-60 के दशक में विकसित किया गया लेकिन 80 के दशक में यह तेजी से लोकप्रिय हुआ लेकिन मोबाइल फोन ने इसे चलन से बाहर कर दिया। बावजूद इसके पेजर का इस्तेमाल आज भी पूरी तरह बंद नहीं हुआ है।
पेजर आज भी प्रचलित क्यों है?
ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में काम करने वाले एक लाख 30 हज़ार लोग विश्व के बचे हुए दस प्रतिशत पेजरों का इस्तेमाल करते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक साल 2018 में ब्रिटेन के 80% अस्पतालों में पेजरों का इस्तेमाल अब भी किया जा रहा था। क्यों? क्योंकि इनका रिसेप्शन यानि नेटवर्क बेहतर होता है। कुछ अस्पतालों के कमरे एक्सरे को रोकने की दृष्टि से बनाये जाते हैं। इससे कमरे के अंदर टेलीफोन सिग्नल नहीं आते। पेजर के रेडियो सिग्नल बहुत अच्छे होते हैं और आपातस्थिति में इसलिए उपयोगी साबित होते हैं। लेकिन पेजर दुनिया में हमेशा के लिए नहीं रहेंगे। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा साल 2021 तक इसे चरणबद्ध तरीके से हटा देगी और एक नया मैसेजिंग सिस्टम इसकी जगह लाएगी।
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