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रहस्य : रियल लाइफ में कैसा था मोगली? यूपी के आगरा में कैसे हुई उसकी मौत

90 के दशक में अमूमन हर बच्चे के लिए जंगल बुक का मोगली उनका प्रिय कार्टून केरेक्टर रहा होगा, लेकिन क्या आप जानते थे, कि वास्तविक जीवन में मोगली मौजूद था?

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में मौजूद घने जंगलों के बीच शिकारियों के एक समूह ने भेड़ियों के साथ एक 6 साल के बच्चे को देखा था। ऐसा कहा गया कि लड़के को भेड़ियों ने अपना लिया है। वह उसे अपने बच्चे की तरह पाल रहे थे।

इतिहास में ऐसी कई अप्रत्याशित घटनाएं हुई हैं जहां जंगली जानवरों द्वारा मनुष्य के बच्चों को उठाया गया और उन्हें वो अपने बच्चों की तरह ही पालते थे। ऐसे बच्चों को ‘फॉरल चिल्ड्रन’ (मनुष्य के वो बच्चे जिन्हें जानवर उठा कर ले गए और उन्हें अपने बच्चों की तरह पालने लगे) के रूप में जाना जाता है।

शिकारियों ने इसे अप्राकृतिक माना और वहां से फॉरल बच्चे निकालने का फैसला किया और उन्हें मानव सभ्यता में वापस ले लिया। उन्होंने गुफा में आग लगा दी जिससे लड़का तो पकड़ लिया गया, लेकिन मादा भेड़िया को मारना पड़ा। लड़के को आगरा के पास सिकंदरा मिशन अनाथालय में ले जाया गया जहां उसे दीना सनीचर के नाम से पहचाना गया।

‘वह एक चेन स्मोकर बन गया। कहा जाता है कि उसकी मौत का कारण वह खुद था। मौत के बाद उसकी जिंदगी पर लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने द जंगल बुक लिखी गई जो काफी पॉपुलर हुई, इसी बुक को आधार मानकर कई मूवी बनाई गईं।’

फॉरल बच्चों में अक्सर बुनियादी सामाजिक कौशल की कमी होती है और वह लड़खड़ते हुए चलते है। ऐसा उस दस्तावेज में कहा गया जो दीना सनीचर के बाद लिखा गया। दीना का जब रेस्क्यू किया गया तो यह पहला मामला नहीं था, उस समय भारत के अलग-अलग हिस्सों से चार अन्य भेड़ियों द्वारा इंसान के बच्चों को उठाकर उन्हें अपना लेने के मामले सामने आए थे।

दीना भेड़ियों के चंगुल से बचा लेने के कई साल तक एक भेड़िए की तरह ही जिंदगी जीता था। वो भेड़ियों की तरह चिल्लाता था, कच्चा मांस अपने दांतों से काटकर खाया करता था। बाद में अनाथालय के कर्मचारियों ने उसे सामान्य रूप से खाना खिलाना शुरू किया, लेकिन वह चुप रहा।

दीना महज 34 साल तक ही जिंदा रहा उसकी मौत क्षय रोग के कारण हुई। अनाथालय में रहने के दौरान उसमें थोड़ा सुधार देखा गया वह प्लेट में खाना खा लिया करता था और सीधे खड़े होकर चलना सीख रहा था। दीना सारी जिंदगी भेड़ियों की तरह ही जीता रहा, लेकिन उसने मनुष्य की एक आदत को अपना लिया वह धुम्रपान (स्मोकिंग) करने लगा। वह एक चेन स्मोकर बन गया। कहा जाता है कि उसकी मौत का कारण वह खुद था। मौत के बाद उसकी जिंदगी पर लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने द जंगल बुक लिखी गई जो काफी पॉपुलर हुई, इसी बुक को आधार मानकर कई मूवी बनाई गईं।

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