चंद्रकला दिवगैया – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश नर्सिंग घोटाले मामले में डॉ. मोहन सरकार सख्त रुख अपनाए हुए है। नर्सिंग के अयोग्य कॉलेजों को मान्यता देने के मामले में तत्कालीन रजिस्ट्रार शिजू को बर्खास्त करने के बाद अब चंद्रकला दिवगैया की भी सेवा समाप्त कर दी गई है। सुनीता शिजू से पहले दिवगैया नर्सिंग काउंसलिंग की रजिस्ट्रार थीं।
जानकारी के अनुसार चंद्रकला दिवगैया के कार्यकाल में मध्य प्रदेश में 219 नए नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता जारी की गई थी। इसमें कई एक कमरे या कागजों में चलने वाले कॉलेजों को भी मान्यता दे दी गई थी। इस मामले की विभागीय जांच में आरोप सत्य पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने दिवगैया को सेवा से बर्खास्त कर दिया। स्वास्थ्य विभाग ने दिवगैया को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश में लिखा कि मामला सामने आने के चलते 2021 से 2023 तक जांच प्रकरणों के कारण परीक्षा नहीं हुई। इससे नर्सिंग छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में चला गया। इस दौरान कॉलेजों में परीक्षा नहीं होने से प्रदेश में अस्पतालों में नर्सों की उपलब्धता पर भी बहुत दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसका प्रभाव पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ रहा है।
इस मामले में एनएसयूआई नेता रवि परमार ने कहा कि तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अधिकारियों ने तत्कालीन रजिस्ट्रार को संरक्षण दिया है। इसके चलते ही इतने बड़े स्तर पर अनियमितताएं हुईं। परमार ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री, विभाग के एसीएस, आयुक्त समेत मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी के कुलपति और रजिस्ट्रार पर भी कार्रवाई की मांग की है।
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