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कानून, कारागार और कैदी

केपी सिंह

 à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 19 सितंबर, 2014: उचà¥à¤šà¤¤à¤® नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने हाल ही में वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दी है कि उन विचाराधीन आरोपियों को

तà¥à¤°à¤‚त जमानत पर रिहा किया जाठजिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने ऊपर लगे अभियोग की संभावित अधिकतम सजा का आधा समय बतौर आरोपी जेल में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर लिया है। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने यह भी निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया है कि जिला नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सेवा पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ से संबंधित नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• अधिकारी अपने अधिकार-कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारावास पर जाकर इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कैदियों की रिहाई के लिठआवशà¥à¤¯à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की निगरानी करेंगे। इन आदेशों के बाद लंबी अवधि से जेलों में बंद विचाराधीन कैदी रिहा हो सकेंगे। पर उनका कà¥à¤¯à¤¾ होगा, जो थोड़े समय के लिठविचाराधीन कैदी के रूप में जेल भेज दिठजाते हैं। विचाराधीन कैदियों का जेलों में कà¥à¤¯à¤¾ काम?

यह पहली बार नहीं है कि लंबे समय से जेलों में बंद आरोपियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ चिंता वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की गई हो। वरà¥à¤· 2010 में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ विधिक अभियान के तहत भी विचाराधीन कैदियों की संखà¥à¤¯à¤¾ कम करने का बीड़ा उठाया गया था। पर धरातल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी हà¥à¤ˆ है। देश की 1353 जेलों में बंद कà¥à¤² तीन लाख पचासी हजार कैदियों में दो लाख चौवन हजार विचाराधीन कैदी हैं। यानी लगभग दो तिहाई कैदी à¤à¤¸à¥‡ हैं, जो बिना सजा के जेलों में बंद हैं। इस परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का फैसला सà¥à¤µà¤¾à¤—त-योगà¥à¤¯ है।

विचाराधीन कैदियों की इतनी अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ के पीछे मूलत: पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ के अधिकार का दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— है। भारत में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· लगभग पचहतà¥à¤¤à¤° लाख वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किठजाते हैं। इनमें लगभग असà¥à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ छोटे-मोटे अपराधों में संलिपà¥à¤¤ होते हैं जिनमें सात साल तक की सजा का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है। à¤à¤¸à¥‡ अपराधियों के भाग जाने, अदालत में हाजिर न होने या गवाहों को डराने-धमकाने की आशंका लगभग न के बराबर होती है। इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचाराधीन कैदी के रूप में जेल भेजने का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कानूनी आधार पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के पास नहीं होता। फिर भी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सभी आरोपियों को जेल भेजती रहती है। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करती है?

आपातकाल के बाद पà¥à¤²à¤¿à¤¸ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के लिठगठित धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° आयोग ने कहा था कि लगभग इकसठ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जरूरी नहीं होतीं। वरà¥à¤· 1994 में जोगेंदà¥à¤° सिंह पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में उचà¥à¤šà¤¤à¤® नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने कहा था कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को केवल उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मामलों में आरोपियों को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करना  à¤šà¤¾à¤¹à¤¿à¤ जहां इसकी जरूरत हो; जिन मामलों में गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ किठबिना तफतीश पूरी हो सकती हो वहां आरोपी की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ नहीं की जानी चाहिà¤à¥¤ वरà¥à¤· 2000 में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मानवाधिकार आयोग की तरफ से जारी दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ में भी यही हिदायत दी गई थी। आपराधिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में सà¥à¤§à¤¾à¤° के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से बनाई गई मलीमथ कमेटी ने भी वरà¥à¤· 2000 में अपनी रिपोरà¥à¤Ÿ में अनावशà¥à¤¯à¤• गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर चिंता वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हà¥à¤ कà¥à¤› सà¥à¤à¤¾à¤µ दिठथे। इस सबके बावजूद गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ साल-दर-साल बà¥à¤¤à¥€ रही। संभवत: पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अपने सबसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अधिकार यानी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ के अधिकार में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कटौती के सà¥à¤à¤¾à¤µ को मानने के लिठतैयार नहीं थी।

