धरà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² सिंह
जनसतà¥à¤¤à¤¾ 28 अगसà¥à¤¤, 2014 : अपने खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ अधिकार की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के कड़े रà¥à¤– के कारण विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° संगठन (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ) के आका अमीर देश à¤à¤²à¥‡ नाराज हों,
लेकिन अब हमारे समरà¥à¤¥à¤¨ में कà¥à¤› देश और संगठन खà¥à¤² कर सामने आठहैं। पहले पड़ोसी चीन ने समरà¥à¤¥à¤¨ दिया और अब संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के इंटरनेशनल फंड फॉर à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤•à¤²à¥à¤šà¤° डेवलपमेंट (आइà¤à¤«à¤à¤¡à¥€) के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पकà¥à¤· में पैरवी की है। आइà¤à¤«à¤à¤¡à¥€ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° किसी à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लिठअनà¥à¤¯ देशों में रोजगार के अवसर सृजित करने से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ काम अपनी जनता को खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥€ यही चाहता है। जिनेवा में जब डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ वारà¥à¤¤à¤¾ फिर शà¥à¤°à¥‚ होगी तब निशà¥à¤šà¤¯ ही चीन और आइà¤à¤«à¤à¤¡à¥€ के समरà¥à¤¥à¤¨ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अपना पकà¥à¤· मनवाने में मदद मिलेगी।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठखादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कानून कितना जरूरी है, यह जानने के लिठविशà¥à¤µ à¤à¥‚ख सूचकांक (गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² हंगर इंडेकà¥à¤¸) पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालना जरूरी है। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¥‚ख के मोरà¥à¤šà¥‡ पर जिन उनà¥à¤¨à¥€à¤¸ देशों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अब à¤à¥€ चिंताजनक है उनमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• है। रिपोरà¥à¤Ÿ में कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ की शिकार आबादी, पांच साल से कम आयॠके औसत वजन से कम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ और बाल मृतà¥à¤¯à¥ दर (पांच साल से कम आयà¥) के आधार पर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के à¤à¤• सौ बीस देशों का ‘हंगर इंडेकà¥à¤¸â€™ तैयार किया गया और जो देश बीस से 29.9 अंक के बीच में आठउनकी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ चिंताजनक मानी गई है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ 21.3 अंक के साथ पड़ोसी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ (19.3), बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ (19.4) और चीन (5.5) से à¤à¥€ पीछे है। शिकà¥à¤·à¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ, बà¥à¤¤à¥€ सामाजिक-आरà¥à¤¥à¤¿à¤• खाई और महिलाओं की बदतर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के कारण à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विशाल कंगाल (गरीबी रेखा से नीचे) आबादी है।
इसीलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ ने डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ की जिनेवा बैठक में कड़ा रà¥à¤– अपनाया, जिससे अमेरिका, यूरोपीय देश और आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ बिलबिलाठहà¥à¤ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने बैठक में साफ कर दिया कि जब तक उसे अपनी गरीब जनता की खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की गारंटी नहीं मिलेगी तब तक वह वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° संवरà¥à¤§à¤¨ समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ (टीà¤à¤«à¤) को लागू नहीं होने देगा। मनमोहन सिंह सरकार ने पिछले साल संसद में खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कानून पारित किया था, जो देश की लगà¤à¤— असà¥à¤¸à¥€ करोड़ आबादी को ससà¥à¤¤à¤¾ अनाज मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ करने की गारंटी देता है।
इस कानून के अंतरà¥à¤—त जरूरतमंद लोगों को तीन रà¥à¤ªà¤ किलो की दर पर चावल, दो रà¥à¤ªà¤ किलो गेहंू और à¤à¤• रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ किलो के हिसाब से मोटे अनाज (बाजरा, जà¥à¤µà¤¾à¤° आदि ) पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना सरकार की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है। नया कानून लागू हो जाने पर सरकार को करोड़ों रà¥à¤ªà¤ की सबसिडी देनी पड़ रही है। इस साल के बजट में वितà¥à¤¤à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरà¥à¤£ जेटली ने खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कानून लागू करने के लिठà¤à¤• सौ पचास लाख करोड़ रà¥à¤ªà¤ का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ रखा है।
डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ के कृषि करार (à¤à¤“à¤) के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° किसी à¤à¥€ देश का सबसिडी बिल उसकी कà¥à¤² कृषि पैदावार का दस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक नहीं हो सकता। पिछले साल बाली (इंडोनेशिया) की डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ बैठक में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने जब इस दस फीसद पाबंदी का पà¥à¤°à¤¬à¤² विरोध किया तो उसे चार साल तक की छूट दे दी गई। छूट के बदले अमीर देशों ने इस वरà¥à¤· 31 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से टीà¤à¤«à¤ लागू करने की शरà¥à¤¤ रखी थी। टीà¤à¤«à¤ पर अमल का सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लाठअमीर देशों को होगा, इसलिठवे इसे जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ लागू कराना चाहते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मांग है कि टीà¤à¤«à¤ लागू करने से पहले कृषि सबसिडी विवाद का सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ हल खोजा जाना चाहिà¤à¥¤ उसे डर है कि टीà¤à¤«à¤ लागू हो जाने से उसके हाथ बंध जाà¤à¤‚गे। चार साल की छूट खतà¥à¤® हो जाने के बाद अमीर देश दस फीसद खादà¥à¤¯ सबसिडी की शरà¥à¤¤ उस पर थोप देंगे।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आज दो तरह की खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ सबसिडी चालू है। पहली सबसिडी किसानों को दी जाती है। यह सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ससà¥à¤¤à¤¾ उरà¥à¤µà¤°à¤• और बिजली-पानी मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराने और नà¥à¤¯à¥‚नतम फसल खरीद मूलà¥à¤¯ तय करने के रूप में दी जाती है। दूसरी सबसिडी उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को मिलती है।
