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IPL 2025 Rules: आईपीएल न खेलने पर बैन से लेकर 120 करोड़ के ऑक्शन पर्स तक, 10 बिंदुओं में रिटेंशन के सभी नियम

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: स्वप्निल शशांक Updated Sun, 29 Sep 2024 10:40 AM IST

आखिरकार आईपीएल 2025 और इससे पहले होने वाले मेगा ऑक्शन को लेकर रिटेंशन नियमों पर से पर्दा उठ चुका है। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग के बाद शनिवार देर शाम सभी 10 फ्रेंचाइजी के साथ रिटेंशन नियमों को साझा किया गया है। इनमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। इसके अलावा कुछ नए और कुछ पुराने नियमों को वापस लाया गया है। सबसे दिलचस्प किसी खिलाड़ी के ऑक्शन में खरीदे जाने के बाद टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेने को लेकर है। अगर कोई खिलाड़ी ऐसा करता है तो उसे दो सीजन में खेलने से बैन कर दिया जाएगा। इसके अलावा फ्रेंचाइजी पर्स को भी 20 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है। आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं…

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1. अधिकतम छह खिलाड़ियों को किया जा सकता है रिटेन
हर एक फ्रेंचाइजी अधिकतम छह खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती है। इनमें राइट-टू-मैच (आरटीएम) का विकल्प भी शामिल है। इनमें दो अनकैप्ड भारतीय शामिल रह सकते हैं। आईपीएल ने यह भी कहा है कि अधिकतम पांच कैप्ड खिलाड़ियों को बरकरार रखा जा सकता है। इनमें या तो सभी भारतीय हो सकते हैं या सभी विदेशी या फिर दोनों को मिलाकर अधिकतम पांच कैप्ड खिलाड़ियों को रिटेन किया जा सकता है। एक खिलाड़ी अनकैप्ड होना चाहिए।

2. राइट टू मैच कार्ड की वापसी, लेकिन ट्विस्ट के साथ
आरटीएम की नीलामी में वापसी हुई है। पिछली बार हुए मेगा ऑक्शन में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था। पिछली बार 2017 मेगा ऑक्शन में राइट टू मैच कार्ड का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन 2022 मेगा ऑक्शन में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था। हालांकि, अब इसकी वापसी हुई है। आरटीएम एक फ्रेंचाइजी को नीलामी के दौरान किसी खिलाड़ी को वापस खरीदने का मौका देता है। किसी खिलाड़ी पर बोली खत्म होने के बाद अगर उसकी पुरानी टीम चाहे तो जो बोली नई टीम ने लगाई है, पुरानी टीम को वो कीमत चुकानी होगी और वह उस खिलाड़ी को वापस पा सकते हैं। कम से कम तीन फ्रेंचाइजी के आरटीएम को समर्थन करने के बाद आईपीएल ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया गया है। हालांकि, राइट टू मैच कार्ड में इस बार कुछ ट्विस्ट भी हैं। आइए जानते हैं…

खिलाड़ियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आईपीएल ने आरटीएम नियम में कुछ बदलाव किया है। इसके मुताबकि, आरटीएम कार्ड रखने वाली टीम को अपने अधिकार का प्रयोग करने से पहले सबसे अधिक बोली लगाने वाले को एक खिलाड़ी के लिए अपनी बोली बढ़ाने का एक अंतिम अवसर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि टीम-1 खिलाड़ी X के लिए RTM रखती है और टीम-2 ने उस पर छह करोड़ रुपये की उच्चतम बोली लगाई है, तो टीम-1 से पहले पूछा जाएगा कि क्या वे RTM का प्रयोग करेंगे? यदि टीम-1 सहमत होती है, तो टीम-2 के पास अपनी बोली बढ़ाने का मौका होगा। यदि टीम-2 अपनी बोली को नौ करोड़ रुपये तक बढ़ा देती है, तो टीम-1 आरटीएम का उपयोग कर सकती है और खिलाड़ी X को 9 करोड़ रुपये में खरीद सकती है। यदि टीम-2 बोली नहीं बढ़ाने का विकल्प चुनती है और इसे छह करोड़ रुपये पर रखती है, तो टीम-1 आरटीएम का उपयोग कर सकती है और खिलाड़ी X को छह करोड़ रुपये में प्राप्त कर सकती है।

3. नीलामी पर्स को 20 करोड़ रुपये बढ़ाया गया
नीलामी पर्स को 120 करोड़ कर दिया गया है। यानी एक फ्रेंचाइजी के पास अपनी टीम बनाने के लिए 120 करोड़ रुपये होंगे। रिटेंशन के बाद इस पर्स में बदलाव होगा और फिर बचे हुए पैसों के साथ वह फ्रेंचाइजी मेगा ऑक्शन में उतरेगी। पिछली नीलामी (100 करोड़ रुपये) की तुलना में यह राशि 20 करोड़ रुपये ज्यादा है। ये आईपीएल गवर्निंग काउंसिल द्वारा लिए गए सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है।

4. रिटेन करने के बाद फ्रेंचाइजी के पर्स से किस तरह रुपये कटेंगे

यदि कोई फ्रेंचाइजी पांच कैप्ड खिलाड़ियों को बनाए रखना चाहती है, तो उसके पर्स से इतनी राशि काट ली जाएगी: पहले तीन रिटेंशन के लिए किसी फ्रेंचाइजी के पर्स से 18 करोड़ रुपये (खिलाड़ी-1), 14 करोड़ रुपये (खिलाड़ी-2) और 11 करोड़ रुपये (खिलाड़ी-3) काट लिए जाएंगे। बाकी बचे दो रिटेंशन के लिए किसी फ्रेंचाइजी के पर्स से 18 करोड़ रुपये (खिलाड़ी-4) और 14 करोड़ रुपये (खिलाड़ी-5) काट लिए जाएंगे। इसका मतलब है कि नीलामी से पहले पांच कैप्ड खिलाड़ियों को रिटेन करने वाली फ्रेंचाइजी को 120 करोड़ रुपये के कुल पर्स में से 75 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। अनकैप्ड खिलाड़ियों के लिए अधिकतम चार करोड़ रुपये रिटेंशन के लिए खर्च किए जा सकते हैं। ऐसा ही 2021 मेगा ऑक्शन में हुआ था। इसका मतलब है कि छह खिलाड़ियों (एक अनकैप्ड खिलाड़ी के साथ) को रिटेन करने वाली फ्रेंचाइजी को अपने पर्स से 79 करोड़ रुपये का नुकसान होगा और उसके पास मेगा ऑक्शन के दौरान सिर्फ 41 करोड़ रुपये बचेंगे।

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