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ये जनतांत्रिक रुझान नहीं

विकास नारायण राय

 à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 15 सितंबर, 2014: à¤à¤¸à¤¾ भी नहीं है कि देश में फैले भà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के अंतहीन मरà¥à¤¸à¥à¤¥à¤² में संजीव चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ जैसे

ईमानदारी के छोटे-मोटे नखलिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लिठबिलà¥à¤•à¥à¤² ही जगह न बची हो। à¤à¤¸à¥‡ में केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ हरà¥à¤·à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ जैसे à¤à¤• विनमà¥à¤° पृषà¥à¤ à¤­à¥‚मि के राजनेता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤®à¥à¤¸ के इस मà¥à¤–à¥à¤¯ सतरà¥à¤•à¤¤à¤¾ अधिकारी को, उसी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के कà¥à¤› लोगों के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ में, उसके पद से अनायास बेदखल करने के पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ को पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानी ‘नशा’ के माधà¥à¤¯à¤® से आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करना पड़ेगा। चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ को समà¤à¤¨à¤¾ हो तो फरवरी 1934 में ‘चांद’ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ इस वरà¥à¤— चेतना की कहानी से सटीक कà¥à¤› नहीं।

मारà¥à¤•à¥à¤¸ का मशहूर कथन है- ‘मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की चेतना उनके असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ नहीं करती, उलटे उनका सामाजिक असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ उनकी चेतना को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करता है।’ लिहाजा, सतà¥à¤¤à¤¾ का नशा पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की इस अमर रचना के बैरोमीटर से जांचना सहज बन पड़ता है। कहानी ‘नशा’ में à¤à¤• गरीब कà¥à¤²à¤°à¥à¤• का बेटा अपने अमीर सहपाठी ईशà¥à¤µà¤°à¥€ के साथ उसके गांव सà¥à¤•à¥‚ली छà¥à¤Ÿà¤¿à¤Ÿà¤¯à¤¾à¤‚ बिताने जाता है। इससे पहले वह ईशà¥à¤µà¤°à¥€ की कà¥à¤²à¥€à¤¨, दंभी, सामंती जीवन शैली का घोर आलोचक रहा है। पर ईशà¥à¤µà¤°à¥€ की बदौलत रेल के ऊंचे दरà¥à¤œà¥‡ में यातà¥à¤°à¤¾ से लेकर à¤à¤¶à¥‹-आराम से बीते छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ के दिनों ने उस पर भी उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अभिजात मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का नशा चà¥à¤¾ दिया।

ईशà¥à¤µà¤°à¥€ ने गांव में सभी से उसका परिचय à¤à¤• रियासतजादे कà¥à¤‚वर के रूप में दिया था और इस दौरान वह पूरी तरह से ‘कà¥à¤‚वर साहब’ को जीने भी लगा- मेज पर लैंप रखा था, दियासलाई भी वहीं थी, कà¥à¤‚वर साहब अखबार पà¥à¤¨à¥‡ को भिनà¥à¤¨à¤¾ रहे हैं, पर लैंप अपने हाथ से कैसे जलाà¤à¤‚। जब ईशà¥à¤µà¤°à¥€ à¤à¤¸à¤¾ नहीं करता तभी ओहदेदार मà¥à¤‚शी रियासत अली आ निकले और ‘कà¥à¤‚वर साहब’ फट पड़े- ‘तà¥à¤® लोगों को इतनी फिकà¥à¤° भी नहीं कि लैंप जलवा दो। मालूम नहीं à¤à¤¸à¥‡ कामचोर आदमियों का यहां कैसे गà¥à¤œà¤° होता है। मेरे यहां घंटे भर निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ न हो।’ उसे वापसी की यातà¥à¤°à¤¾, ऊंचे दरà¥à¤œà¥‡ का टिकट न मिलने से, भीड़-भड़कà¥à¤•à¥‡ में तीसरे दरà¥à¤œà¥‡ में करनी पड़ी। धकà¥à¤•à¤¾-मà¥à¤•à¥à¤•à¥€ से बौखलाठ‘कà¥à¤‚वर साहब’ ने à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ सहयातà¥à¤°à¥€ पर हाथ चला दिया तो कइयों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जमकर खरी-खरी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ अब उनका वरà¥à¤—ीय नशा उतरना शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† और वे अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में वापस लौटे।

पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की उपरोकà¥à¤¤ कहानी सतà¥à¤¤à¤¾ के चरितà¥à¤° को समà¤à¤¨à¥‡ में हमें मदद करती है। कमजोर पृषà¥à¤ à¤­à¥‚मि के लोग भी सतà¥à¤¤à¤¾ में पहà¥à¤‚च जाते हैं तो उनकी भाषा और सोच-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आमतौर पर बदल जाते हैं। वे शाहखरà¥à¤šà¥€ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देते हैं और इस बात के लिठचिंतित रहते हैं कि अभिजात वरà¥à¤— के बीच उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कितना पसंद किया जाता है।

नरेंदà¥à¤° मोदी ने à¤à¤• ‘चायवाला’ की अपनी पृषà¥à¤ à¤­à¥‚मि को लोकसभा चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में भà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ में कोई कसर नहीं छोड़ी। पर पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनने के बाद वे किनके लिठचिंतित हैं? पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ विकास के नाम पर अपने घर के पिछवाड़े साठ हजार करोड़ की बà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ चलवाने पर आमादा हैं, महज इसलिठकि कभी जापान यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में बà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की सवारी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बेतरह भा गई थी। जबकि आज के दिन देश में लगभग बारह हजार मानव-रहित रेलवे कà¥à¤°à¥‰à¤¸à¤¿à¤‚ग हैं जिन पर चालीस फीसद रेल दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤à¤‚ हो रही हैं! सà¥à¤•à¥‚ली बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ समेत सैकड़ों नागरिकों की जान लेने वाली इन तमाम जगहों को अंडरपास या ओवरबà¥à¤°à¤¿à¤œ बना कर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ करने की अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ लागत बनती है कà¥à¤² पचास हजार करोड़! यानी बà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ परियोजना से दस हजार करोड़ रà¥à¤ªà¤ कम। लाल किले से पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को देश का पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ सेवक कहा था। लेकिन उनकी सरकारी सभाओं में उनके समरà¥à¤¥à¤• गैर-भाजपा मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक को नहीं बोलने देते। यह सतà¥à¤¤à¤¾ का नशा नहीं तो और कà¥à¤¯à¤¾ है! 

राजधानी में उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के à¤à¤• आदेश के चलते लगभग à¤à¤• लाख इ-रिकà¥à¤¶à¤¾ चालक और उनके पारिवार संविधान की धारा चौदह में निहित आजीविका के मूलभूत अधिकार से वंचित हो गठहैं- जब तक केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ परिवहन मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ संबंधित कानूनों में संशोधन कर दिलà¥à¤²à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबेहद उपयोगी इन परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£-मितà¥à¤° वाहनों के पंजीकरण की पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ नहीं लागू करता। जो पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पूरी तरह सरकार के हाथ में है उसमें देरी की सजा इन à¤à¤• लाख परिवारों को भà¥à¤—तनी पड़ रही है।

कान में तेल डाल कर सोने वाली यह वही सरकार है जो पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में मोदी के मनपसंद अवकाशपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¨à¥Œà¤•à¤°à¤¶à¤¾à¤¹ की नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‡ आड़े आ रही उसकी अपातà¥à¤°à¤¤à¤¾ को हटाने के लिठरातोंरात अधà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ लाई थी। यह वही सरकार है जिसने उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पति मà¥à¤•à¥‡à¤¶ अंबानी को गैस पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में आपराधिक जवाबदेही से बचाने के लिठदिलà¥à¤²à¥€ सरकार के भà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° निरोधक बà¥à¤¯à¥‚रो का अधिकार-कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° सीमित करने अधà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ जारी करने में तनिक विलंब नहीं किया था। लेकिन उसकी कारà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में तेजी à¤à¤¸à¥‡ चà¥à¤¨à¤¿à¤‚दा मामलों में ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिखती है? इ-रिकà¥à¤¶à¤¾ चालकों को राहत दिलाने के लिठसरकार कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ततà¥à¤ªà¤° नजर नहीं आती? 

