Press "Enter" to skip to content

Project Cheetah: मध्यप्रदेश बना चीता स्टेट, नामीबिया से भारत आए आठ चीतों के बारे में जानिए सब कुछ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: रवींद्र भजनी Updated Sat, 17 Sep 2022 11:06 AM IST

मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट, लेपर्ड स्टेट होने के साथ ही अब चीता स्टेट भी बन गया है। मध्यप्रदेश में देश में सबसे अधिक बाघ और तेंदुए तो हैं ही, अब एकमात्र ऐसा राज्य हो गया है जहां चीते भी हैं। नामीबिया से आठ चीते भारत आए हैं। इनमें पांच मादा और तीन नर है। इनकी उम्र चार से छह साल है। 

यह अपनी तरह का पहला और अनूठा मिशन है। पांच मादा और तीन नर चीतों को भारत लाया गया है। नामीबिया की राजधानी विंडहोक से कस्टमाइज्ड बोइंग 747-400 एयरक्राफ्ट पर इन चीतों को शनिवार सुबह ग्वालियर लाया गया। वहां से इन्हें कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया गया। इन चीतों को इंटरनेशनल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन चीता कंजर्वेशन फंड (CCF), जिसका हेडक्वार्टर नामीबिया है और यह संस्था चीतों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, ने उपलब्ध कराया है। 
 

पांच मादा और तीन नर चीते 

जिन पांच मादा चीतों को लाया जा रहा है, उनकी उम्र दो से पांच साल के बीच है। वहीं, नर चीतों की उम्र 4.5 से 5.5 साल के बीच है।  नर चीतों में दो भाई है और वे जुलाई 2021 से नामीबिया को ओटिवारोंगो में सीसीएफ के 58 हजार हैक्टेयर के प्राइवेट रिजर्व में रह रहे थे। सीसीएफ के स्टाफ को सेंटर के पास उनके ट्रैक्स मिले थे। दोनों एक ही झुंड के सदस्य हैं और मिलकर शिकार करते हैं।  तीसरा नर चीता मध्य नामीबिया में प्रोटेक्टेड वाइल्डलाइफ एंड इकोलॉजिकल रिजर्व एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में मार्च 2018 में पैदा हुआ। उसकी मां का जन्म भी वहीं पर हुआ था।  एक मादा चीता को उसके भाई के साथ दक्षिणपूर्वी नामीबिया के गोबासिस शहर के पास जलाशय के पास मिली थी। दोनों ही कुपोषित थे और सीसीएफ का मानना था कि उनकी मां जंगल की आग में कुछ हफ्ते पहले मारी गई होगी। यह मादा चीता सीसीएफ सेंटर में सितंबर 2020 से रह रही है।   एक अन्य मादा चीता को सीसीएफ के पास के एक खेत से जुलाई 2022 में ट्रैप किया था। यह खेत नामीबिया के एक प्रमुख कारोबारी का है। एक मादा चीता का जन्म एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में अप्रैल 2020 में हुआ था। उसकी मां सीसीएफ के चीता रीहेबिलिटेशन प्रोग्राम में थी। उसे दो साल पहले जंगल में सफलतापूर्वक छोड़ा जा चुका है।  चौथी मादा चीता को गोबासिस में 2017 में कुछ किसानों ने एक खेत के पास पाया था। वह कुपोषित थी। तब उन लोगों ने ही देखभाल की। जनवरी 2018 में सीसीएफ स्टाफ को इसकी जानकारी लगी और उसे सीसीएफ सेंटर ले आए।  सीसीएफ स्टाफ ने फरवरी 2019 में कमानजाब गांव से एक और मादा चीता को पकड़ा था। आने के बाद से ही यह चीता चौथी फीमेल चीता की दोस्त है। दोनों पिंजरे में एक साथ ही नजर आती हैं। इन चीतों को जंगल में कब छोड़ा जाएगा
प्रोटोकॉल के तहत इन आठ चीतों को क्वॉरेंटाइन पिंजरों में 30 दिनों के लिए अलग-अलग रखेंगे। इसके बाद छह वर्ग किमी के नौ विभागों में छोड़ा जाएगा। उनके लिए खतरा बन सकने वाला कोई शिकारी नहीं होगा।  

More from मध्य प्रदेशMore posts in मध्य प्रदेश »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *