मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : सोशल मीडिया
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एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हानि की पूर्ति के लिए विभाग याचिकाकर्ता के खिलाफ नियमित जांच कर सकता है। बता दें कि भोपाल निवासी याचिकाकर्ता वीरेन्द्र सिंह की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह बीज निगम में पदस्थ था। विभागीय स्तर पर उसके खिलाफ आर्थित अनियमितता के आरोप थे।
विभाग द्वारा उसके खिलाफ 15 सितंबर 2015 को 54 लाख 49 हजार रुपए की रिकवरी आदेश जारी कर दिये गये। याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि नियमानुसार रिकवरी निकालने के पहले नियमित विभागीय जांच नहीं करवाई गयी।
शासन की ओर से दलील दी गई कि मामले में दो बार जांच की गई। पहली जांच के बाद याचिकाकर्ता को सेवा से निलंबित किया गया। दूसरी जांच में रिकवरी का उल्लेख है। विभागीय जांच 1998 में शुरू की गई थी, लेकिन 5 अगस्त 2015 को याचिकाकर्ता ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आवेदन पेश कर दिया था। इसलिए विभाग को हुई हानि का पता लगाने के लिए एक ऑडिट इंस्पेक्शन कराया गया, जिसके आधार पर उक्त रिकवरी निकाली गई। एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी किये।
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