मणिपà¥à¤° की इरोम शरà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¾ के अनशन को अकà¥à¤·à¤®à¥à¤¯ मानते भी चौदह वरà¥à¤· हो चले है। मई, 2000 मई से वे अफसà¥à¤ªà¤¾ यानी सशसà¥à¤¤à¥à¤° बल विशेषाधिकार कानून की डायरशाही के विरोध में, à¤à¤• भाजपाई सरकार के दौर की कैद से शà¥à¤°à¥‚ होकर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ सरकारों के दौर की कैद से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ पà¥à¤¨: à¤à¤• और भाजपाई सरकार के दौर में कैद तक पहà¥à¤‚ची हैं। कà¥à¤¯à¤¾ इस बीच इनमें से किसी भी सरकार को देश के नागरिकों को नहीं बताना चाहिठथा कि अफसà¥à¤ªà¤¾ हटाने की इरोम की मांग कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥€ जा सकी है? अगर सेना बिना सशसà¥à¤¤à¥à¤° बल विशेषाधिकार

कानून के कथित अशांत इलाके में तैनात ही नहीं की जा सकती तो उसे हटा कर वहां कोई à¤à¤¸à¤¾ बल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं तैनात किया जाता जो बिना अफसà¥à¤ªà¤¾ के काम कर सकता हो? और सेना की अशांत इलाकों में तैनात होने वाली टà¥à¤•à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बिना अफसà¥à¤ªà¤¾ के काम करने का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिया जा सकता? इस बीच, और इसे सतà¥à¤¤à¤¾ की राजनीति का ही नशा कहा जाना चाहिठकि पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° में सरकारी रिशà¥à¤µà¤¤ की बंदरबांट के दम पर वहां के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ हिंसक समूहों की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वफादारी खरीदी जाने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ परवान चà¥à¤¤à¥€ गई है। अब अगर सतà¥à¤¤à¤¾ का नशा उतरे तो समठमें आठकि मणिपà¥à¤° को अफसà¥à¤ªà¤¾ चाहिठया शरà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¾à¥¤à¤«à¤¿à¤²à¤¹à¤¾à¤² तो भारत के विभिनà¥à¤¨ शहरों में नरेंदà¥à¤° मोदी के सतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¶à¥€à¤¨ होने से मिले अभय का जशà¥à¤¨ सरेआम पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ‘लव जिहादी’ के आरोप में अपमानित कर मनाया जा रहा है। यह कà¥à¤› वैसी ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जैसी उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ की जीत और अखिलेश यादव की ताजपोशी के बाद आई थी, जब समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ बेकाबू नजर आ रहे थे। सतà¥à¤¤à¤¾ की विशिषà¥à¤Ÿ चेतना से फूटने वाला यह नशा सिरà¥à¤« इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ ततà¥à¤¤à¥à¤µà¥‹à¤‚ तक सीमित नहीं। ‘आप’ जैसी आम आदमी की बात करने वाली पारà¥à¤Ÿà¥€ का मंतà¥à¤°à¥€ नैतिक पहरेदारी करने आधी रात को दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¤• मोहलà¥à¤²à¥‡ पर चà¥à¤¾à¤ˆ करने में अपनी शान समà¤à¤¤à¤¾ है। शिवसेना का à¤à¤• सांसद भोजन की खराब गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के विरोधसà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤• कैंटीन अधिकारी के मà¥à¤‚ह में रोटी ठूंसने का फिलà¥à¤®à¤¾à¤‚कन कराता है। 

यूपीठसरकार के गृहमंतà¥à¤°à¥€ पी चिदंबरम पर यह नशा इस कदर सवार था कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ महानिदेशकों के वारà¥à¤·à¤¿à¤• समà¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ में माओवादियों के देशवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ सफाठकी अंतिम समय-सीमा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दो वरà¥à¤· घोषित की। छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ॠऔर à¤à¤¾à¤°à¤–ंड में खनिज संपदा की कॉरपोरेटी लूट के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• बे-तैयार केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बल को अपने दावे के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• इस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में à¤à¥‹à¤‚क दिया। आज पांच वरà¥à¤· के बाद, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जन-धन गंवाने के बावजूद, इस मोरà¥à¤šà¥‡ पर सामरिक गतिरोध जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कायम है। पछतावे का à¤à¤• शबà¥à¤¦ भी नहीं कहा गया है। 

