चित्र : जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, जिनकी 08 जुलाई, 2022 को जापान के नारा शहर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
वो साल 2014 था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिंजो आबे से मिले, मोदी और आबे दोनों ने अपनी दोस्ती का इजहार कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर किया। मोदी-आबे की दोस्ती उस समय से है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
बीते दिनों जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें गोली मारने वाला हत्यारा तेत्सुया यामागामी पकड़ा गया है।
शिंजो आबे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। 21 सितंबर, 1954 को जन्में शिंजो आबे पहले साल 2006 से 2007 तक और फिर साल 2012 से 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। वह जापान के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहे।
जबकि, नरेंद्र मोदी गुजरात में 7 अक्टूबर, 2001 से 22 मई, 2014 तक मुख्यमंत्री रहे। वो गुजरात में 12 साल, 7 महीने और 15 दिन तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के सेवक थे। इसके बाद वो प्रधान सेवक बने।
शिंजो आबे के निधन से, मोदी काफी दु:खी थे। उन्होंने अपने ब्लॉग में जिक्र किया है, ‘शिंजो आबे न सिर्फ जापान की एक महान विभूति थे, बल्कि विशाल व्यक्तित्व के धनी एक वैश्विक राजनेता थे। भारत-जापान की मित्रता के वे बहुत बड़े हिमायती थे। बहुत दुखद है कि अब वे हमारे बीच नहीं हैं। उनके असमय चले जाने से जहां जापान के साथ पूरी दुनिया ने एक बहुत बड़ा विजनरी लीडर खो दिया है, तो वहीं मैंने अपना एक प्रिय दोस्त।
मोदी आगे लिखते हैं, ‘शिंजो आबे और मेरे बीच सिर्फ औपचारिक रिश्ता नहीं था। 2007 और 2012 के बीच और फिर 2020 के बाद, जब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, तब भी हमारा व्यक्तिगत जुड़ाव हमेशा की तरह उतना ही मजबूत बना रहा। उनके पास हमेशा नए विचारों का भंडार होता था। इसका दायरा सुशासन और अर्थव्यवस्था से लेकर संस्कृति और विदेश नीति तक बहुत ही व्यापक था। वे इन सभी मुद्दों की गहरी समझ रखते थे।’
भारत-जापान संबंधों को मजबूती देने में उन्होंने ऐतिहासिक योगदान दिया, जिसके लिए वर्ष 2021 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
शिंजो आबे के दौर में ही बुलेट ट्रेन को भारत में चलाने पर समझौता हुआ। बुलेट ट्रेन परियोजना विकसित भारत के एक सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने जा रही है। इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जापान के साथ जो करार हुआ है, वह भी उत्साहजनक है। दूसरे देशों को जिस दर पर जापान ऋण देता है, उससे काफी कम दर पर भारत को इस परियोजना के लिए जरूरी राशि मुहैया करा रहा है। यह प्रोजेक्ट करीब 1 लाख करोड़ रुपए का है, बुलेट ट्रेन का यह प्रोजेक्ट अहमदाबाद से मुंबई तक का है।
वैसे तो मोदी-आबे की दोस्ती की कई किस्से राजनीतिक और कूटनीतिक चर्चाओं का केंद्र रहते हैं लेकिन एक किस्सा यह भी है कि जब साल 2014 भारत में आम चुनाव के बाद मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने जापान की यात्रा की। अगस्त-सितंबर के महीने में कूटनीतिक रिश्तों का करार लेकर जब मोदी टोक्यो पहुंचे तो जापान के शाही महल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शानदार स्वागत हुआ, फिर क्योटो से लेकर टोक्यो तक हर पल हर लम्हा शिंजो और मोदी का साथ-साथ रहना देश ही नहीं, दुनिया में चर्चा का विषय था।
इस यात्रा में कोई प्रोटोकॉल बाधा नहीं बना और दोनों नेता हर पल एक-दूसरे के साथ रहे। दिसंबर, 2015 में जब शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके संसदीय सीट वाराणसी का दौरा किया। दोनों नेताओं ने दशाश्वमेध घाट पर प्रार्थना की और गंगा आरती में शामिल हुए थे। दोनों देशों के लिए यह एक भावुक पल था।
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