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Project Cheetah: भारत में फिर फर्राटा भरेंगे चीते, पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर कूनो पार्क में छोड़ेंगे आठ चीते

विस्तार कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन चीतों को छोड़ेंगे, उनकी उम्र चार से छह साल के बीच है। इन्हें क्वॉरेंटाइन पिंजरों में 30 दिनों के लिए अलग-अलग रखा जाएगा। इसके बाद उन्हें छह वर्ग किमी के नौ विभागों में छोड़ा जाएगा, जहां उनके लिए खतरा बन सकने वाला कोई शिकारी नहीं होगा। 

आइए जानते हैं कि यह चीता प्रोजेक्ट क्या है? क्यों इस पर पूरी दुनिया की नजरें हैं?
1952 में दिखा था आखिरी चीता
ऐसा नहीं है कि भारत में चीते नहीं थे। बहुत सारे थे। पर शिकार और उनका आवास छीन जाने से वे विलुप्त होते गए। भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित मान लिया था। 

चीतों को लाने के 1970 के दशक से हो रहे हैं प्रयास 
चीतों को भारत में फिर से बसाने की योजना पर 1970 के दशक में काम शुरू हो गया था। इसके तहत ऐतिहासिक रूप से जिन इलाकों में चीते रहे हैं, उन्हें फिर से उन्हें बसाया जाना है। नामीबिया के साथ भारत सरकार ने इसी साल 20 जुलाई को चीता रीइंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत आठ चीते लाने का करार हुआ। 

पांच फीमेल और तीन मेल चीता आएंगे
यह अपनी तरह का पहला और अनूठा मिशन है। पांच फीमेल और तीन मेल चीतों को भारत लाया जा रहा है। नामीबिया की राजधानी विंडहोक से कस्टमाइज्ड बोइंग 747-400 एयरक्राफ्ट पर इन चीतों को भारत लाया जाएगा। रातभर यात्रा करने के बाद 17 सितंबर की सुबह चीते जयपुर एयरपोर्ट पर उतरेंगे। उसके बाद उन्हें हेलिकॉप्टर में मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया जाएगा। 

इंटरनेशनल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन चीता कंजर्वेशन फंड (CCF) का हेडक्वार्टर नामीबिया है और यह संस्था चीतों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। जिन पांच फीमेल चीतों को लाया जा रहा है, उनकी उम्र दो से पांच साल के बीच है। वहीं, मेल चीतों की उम्र 4.5 से 5.5 साल के बीच है। मेल चीतों में दो भाई है और वे जुलाई 2021 से नामीबिया को ओटिवारोंगो में सीसीएफ के 58 हजार हैक्टेयर के प्राइवेट रिजर्व में रह रहे थे। सीसीएफ के स्टाफ ने सेंटर के पास उनके पहली बार ट्रैक्स हासिल किए थे। दोनों एक ही झुंड के सदस्य हैं और मिलकर शिकार करते हैं। जो तीसरा मेल चीता है, वह मध्य नामीबिया में प्रोटेक्टेड वाइल्डलाइफ एंड इकोलॉजिकल रिजर्व एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में मार्च 2018 में पैदा हुआ।  उसकी मां का जन्म भी वहीं पर हुआ था। 

आठ चीतों में एक फीमेल है, जो उसके भाई के साथ दक्षिणपूर्वी नामीबिया के गोबासिस शहर के पास जलाशय के पास मिली थी। । दोनों ही बेहद कुपोषित थे और सीसीएफ का मानना था कि उनकी मां जंगल की आग में कुछ हफ्ते पहले मारी गई होगी। यह फीमेल चीता सीसीएफ सेंटर में सितंबर 2020 से रह रही है।  एक अन्य फीमेल चीता को सीसीएफ के पास के एक खेत से जुलाई 2022 में ट्रैप किया था। यह खेत नामीबिया के एक प्रमुख कारोबारी का है।

एक फीमेल चीता का जन्म एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में अप्रैल 2020 में हुआ था। उसकी मां सीसीएफ के चीता रीहेबिलिटेशन प्रोग्राम में थी और उसे दो साल पहले जंगल में सफलतापूर्वक छोड़ा जा चुका है। चौथी फीमेल चीता को गोबासिस में 2017 में कुछ किसानों ने एक खेत के पास पाया था। वह कुपोषित थी। तब उन लोगों ने ही उसकी देखभाल की। जनवरी 2018 में सीसीएफ स्टाफ को इसकी जानकारी लगी और उसे सीसीएफ सेंटर ले आए। सीसीएफ स्टाफ ने फरवरी 2019 में कमानजाब गांव से एक और फीमेल चीता को पकड़ा था। आने के बाद से ही यह चीता चौथी फीमेल चीता की दोस्त है। दोनों पिंजरे में एक साथ ही नजर आती हैं।

बोइंग में किए गए हैं बदलाव
सीसीएफ के मुताबिक चीतों को भारत लाने वाले एयरक्राफ्ट में आवश्यक बदलाव किए गए हैं। ताकि उसमें पिंजरों को एडजस्ट किया जा सके। साथ ही वेटनरी डॉक्टरों को फ्लाइट के दौरान जरूरत के अनुसार देखभाल करने की जगह मिल सके। एयरक्राफ्ट अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज जेट है, जो 16 घंटे तक सीधी उड़ान भर सकता है। यह ईंधन भरने के लिए रुके बिना नामीबिया से सीधे भारत आ सकता है। यह चीतों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।

इस मिशन को अमेरिकी संस्था का समर्थन
चीतों को फिर से बसाने के इस मिशन को अमेरिकी मल्टीडिसिप्लिनरी प्रोफेशनल सोसाइटी एक्सप्लोरर्स क्लब ने फ्लैग्ड एक्पेडिशिन के तौर पर नामित किया है। इससे वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा मिलेगा। 

आठ अधिकारी और विशेषज्ञ करेंगे निगरानी
नामीबियाई चीतों को भारत लाने के मिशन की जिम्मेदारी आठ अधिकारियों और विशेषज्ञों पर है। इनमें नामीबिया में भारत के उच्चायुक्त प्रशांत अग्रवाल, प्रोजेक्ट चीता के चीफ साइंटिस्ट और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के डीन यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से वेटरनरी डॉक्टर  सनथ कृष्ण मुलिया, सीसीएफ के संस्थापक और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर लॉरी मार्कर, सीसीएफ कंजर्वेशन बायोलॉजिस्ट और चीता स्पेशलिस्ट एली वॉकर, सीसीएफ डेटा मैनेजर बार्थलेमी बटाली और सीसीएफ की वेटरनरी डॉक्टर एना बास्टो शामिल हैं।

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