लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव – फोटो : अमर उजाला
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जमीनों के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले में ईडी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष जज विशाल गोगने की अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें ईडी ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर भारतीय रेलवे में नियुक्तियों के बदले में रिश्वत के तौर पर जमीनें लेने का आरोप लगाया है।
मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी तलब किया था। जबकि तेज प्रताप को जांच एजेंसी ने आरोपी के रूप में नामित नहीं किया था। कोर्ट ने कहा कि अदालत को प्रथम दृष्टया और सम्मन के चरण में पता लगा है कि तेज प्रताप यादव भी अपराध की आय के अधिग्रहण और छिपाने में शामिल थे। इसलिए वह भी शिकायत पर सम्मन किए जाने के लिए उत्तरदायी हैं।
कोर्ट ने प्रसाद के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी तलब किया। न्यायाधीश ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके दो बेटों और अन्य को सात अक्तूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इससे पहले बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को तलब किया था।
वहीं ईडी ने चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव पर अपराध की आय को छिपाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया। ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने जमीनें इस तरीके से लीं, जिससे उनकी भागीदारी सामने न आए और परिवार को लाभ हो सके। जब प्रसाद रेल मंत्री थे तब मुख्य रूप से पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को रेलवे में नौकरियों के वादे के साथ कम कीमत पर अपनी जमीन बेचने के लिए राजी किया गया था।
ईडी ने कहा कि इनमें से कई जमीनें पहले से ही यादव परिवार के पास मौजूद जमीनों के पास थीं। सात में से छह जमीन के सौदे राबड़ी देवी से जुड़े थे और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किए गए थे। जांच से पता चला है कि एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य संस्थाएं भूमि अधिग्रहण और जमीन के बदले नौकरी योजना के बीच संबंध को अस्पष्ट करती थीं। एके इंफोसिस्टम्स के स्वामी और सह-अभियुक्त अमित कात्याल ने कीमतीं जमीनें मामूली कीमत पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को बेंचीं।
ईडी ने आरोप लगाया कि प्रसाद के सहयोगी भोला यादव ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई। उसने यादव परिवार की संपत्ति के पास के भूस्वामियों को रेलवे में नौकरी के बदले में अपनी संपत्ति बेचने के लिए राजी करने की बात स्वीकार की है। इन सौदों से प्रसाद के परिवार को लाभ पहुंचाया गया। इसमें राबड़ी देवी के निजी कर्मचारियों हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी जैसे मध्यस्थों के जरिये जमीनों को हस्तांतरित किया गया।
ईडी ने कहा कि कई विचाराधीन संपत्तियों को अक्सर दूर के रिश्तेदारों से उपहार में प्राप्त किया गया। लालू प्रसाद और उनके परिवार ने व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए अपने प्रभाव और आधिकारिक पदों का इस्तेमाल किया। सरकारी नौकरियों के बदले भूमि के अवैध हस्तांतरण से जुड़ा घोटाला जनता के विश्वास का उल्लंघन और सत्ता का दुरुपयोग है। न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद उन्हें तलब किया है। ईडी ने छह अगस्त को अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दायर की थी। एजेंसी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर मनी लॉड्रिंग कस मामला दर्ज किया था।
क्या है नौकरी के बदले जमीन घोटाला
लालू प्रसाद यूपीए की पहली सरकार में रेल मंत्री थी, तब रेलवे के ग्रुप डी में भर्तियां की गईं। आरोप है कि बिना विज्ञापन दिए भर्तियां की गईं। कई लोगों को आवेदन देने के तीन दिन के भीतर ही नौकरी दे दी गई। नौकरियों के बदले अभ्यर्थियों से घूस के रूप में जमीन ली गई। ईडी ने कहा है कि लालू परिवार को 7 जगहों पर जमीनें मिलीं हैं।
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