न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Fri, 09 Aug 2024 11:47 AM IST
खंडवा रोड स्थित ग्राम बिलाली से कुछ दूर और जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत दसनावल में तक्षक नाग का यह अतिप्राचीन मंदिर है। इसी गांव में मंदिर के पास लगा एक अति प्राचीन वट वृक्ष भी है। ग्रामीणों की मान्यता के अनुसार यह वट वृक्ष करीब 5000 साल पुराना है। अति प्राचीन तक्षक नाग मंदिर का है विशेष महत्व
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मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में देश का इकलौता तक्षक नाग मंदिर मौजूद है। मंदिर में सनातन धर्म से जुड़े विशेष पर्वों के साथ वर्षभर श्रद्धालुओं के दर्शन करने आने का सिलसिला जारी रहता है। जिले के खंडवा रोड स्थित ग्राम बिलाली से कुछ दूर और जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत दसनावल में तक्षक नाग का यह अतिप्राचीन मंदिर है। इसी गांव में मंदिर के पास लगा एक अति प्राचीन वट वृक्ष भी है। ग्रामीणों की मान्यता के अनुसार यह वट वृक्ष करीब 5000 साल पुराना है, और उसके समीप स्थित तक्षक नाग का मंदिर भी इतना ही प्राचीन है। हिंदू पर्वों के दौरान यहां अक्सर श्रद्धालुओं का मेला सा लगा रहता है। यही वह स्थल है, जहां तक्षक नाग ने धनवंतरी को भी डसा था।
तक्षक नाग के इस अति प्राचीन मंदिर के पुजारी घनश्याम भारद्वाज ने बताया कि तक्षक नाग ने यह उस चमत्कार के बाद किया था, जब यहां मौजूद एक वृक्ष को फूंफकार कर सुखा दिया गया था। इस सूखे पेड़ को ऋषि धनवंतरी ने पुनः हरा भरा कर दिया था। जिसके चलते तक्षक नाग को आशंका थी कि वे राजा परीक्षित को भी पुनः जीवित कर सकते हैं। इस दौरान उनकी दो शिष्या सगुरा और भगुरा को भी भ्रम में रखकर तीर्थजल नहीं लाने दिया गया था। इसके बाद तक्षक नाग ने न केवल परीक्षित को डसा, बल्कि सात दिनों बाद उनकी भी मृत्यु हो गई थी। वहीं, शमिक ऋषि की तपस्या के दौरान राजा परीक्षित ने उनके गले में मृत सर्प डाल दिया था। इस कृत्य से क्रोधित शमिक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को श्राप दिया था कि उन्हें सातवें दिन तक्षक नाग डसेगा।
पांच हजार साल पुराना है यह पेड़।
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