संजà¥à¤žà¥‡à¤¯ अपराधों में संलिपà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करने के लिठकानून पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को अधिकृत करता है। पर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• संजà¥à¤žà¥‡à¤¯ अपराध में गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ जरूरी है। कानून की इस निहित भावना को वरà¥à¤· 2010 में पà¥à¤¨: दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता में à¤à¤• नई धारा 41-ठजोड़ कर सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया गया था। इस नठपà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, सात वरà¥à¤· से कम सजा वाले मामलों में अगर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ किसी को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करना चाहती है तो उसे गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ की जरूरत को कारण बता कर सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करना होगा। 

इसके बावजूद सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सà¥à¤§à¤¾à¤° नहीं हà¥à¤†à¥¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अपराध रिकारà¥à¤¡ बà¥à¤¯à¥‚रो के आंकड़े बताते हैं कि 2010 के बाद दो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में ही देश में गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कà¥à¤² वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ लगभग चौहतà¥à¤¤à¤° लाख से बॠकर उनासी लाख हो गई। 

पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कानून के साथ लà¥à¤•à¤¾-छिपी का खेल कà¥à¤› हद तक माना जा सकता है। पर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अदालतों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जमानत पर छोड़ने के बजाय विचाराधीन कैदी के रूप में जेल भेज देने की मानसिकता à¤à¤• विचारणीय विषय है। कानून की भावना यह है कि सात वरà¥à¤· तक की सजा वाले अपराधों से संबंधित मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ में आमतौर पर आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिà¤à¥¤ पर à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो रहा है। अधिकतर आरोपियों को कà¥à¤› समय के लिठविचाराधीन कैदी के रूप में जेल जरूर भेजा जाता है। इस मानसिकता को समà¤à¤¨à¥‡ और बदलने की जरूरत है।

आंकड़े जाहिर करते हैं कि लगभग अड़तीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विचाराधीन कैदियों को पहले तीन महीने के भीतर जेल से जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। लगभग साठ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विचाराधीन कैदियों को à¤à¤• वरà¥à¤· के अंदर जमानत मिल जाती है। यह समठसे परे है कि जब साठ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विचाराधीन कैदियों को साल भर के भीतर जमानत पर छोड़ दिया जाता है, तो फिर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जेल भेजा ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ गया था? उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचाराधीन कैदी के रूप में कà¥à¤› दिनों के लिठजेल भेज कर सबक सिखाना इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कारावास का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° तरà¥à¤• दिखाई देता है। पर यह कानून की मूल भावना के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है।

उचà¥à¤šà¤¤à¤® नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और अदालतों की मानसिकता को बखूबी समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हाल में अरनेश कà¥à¤®à¤¾à¤° बनाम बिहार सरकार पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और अदालतों के लिठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ आदेश जारी किठहैं। इनमें कहा गया है

कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ करते समय दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता की धारा 41ठके पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ जरूरत के आधार पर ही आरोपियों को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°   करेगी। अदालतों पर भी यह जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ डाली गई है कि जब उनके समकà¥à¤· किसी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पेश किया जाता है तो इस बात की समीकà¥à¤·à¤¾ की जाठकि कà¥à¤¯à¤¾ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ जरूरी थी? अगर नहीं, तो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जमानत पर छोड़ने पर विचार किया जाना चाहिà¤à¥¤ सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने यह भी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दी है कि इन दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ की अवहेलना करने वाले पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• अधिकारी अदालत की अवमानना के पातà¥à¤° माने जाà¤à¤‚गे।काफी संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤¸à¥‡ विचाराधीन कैदी भी हैं जो कानून की अनभिजà¥à¤žà¤¤à¤¾ के चलते या उचित पैरवी के अभाव में जेलों में बंद हैं। दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता की धारा 436ठउन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर छोड़ने का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ करती है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अभियोग के लिठसंभावित अधिकतम सजा का आधा समय जेल में गà¥à¤œà¤¾à¤° लिया हो। धारा 436 यह पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ भी करती है कि जमानतीय मामलों में बंद उन आरोपियों को à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के बाद उनके निजी मà¥à¤šà¤²à¤•à¥‡ पर रिहा कर दिया जाठजिनके लिठकोई जमानत देने के लिठतैयार नहीं है। इसके अलावा, दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता की धारा 167(2) और धारा 437(6) में भी तफतीश और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ में होने वाली देरी की वजह से विचाराधीन कैदियों को जमानत पर छोड़ने के पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ हैं, जिनका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— उतना नहीं हो रहा है जितना होना चाहिà¤à¥¤ 

