Arvind Kejriwal: नवरात्रि के दूसरे दिन दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 6, फ्लैगस्टाफ रोड वाला बंगला छोड़ दिया है। अब वे 5, फिरोजशाह रोड के बंगले पर रहेंगे जो उनकी पार्टी के सांसद अशोक मित्तल को एलॉट किया गया है। अरविंद केजरीवाल का नया बंगला 5, फिरोजशाह रोड की तस्वीर – फोटो : अमर उजाला
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शराब घोटाले में अदालत से जमानत पाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। आम आदमी पार्टी और स्वयं केजरीवाल ने इसे उनका बड़ा ‘त्याग’ बताया था। केजरीवाल ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री का पदभार तभी ग्रहण करेंगे जब जनता की अदालत में उन्हें ‘बेदाग’ होने का सर्टिफिकेट मिल जाएगा। उसी समय उन्होंने यह घोषणा कर दी थी कि वे अपना मुख्यमंत्री आवास भी छोड़ देंगे। आज नवरात्रि के दूसरे दिन उन्होंने 6, फ्लैगस्टाफ रोड वाला बंगला छोड़ दिया है। अब वे 5, फिरोजशाह रोड के बंगले पर रहेंगे जो उनकी पार्टी के सांसद अशोक मित्तल को एलॉट किया गया है।
पीएम मोदी हुए करीब
मुख्यमंत्री के रुप में पिछले करीब दस साल से अरविंद केजरीवाल अब तक 6, फ्लैगस्टाफ रोड, सिविल लाइन में रहते आए थे। यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवास 7, लोक कल्याण मार्ग करीब 14 किलोमीटर दूर था। दिल्ली के आम दिनों की ट्रैफिक में यह दूरी करीब एक घंटे में तय हो सकती है। लेकिन अब वे लुटियन जोन में आ गए हैं। पार्टी सांसद अशोक मित्तल को 5, फिरोजशाह रोड पर बंगला एलॉट हुआ है। अब केजरीवाल अपने परिवार के साथ यहीं रहेंगे। इस बंगले से प्रधानमंत्री के आवास की दूरी केवल पांच किलोमीटर ही रह गई है। नई संसद तो इससे भी आधी यानी करीब 2.4 किलोमीटर ही रह गई है। यानी इस नए बंगले में आकर अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के और करीब आ गए हैं। अब वे ज्यादा जोर से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर सकेंगे।
जब चाहा तब जंतर-मंतर
चूंकि, आम आदमी पार्टी को एलॉट हुआ नया बंगला 1, पंडित रविशंकर शुक्ला लेन फिरोजशाह रोड के ठीक पीछे ही है, अब वे दिल्ली विधानसभा चुनाव की सारी गतिविधियां यहीं से संचालित करेंगे। उनका आवास और पार्टी कार्यालय अधिक करीब होने से वे पार्टी की गतिविधियों के लिए अधिक समय दे सकेंगे। आम बोलचाल में ‘धरना स्थल’ का नाम पा चुका जंतर-मंतर भी इसके ठीक पास में ही है। कभी अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र जंतर-मंतर ही हुआ करता था। जमानत पाने के बाद भी उन्होंने सबसे पहली जनता की अदालत यहीं लगाई थी। अब चुनाव के बीच जब भी उन्हें लगेगा कि देश में ‘लोकतंत्र खतरे में’ पड़ गया है, वे आसानी से जंतर-मंतर की राह पकड़ सकेंगे।
विवादों का पिटारा नहीं खोलेंगे
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि केजरीवाल के बाद मुख्यमंत्री वाले बंगले में कौन रहेगा, लेकिन इतना साफ है कि दिल्ली सरकार किसी भी हालत में इसे अपने नियंत्रण में रखेगी। इस बंगले के निर्माण और साज-सज्जा में भारी अनियमितता होने के आरोप भाजपा लगाती आई है। यदि किसी भी कारण से चुनाव के पहले इस बंगले पर उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जाता है तो बंगले से वे जिन्न बाहर आ सकते हैं जो अरविंद केजरीवाल के लिए नई मुसीबत बन सकते हैं। चतुर राजनेता बन चुके केजरीवाल चुनावों के बीच गलती से भी ऐसा अवसर भाजपा को नहीं देंगे। लिहाजा माना जा रहा है कि यह बंगला मुख्यमंत्री आतिशी मारलेना को आवंटित किया जा सकता है। हालांकि, जब वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठीं तो वे इस बंगले में भला क्यों रहेंगी। यानी यह बंगला भी मुख्यमंत्री की कुर्सी की तरह चुनाव होने तक अरविंद केजरीवाल का इंतजार करेगा।
भाजपा ने किया हमला
आम आदमी पार्टी इसे अरविंद केजरीवाल का त्याग बता रही है। लेकिन भाजपा ने इसे अरविंद केजरीवाल की एक और नौटंकी करार दिया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना अरविंद केजरीवाल का त्याग नहीं, उनकी मजबूरी थी। अदालत ने उन्हें कार्यालय जाने और किसी फाइल पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी थी। ऐसे में वे मुख्यमंत्री पद पर काम नहीं कर सकते थे। लिहाजा मजबूर होकर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री आवास खाली करना ही था। चुनाव के बाद वैसे भी उन्हें अपने घर लौटकर जाना था, अच्छा हुआ कि उन्होंने पहले से ही इसकी तैयारी कर ली। लेकिन यह भी उनकी लोगों की सहानुभूति पाने की कोशिश है, लेकिन शराब घोटाले, स्वास्थ्य और शिक्षा घोटाले में बुरी तरह दागदार साबित हो चुके अरविंद केजरीवाल को अब जनता की सहानुभूति भी नहीं मिलेगी।
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