राशन की दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से मिलने वाला ससà¥à¤¤à¤¾ गेहूं-चावल इस शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में आता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दोनों तरह की सबसिडी दी जा रही है और उसका सबसिडी बिल कà¥à¤² खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ उपज के दस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक है। डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अगर कोई देश करार का उलà¥à¤²à¤‚घन करता है तो उसे अपना खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤‚डार अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ निगरानी में लाना पड़ेगा। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धों की मार à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥€ पड़ेगी, सो अलग। à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤¸à¥‡ इकतरफा नियमों का विरोध कर रहा है।
डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ का कोई à¤à¥€ समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ सदसà¥à¤¯ देशों की सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¤à¤¿ से लागू हो सकता है। विकसित देश à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर आरोप लगा रहे हैं कि विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° के सरलीकरण के लिठजरूरी टीà¤à¤«à¤ की राह में वह रोड़े अटका रहा है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के नकारातà¥à¤®à¤• रवैठके कारण उनके निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ को à¤à¤¾à¤°à¥€ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चेगा। उनका मानना है कि टीà¤à¤«à¤ लागू हो जाने से विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° में दस खरब डॉलर की वृदà¥à¤§à¤¿ होगी और 2.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
सच यह है कि अमेरिका और यूरोपीय देश अà¤à¥€ तक मंदी की मार से पूरी तरह उबर नहीं पाठहैं। अपना माल बेचने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤, चीन, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ और बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤² जैसे विकासशील देशों के विशाल बाजार की दरकार है। टीà¤à¤«à¤ लागू हो जाने से करों की दरें कम होंगी और खरà¥à¤šà¥‡ घटेंगे। इससे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की मंडियों में उनका माल कम कीमत पर मिलेगा।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ और उसके समरà¥à¤¥à¤• विकासशील देशों का मत है कि बड़े देशों को रास आने वाले टीà¤à¤«à¤ पर अमल से पहले उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी जनता को खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने का अधिकार दिया जाना चाहिà¤à¥¤ हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ पर बाली में बनी सहमति से पलट जाने का आरोप लगाने वाले अमीर देश यह à¤à¥‚ल जाते
हैं कि अपना हित साधने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 2005-2006, 2008-2009 और 2013 में कैसे-कैसे अड़ंगे लगाठथे। विशà¥à¤µ बिरादरी की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर अमेरिका आज à¤à¥€ अपने किसानों को हर साल बीस अरब डॉलर (बारह खरब रà¥à¤ªà¤) की सबसिडी देता है और इसी के बूते खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ कर पाता है। आंकड़े गवाह हैं कि देश की 17.5 फीसद आबादी कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ की शिकार है और चालीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का वजन औसत से कम है। बाल मृतà¥à¤¯à¥ दर à¤à¥€ 6.1 फीसद है। अरà¥à¤¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अगर कोई सरकार ‘इंकà¥à¤²à¥‚सिव गà¥à¤°à¥‹à¤¥â€™ मॉडल को ईमानदारी से अपनाठतो विकास दर में जितने फीसद वृदà¥à¤§à¤¿ होगी उसकी आधी दर से कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ में कमी आà¤à¤—ी। उदाहरण के लिà¤, अगर विकास दर में चार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ के हिसाब से बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ होती है तो कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ दो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ के हिसाब से कम होना चाहिà¤à¥¤ हमारे देश में 1990-2005 के बीच औसत विकास दर 4.2 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ रही, लेकिन इस दौरान कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ में कमी आई महज 0.65 फीसद। इसका अरà¥à¤¥ यही है कि खà¥à¤²à¥€ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ अपनाने का लाठगरीब और कमजोर वरà¥à¤— को न के बराबर मिला है।
आज जहां à¤à¤• ओर करोड़ों लोगों को दो जून की रोटी नसीब नहीं है, वहीं दूसरी तरफ बेवजह खाकर मोटे हो रहे लोगों का बà¥à¤¤à¤¾ आंकड़ा देश और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में गरीबों-अमीरों के बीच चौड़ी होती खाई को उजागर करता है। फिलहाल पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ के शिकार असà¥à¤¸à¥€ करोड़ लोग हैं, जबकि मोटापे की शिकार आबादी à¤à¤• अरब है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ संपनà¥à¤¨ तबके में वजन बà¥à¤¨à¥‡ का चलन à¤à¤• महामारी बन चà¥à¤•à¤¾ है।
खादà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ कृषि संगठन (à¤à¤«à¤à¤“) के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की à¤à¤°à¤ªà¥‚र पैदावार होने से पिछले साल गेहूं के मूलà¥à¤¯ में सोलह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤, चावल में तेईस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ और मकà¥à¤•à¤¾ में पैंतीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कमी आई थी। तब मानसून की मेहरबानी से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की पैदावार बà¥à¥€à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठता है कि जब देश और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की कोई कमी नहीं है फिर कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ की शिकार आबादी कम कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं हो रही?
