शाजापुर में मुहर्रम पर दुलदुल साहब को इमामबाड़े से निकाला गया। – फोटो : अमर उजाला
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रसूल-ए-पाक के नवासों की शहादत का पर्व मुहर्रम चांद दिखाई देने के बाद शुरू हो गया है। कर्बला के शहीदों की याद में हर आंख नम हो गई। रविवार को चांद दिखने के बाद से मुहर्रम की शुरुआत हुई और मुस्लिमजन शोहदा-ए-कर्बला के जिक्र में मशगुल हो गए। मुहर्रम का आगाज होते ही मुस्लिम समाजजनों ने दुलदुल, ताजियों को सजाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसी कड़ी में मुहर्रम की पहली तारीख पर सोमवार को एशिया के सबसे बड़े दुलदुल को मुस्लिमजनों ने इमामबाड़ा से निकालकर छोटा चौक स्थित चौकी पर विराजित किया।
मुहर्रम पर्व को लेकर समाजजनों ने विभिन्न तैयारियां की हैं। नगर के विभिन्न अखाड़ों द्वारा भी नौबत-ताशा बजाने की रिहर्सल के साथ अखाड़ा खेलने और छबील पिलाने का दौर भी शुरू हो गया है। मुहर्रम पर्व के शुरू होने के साथ ही जगह-जगह मजलीस और छबील पिलाने का दौर भी शुरू हो गया है। रात को मजलीस में शोहदा-ए-कर्बला को याद कर फातेहा पढ़ी जा रही है। घरों पर दूध और शरबत की छबील पिलाई जा रही है। साथ ही दलीम खिचड़ा खिलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। मुहर्रम पर्व पर बांटी जाने वाली विशेष मिठाई रेवड़ी की दुकानें भी सज गई हैं। हुसैनी चौक में रौनक का माहौल दिखाई देने लगा है। बच्चों के लिए छोटे दुलदुल और बुर्राक भी बाजार में पहुंच गए हैं। स्थानीय आजाद चौक स्थित मस्जिद पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है।
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