उज्जैन में बन रहा नाइट्रोजन प्लांट – फोटो : सोशल मीडिया
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मध्य प्रदेश पशुपालन निगम इन दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह नगर उज्जैन में 5.50 करोड़ की लागत से नाइट्रोजन प्लांट लगा रहा है। यह नाइट्रोजन प्लांट मध्य प्रदेश का छठा प्लांट है। इससे पूर्व इंदौर, भोपाल, सागर, जबलपुर और ग्वालियर में लगाया जा चुका है। उज्जैन प्लांट शुरू होने में लगभग अभी दो से तीन माह का समय और लगेगा, लेकिन इस प्लांट के शुरू होने के पहले ही यह सुर्खियों में बना हुआ है। इसके पीछे की वजह ये है कि प्लांट का निर्माण करने वाली न्यूजीलैंड की स्टर्लिंग क्रायोजैनिक कंपनी को नियमों की अनदेखी कर पहले ही करोड़ों रुपयों का भुगतान कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश पशुपालन निगम द्वारा इन दिनों एमआर 5 मार्ग स्थित सेंटपॉल स्कूल के पास पशुपालन निगम की जमीन पर नाइट्रोजन प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर कमरों के निर्माण के साथ ही मशीनरी भी लगा दी गई है। इस मामले के सुर्खियों में रहने का सबसे बड़ा कारण यह है कि शुरुआत से ही गड़बड़ी सामने आने लगी है। एक शिकायत 18 मार्च 2023 को पशुपालन निगम प्रबंधन के साथ ही ईओडब्ल्यू सहित कई भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को की गई थी, जो कि जांच के दायरे में है। इसमें टेंडर शर्तों का उल्लंघन शुरू से ही किया गया है। यह टेंडर 10 अगस्त 2022 को जारी किया गया था, जिसकी शर्तों के अनुसार टेंडर जारी होने से 6 माह के अंदर यह निर्माण कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था। लेकिन यह काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसके अलावा इस तरल नाइट्रोजन संयंत्र को केवल फ्रीजिंग के लिए स्थापित किया था, लेकिन पशुपालन निगम प्रबंधन ने इसमें भी शुद्धता का अड़ंगा लगाया था। जबकि याद रहे कि फ्रीजिंग के लिए शुद्धता का कोई पैमाना नहीं होता है बल्कि फ्रीजिंग का काम सिर्फ और सिर्फ टेंपरेचर को देखना होता है। इसमें कंपनी स्टर्लिंग क्रायोजैनिक न्यूजीलैंड को उज्जैन में प्लांट लगाने का ठेका देने में नियमों का उल्लंघन करने का विवरण दिया गया था। इसमें भी 75 प्रतिशत का भुगतान अभी तक ठेका शर्त नंबर 7 का उल्लंघन करके किया जा चुका है।
पशुपालन विभाग के उपसंचालक ने झाड़ा पल्ला
इस पर मामलों को लेकर जब पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. एमएल परमार से चर्चा की गई तो उन्होंने सबसे पहले यह कहकर पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया कि नाइट्रोजन प्लांट को लेकर जो भी कार्य किए जा रहे हैं, वे भोपाल से मिले दिशा निर्देश के अनुसार ही हो रहे हैं। मध्य प्रदेश पशुपालन निगम द्वारा किस कंपनी को ठेका दिया गया। उन्होंने क्या सही किया-क्या गलत किया, हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।
परमार ने कहा कि यह एक लिक्विड नाइट्रोजन प्लांट है, पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के दौरान इसकी आवश्यकता पड़ती है। पहले इसे बाहर से बुलवाया जाता था और सीमन को रिजर्व किया जाता था, जिसके लिए काफी रुपया खर्च होता था। संभाग में इसकी काफी समय से आवश्यकता थी। पशुधन कुक्कुट विभाग विकास निगम द्वारा इसे बनाया जा रहा है। इससे संपूर्ण उज्जैन संभाग के साथ ही दुग्ध संघ को भी बेनिफिट होगा। कुक्कुट विकास निगम इसका निर्माण कर रहा है इसके अलावा हमें कोई जानकारी नहीं है।
नाइट्रोजन प्लांट को लेकर कई बार दावे-आपत्ति आ चुकी है आपने इस पर क्या किया?
परमार ने कहा कि हमारा कार्य सिर्फ और सिर्फ उज्जैन से जुड़े मामलों को निपटाना है। पूर्व में निर्माण कार्य के दौरान भूमि का विरोध आया था, जिसे हमने अपने स्तर पर सुलझाया है। इस मामले में जो भी दावे-आपत्ति या और कोई परेशानी आती है तो इसे भोपाल के माध्यम से ही सुलझाया जा रहा है। इस मामले में वर्ष 2022 में टेंडर पर आपत्ति ली गई थी और बाद में भी कई शिकायतें हुई हैं। इस पर आपने कहा कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है वर्ष 2024 में इसके लिए राशि जारी हुई है तभी से मैं इस कार्य को देख रहा हूं।
प्रदेश में दो प्लांट बंद हो चुके हैं, फिर से बनाने की आवश्यकता क्या?
मध्य प्रदेश में नाइट्रोजन के दो प्लांट ग्वालियर और जबलपुर में बंद हो चुके हैं। ऐसे में उज्जैन के प्लांट को बनाने पर आपने कहा कि शासन स्तर पर मांग के अनुसार इस प्लांट को बनाया जा रहा है। आगे प्लांट किस प्रकार से काम करेगा यहां नाइट्रोजन गैस सस्ते में उपलब्ध कराई जाएगी या इसकी राशि अधिक रहेगी, सब कुछ मध्य प्रदेश पशुपालन निगम ही तय करेगा।
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