हाल ही में आई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘फीडिंग इंडिया: लाइवलीहà¥à¤¡, à¤à¤‚टाइटेलमेंट à¤à¤‚ड कैपैबिलिट’ में इसका उतà¥à¤¤à¤° खोजा जा सकता है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लेखकों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ पैदावार की नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ पैदावार जरूरतमंदों तक पहà¥à¤‚चाने से जà¥à¥œà¥€ है।
खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ विधेयक के पैमाने पर इसे कस कर देखने से à¤à¥€ कई चौंकाने वाले तथà¥à¤¯ सामने आते हैं। नà¥à¤¯à¥‚नतम खरीद मूलà¥à¤¯ के तहत सरकार को गेहूं की कीमत औसत चौदह रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ किलो पड़ती है। इसमें परिवहन, मंडी कर, à¤à¤‚डारण, अनाज बोरों में à¤à¤°à¤¨à¥‡, कमीशन, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• खरà¥à¤š और बà¥à¤¯à¤¾à¤œ को जोड़ दिया जाठतो लागत लगà¤à¤— दोगà¥à¤¨à¤¾ हो जाती है। सरकार के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° और कालाबाजारी के कारण राशन का तीस से चालीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ अनाज जनता तक पहà¥à¤‚च ही नहीं पाता है। अगर इस चोरी को à¤à¥€ जोड़ दिया जाठतो लागत आंकड़ा और ऊपर हो जाà¤à¤—ा।
घोर गरीबी के कारण देश की लगà¤à¤— à¤à¤• चौथाई जनता बीमारी, बेरोजगारी और अकाल का मामूली-सा à¤à¤Ÿà¤•à¤¾ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में à¤à¥€ नहीं है। समसà¥à¤¤ सरकारी दावों के बावजूद करोड़ों गरीबोें को विकास की मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ से जोड़ा नहीं जा सका है।
दूसरी तरफ देश में अरबपतियों की संखà¥à¤¯à¤¾ में लगातार हà¥à¤† इजाफा हमारे नीति निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं की पोल खोलता है। गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वैलà¥à¤¥ रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अà¤à¥€ छियासठहजार अरबपति हैं और 2018 आते-आते उनकी संखà¥à¤¯à¤¾ बॠकर 3.02 लाख हो जाà¤à¤—ी। देश में अरबपतियों की संखà¥à¤¯à¤¾ में इजाफे की रफà¥à¤¤à¤¾à¤° छियासठपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है, जो अमेरिका (41 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤), फà¥à¤°à¤¾à¤‚स (46 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤), जरà¥à¤®à¤¨à¥€ (46 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤), बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ (55 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤) और आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ (48 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤) से à¤à¥€ अधिक है।
डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ को लगता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कानून से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अनाज बाजार में असà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ आà¤à¤—ी और अंतत: खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की कीमतों में à¤à¤¾à¤°à¥€ उतार-चà¥à¤¾à¤µ होगा। सवा अरब की आबादी का पेट à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ में गेहंू-चावल और अनà¥à¤¯ खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। फिलहाल खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ के मोरà¥à¤šà¥‡ पर देश आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° है, लेकिन à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में सूखे या बाॠसे अगर पैदावार घट गई तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ में गेहूं-चावल आयात करना पड़ेगा। निशà¥à¤šà¤¯ ही तब अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बाजार में कीमतें आसमान छूने लगेंगी। लेकिन इस लचर तरà¥à¤• को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया जा सकता। किसी à¤à¥€ देश की सरकार की पहली जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ अपनी जनता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ होती है और जनता के à¤à¥‹à¤œà¤¨ का इंतजाम करना उसका उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ है। इस उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ पर सवाल उठाने का अधिकार किसी देश या अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संगठन को नहीं दिया जा सकता।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ का मानना है कि डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ के अधिकतर नियम खà¥à¤²à¥€ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के पैरोकार विकसित देशों के हित में हैं। अपने बाजार को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° देने के लिठवे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के गरीब मà¥à¤²à¥à¤•à¥‹à¤‚ को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। लेकिन कोई à¤à¥€ विकासशील या गरीब देश अपने हितों की अनदेखी नहीं कर सकता। à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने बलि का बकरा बनने से इनकार कर बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ काम किया है।
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