अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी, समरकंद/नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Sat, 17 Sep 2022 04:59 AM IST
सार
SCO Summit : मोदी की जिनपिंग से बनाई गई दूरी से साफ हो गया है कि भारत चीन की दुखती रग पर हाथ रखता रहेगा। भारतीय बाजार में चीन के लिए मुश्किलें बढ़ाने का दौर ही नहीं जारी रहेगा, बल्कि दक्षिण चीन सागर और ताइवान मामले में भारत चीन विरोधी देशों के साथ खड़ा रहेगा। पीएम नरेंद्र मोदी – फोटो : Twitter/PMO India
विस्तार SCO Summit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान एक मंच पर दिखे। हालांकि इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाना तो दूर नजरें भी नहीं मिलाईं। मंच पर साथ खड़े होने के बावजूद दोनों नेताओं की दिल की दूरी साफ नजर आई।
दरअसल ऐसा कर भारत ने संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख से जुड़े वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद खत्म करने के लिए चीन के महज इस छोटे से प्रयास से द्विपक्षीय संबंध मधुर नहीं होंगे। मोदी ने पाकिस्तान से भी दूरी बनाए रखी। दरअसल एससीओ सम्मेलन से पहले द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने से पहले चीन ने पांच साल पुराना दांव आजमाया था।
तब जी-20 की मेजबानी कर रहा चीन इस सम्मेलन से ठीक पहले डोकलाम में महीनों से जारी विवाद को खत्म करने के लिए अपनी सेना पीछे हटाने के लिए तैयार हो गया था। चीन की यह कूटनीति सफल रही थी। क्योंकि इसके बाद पीएम मोदी न सिर्फ जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने चीन गए, बल्कि जिनिपिंग के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ता भी की।
इस बार नहीं चला दांव
एससीओ बैठक से पहले भी चीन ने पुराना दांव चल कर भारत को साधने की कोशिश की। सरकारी सूत्र बताते हैं कि एलएसी के कुछ इलाकों से सेना हटाने के बाद चीन को उम्मीद थी कि वह फिर से भारत को साधने में कामयाब हो जाएगा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने अपनी ओर से मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की तैयारी भी कर ली थी। चूंकि पीएम को चीनी राष्ट्रपति से नहीं मिलना था, इसलिए वह इस सम्मेलन में सबसे देरी से पहुंचे।
मुलाकात पर दुनिया भर की टिकी थीं नजरें
चूंकि गलवां में साल 2020 में दोनों देशों की सेना के बीच हुई खूनी झड़प के बाद पहली बार मोदी और जिनपिंग एक मंच पर थे। इसके अलावा चीन ने अपनी ओर से संबंध सुधारने की कूटनीतिक चाल चल दी थी। ऐसे में दुनिया भर की निगाहें दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात पर टिकी थीं।
चीन की दुखती रग पर हाथ रखे रहेगा भारत
बहरहाल मोदी की जिनपिंग से बनाई गई दूरी से साफ हो गया है कि भारत चीन की दुखती रग पर हाथ रखता रहेगा। भारतीय बाजार में चीन के लिए मुश्किलें बढ़ाने का दौर ही नहीं जारी रहेगा, बल्कि दक्षिण चीन सागर और ताइवान मामले में भारत चीन विरोधी देशों के साथ खड़ा रहेगा। गौरतलब है कि इस समय भारत क्वाड का सदस्य है।
कल आपका जन्मदिन पर मैं अग्रिम बधाई नहीं दे सकता
पुतिन ने मुलाकात के दौरान मोदी से कहा, मित्र मुझे पता है कि कल आपका जन्मदिन है। लेकिन हमारी रूसी परंपरा के मुताबिक मैं आपको अग्रिम बधाई नहीं दे सकता। मैं आपके नेतृत्व में भारत की समृद्धि की कामना करता हूं।
SCO Summit
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