मोदी ने अपनी पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ की पारी की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से ही देश के आम नागरिक के सिर पर अपराध-बोध लादना चालू किया हà¥à¤† है कि सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• गंदगी और उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨-कामचोरी के लिठवह जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤° है। जैसे सरकारी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं की कोई भूमिका ही नहीं बनती। अब वे अपने मंचों से इसी अंदाज में सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ भà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° को भी सरकारी दफà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में महज ‘खाने और खिलाने वालों’ के मतà¥à¤¥à¥‡ मॠकर इतरा रहे है। किशोर अपराधियों पर सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-विरà¥à¤¦à¥à¤§ बà¥à¤¤à¥€ हिंसा का ठीकरा à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ ही मदमसà¥à¤¤ सरकार फोड़ सकती है। इस संबंध में किशोर संरकà¥à¤·à¤£ कानून में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नठकठोर पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पीछे उसका तरà¥à¤• है कि उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° अधिक से अधिक 16-18 वरà¥à¤· के किशोर यौनिक हिंसा में शामिल पाठजा रहे हैं, इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भी वयसà¥à¤• अपराधियों की तरà¥à¤œ पर सजा मिलनी चाहिà¤à¥¤ तो कà¥à¤¯à¤¾ किशोरों के अपराधी बनने में वृदà¥à¤§à¤¿ को लेकर सरकार की कोई जवाबदेही नहीं बनती? किशोर अपराध में न उतरें या अपराध करते पकड़े जाने पर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज में वापसी कर सकें, इस पर खामोशी है!

मोदी के नेतृतà¥à¤µ में पूरà¥à¤£ बहà¥à¤®à¤¤ की भाजपा सरकार बनने से अरसे बाद सतà¥à¤¤à¤¾-विमरà¥à¤¶ में सतà¥à¤¤à¤¾ के वरà¥à¤—ीय चरितà¥à¤° की सहज पैठ सतह पर बजबजाने लगी है। भाजपा का à¤à¤• बेहद तीखा कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤¾à¤‚तरण, शासकीय वरà¥à¤—ांतरण के अनà¥à¤°à¥‚प, शासन के हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उजागर हो रहा है। धीरे-धीरे मोदी की सोनिया-राहà¥à¤² से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ या मोदी सरकार से मनमोहन सरकार का अंतर सिरà¥à¤« पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• सिलसिला रह जाà¤à¤—ा। दोनों दौर में शासन की अंतरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥ à¤à¤• होने से मोदी इस अवतार में कॉरपोरेट जगत पर बेहतर छाप छोड़ने वाला मनमोहन सिंह ही साबित हो सकते हैं- à¤à¤• तेज फाइलें निकालने वाले और मà¥à¤–र मनमोहन सिंह!

सतà¥à¤¤à¤¾-विमरà¥à¤¶ में आम आदमी के मतलब से वरà¥à¤—-विमरà¥à¤¶ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ का मतलब है, जनता का सतà¥à¤¤à¤¾ के अंदरूनी चरितà¥à¤° से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤°, न कि सिरà¥à¤« उसके बाहà¥à¤¯ फसाद से। इस विमरà¥à¤¶ में सतà¥à¤¤à¤¾ का मोदी-पहलू, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को मनमोहन-पहलू से अलग दिखाते हà¥à¤ भी, à¤à¤• जैसी ही बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं का वाहक नजर आà¤à¤—ा। हालांकि à¤à¤¸à¤¾ वरà¥à¤—-विमरà¥à¤¶ सà¥à¤µà¤¤: सतà¥à¤¤à¤¾-विमरà¥à¤¶ में समाहित नहीं होगा; जनता का कोई भी विमरà¥à¤¶ आसानी से हो भी नहीं सकता। उसे वांछित उतà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• उपकरण चाहिठजो आज न सतà¥à¤¤à¤¾ के गलियारों में दिखते हैं और न समाज के कूचों में। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द ने साहितà¥à¤¯ को राजनीति के आगे चलने वाली मशाल कहा था। उनकी वरà¥à¤—ीय चेतना की अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® कहानियां इस पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° को खोलने में सहायक हैं। राजनीति के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ही नहीं, हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में। आइठ‘नशा’ दोबारा पà¥à¥‡à¤‚।

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