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Siachen: अब दुनिया के सबसे दुर्गम युद्धक्षेत्र में मिलेगी इंटरनेट की सुविधा, 19061 फीट पर शुरू हुई सेवा

अब दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम युद्धक्षेत्र में भी इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। फायर एंड फ्यूरी कोर द्वारा दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर 19,061 फीट पर सियाचिन सिग्नलर्स द्वारा सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा शुरू की गई है। 

गौरतलब है कि फायर एंड फ्यूरी कोर के पास सियाचिन की भी जिम्मेदारी है जो पिछले तीन दशकों से अधिक समय से दुनिया का सबसे अधिक ऊंचाई पर और सबसे ठंडा युद्ध का मैदान बना हुआ है। 

      

सियाचिन ग्लेशियर
सियाचिन ग्लेशियर पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। जहां पर तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। जिसकी वजह से वहां रहने वाले सैनिकों को फ्रॉस्टबाइट यानी की ज्यादा ठंड की वजह से शरीर के सुन्न हो जाने की परेशानी हो जाती है। माइनस शून्य से भी कम तापमान में तैनात सैनिकों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सांस में तकलीफ के साथ ही दिमागी सूनापन की भी दिक्कतें आती हैं। कोल्ड इंज्युरी तो सामान्य है।

1984 से लगातार डटे हुए हैं सैनिक    
सियाचिन ग्लेशियर भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग 78 किमी में फैला है। इसके एक तरफ  पाकिस्तान तो दूसरी तरफ  चीन की सीमा अक्साई चीन है। सामरिक दृष्टि से इस ग्लेशियर का काफी महत्व है। 1984 से पहले इस जगह पर न तो भारत और न ही पाकिस्तान की सेना की उपस्थिति थी। 1972 के शिमला समझौते में सियाचिन इलाके को बेजान और बंजर करार दिया गया था, लेकिन इस समझौते में दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था। वर्ष 1984 में खुफिया जानकारी मिली कि पाकिस्तान सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारत ने अपनी सेना तैनात कर दी। यहां पर कब्जे के लिए सेना ने ऑपरेशन मेघदूत चलाया था।

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