चित्र : दाएं से, राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू, यशवंत सिन्हा, उप राष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा।
द्रौपदी मुर्मू, बीजेपी की ओर से ‘राष्ट्रपति पद की’ उम्मीदवार हैं। यदि वो राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं, तो भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्रतिभा पाटिल को मिला, बाद में उनके बारे में कई विवादित चर्चाएं भी सामने आईं।
विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। बीते दिनों जब वो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आए तो उन्होंने केंद्रीय सत्ता पक्ष की खामियों को न केवल गिनवाया बल्कि उन्हें सुधारने के लिए वो क्या कदम उठाएगें इस बारे में भी बताया।
अगर राजनीतिक चर्चाओं से इतर, राजनीतिक गणित देखें तो जीत के लिए बीजेपी द्वारा राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की दावेदारी ज्यादा प्रभावशाली लगती है, क्योंकि दोनों सदनों में उनके (बीजेपी और उम्मीदवार) समर्थक ज्यादा हैं, लेकिन परिणाम क्या होगा, ये चुनाव होने के बाद ही पता चलेगा।
जगदीप धनखड़ बीजेपी की ओर से, उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। विपक्ष की ओर से मार्गरेट अल्वा, वो राजस्थान की राज्यपाल रही हैं। उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की आम सचिव हैं। वे मर्सी रवि अवॉर्ड से सम्मानित हैं।
यदि राष्ट्रपति/उप राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों की उम्मीदवारी के चयन को क्रमश: ध्यान से देखें तो द्रौपदी मुर्मू (आदिवासी), यशवंत सिन्हा (मोदी सरकार के आलोचक, पूर्व में बीजेपी नेता), जगदीप धनखड़ (जाट) और मार्गरेट अल्वा (मोदी सरकार की आलोचक) हैं। मार्गरेट अल्वा गुजरात में 7 जुलाई, 2014 से लेकर 16 जुलाई, 2014 तक राज्यपाल के पद पर थी। गुजरात में 9 दिन राज्यपाल के रूप में सेवाएं दी हैं। उस समय गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल थीं।
करीब दो साल पहले, जयपुर लिटलेचर फेस्टिवल में मार्गरेट अल्वा ने कहा था कि न्याय व्यवस्था को संविधान और अधिकारों का रक्षक होना चाहिए, उसने हमें विफल किया। राज्यपाल को निष्पक्ष होना चाहिए, पार्टी के एजेंट के रूप में काम नहीं करना चाहिए। मौजूदा बीजेपी सरकार में देश के ऐसे कई राज्यपाल हैं जो पार्टी के एजेंट के तौर पर तथाकथित तौर पर कार्य करते हैं?
विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और उप राष्ट्रपति उम्मीदवार मार्रगेट अल्वा दोनों ही संवैधानिक पदों और संस्थाओं के साथ हो रही छेड़छाड़ के बारे में खुलकर बात करते हैं। जब कि बीजेपी की दोनों उम्मीदवार मौन रहते हैं, वो अमूमन मोदी सरकार की आलोचना करने से परहेज रखते हैं।
राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि कौन सा उम्मीदवार भारत के सर्वोच्च पदों पर सुशोभित होगा, लेकिन बहुमत के आधार पर यदि निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो देश की तकदीर बदल सकती है।
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