विचाराधीन कैदियों की संखà¥à¤¯à¤¾ कम करने के उदà¥à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से 2006 में दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता में à¤à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ संशोधन करके ‘पà¥à¤²à¥€ बारà¥à¤—ेनिंग’ का नया अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ जोड़ा गया। इसके तहत सात साल तक की सजा के मामलों में आपसी सहमति से मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ का निपटारा करने का विकलà¥à¤ª पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया गया है। अभियà¥à¤•à¥à¤¤ अपना अपराध सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने के à¤à¤µà¤œ में सजा में आधी से अधिक छूट पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके रिहा हो सकता है। अमेरिका और अनà¥à¤¯ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों में यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° आरोपियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाया जा रहा है। पर भारत में यह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— विफल रहा है। 

भारत में ‘पà¥à¤²à¥€ बारà¥à¤—ेनिंग’ के पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• नहीं हैं, जिसके कारण विचाराधीन कैदी इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं कर रहे हैं। इन पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• बना कर विचाराधीन कैदियों की संखà¥à¤¯à¤¾ और कम की जा सकती है। दंड पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ संहिता की धारा 320 में उन अपराधों की सूची दी गई है जिनमें पकà¥à¤·à¤•à¤¾à¤° आपस में समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ करके लोक अदालतों के माधà¥à¤¯à¤® से मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ का निपटारा कर सकते हैं। इस सूची में अनेक छोटे अपराधों को जोड़ कर इस पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ का दायरा बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जा सकता है।

पर इन सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कारगर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ मलीमथ कमेटी का था। उसने सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ था कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ का अधिकार देने वाले संजà¥à¤žà¥‡à¤¯ अपराधों की संखà¥à¤¯à¤¾ कम की जाà¤à¥¤ कà¥à¤› संगीन अपराधों को छोड़ कर बाकी मामलों को असंजà¥à¤žà¥‡à¤¯ अपराध के रूप में पà¥à¤¨: वरà¥à¤—ीकृत किया जाठताकि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ इन मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ में गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ ही न कर सके। इन अपराधों को इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वरà¥à¤—ीकृत किया जा सकता है कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बिना अदालत की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ के आरोपियों को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° न कर सके। 

दà¥à¤°à¥à¤­à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ इस सà¥à¤à¤¾à¤µ पर अभी तक सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं गया है, जबकि इस पर अमल करने की सबसे अधिक जरूरत है। भारत में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का à¤à¤• पहलू और है। अपराध-पीड़ित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चाहता है कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ उसकी हिमायती बन कर आरोपी को तà¥à¤°à¤‚त गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करे, चाहे मामला छोटे-मोटे अपराध का ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो। नागरिकों को जागरूक करने की जरूरत है कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ à¤à¤• कानूनी तंतà¥à¤° है, शिकायतकरà¥à¤¤à¤¾ की पकà¥à¤·à¤§à¤° à¤à¤œà¥‡à¤‚सी नहीं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह भी बताने की जरूरत है कि अब पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‡ में आरोपियों को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करना पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के लिठकानूनन जरूरी नहीं है।

भारत जैसे देश में संगीन अपराधों में शामिल कà¥à¤› अपराधियों को तà¥à¤°à¤‚त गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करके कारावास में डालना हमेशा à¤à¤• जरूरत रहेगी। पर छोटे अपराधों के मामलों में इतनी अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ में विचाराधीन कैदियों को जेल में रखना नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के मानà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। विचाराधीन कैदियों में लगभग पचहतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ बाइजà¥à¤œà¤¤ बरी हो जाते हैं; उनकी कैद के दिनों की भरपाई कौन करेगा? कारागार सजायाफà¥à¤¤à¤¾ कैदियों के ही आवास होने चाहिà¤à¥¤ 

इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठकानून में बदलाव के साथ-साथ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• अधिकारियों की मानसिकता बदलना भी बहà¥à¤¤ जरूरी है। इस विषय पर नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• अंग को संवेदनशीलता के साथ विचार करना चाहिà¤à¥¤ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ उचà¥à¤šà¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गैर-जरूरी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से जवाबदेह बना कर विचाराधीन कैदियों की संखà¥à¤¯à¤¾ और भी कम की जा सकती है।

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