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MP: सौ एकड़ से हटवाया अतिक्रमण, जंगलों को काटकर बना रखे थे खेत; जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने कराया मुक्त

जंगलों को काटकर बना रखे थे खेत – फोटो : अमर उजाला

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खंडवा जिले के गुड़ी रेंज के ग्रामीण क्षेत्र जिनमें नहार माल और हीरापुर जैसे गांवों में वन विभाग के एक बेश कीमती बड़े भूभाग पर वन अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा रखा है। हालांकि यह कब्जा जमाने की शुरुआत सन 2020-21 से हुई थी। जोकि अब तक लगातार जारी था। करीब 4 साल पहले वन अतिक्रमणकारियों ने इस क्षेत्र के जंगलों को काटकर यहां समतल मैदान बना दिए थे। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अतिक्रमणकारी जंगल काटने के लिए पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करते थे। 

उन्होंने पेड़ों को काटकर उनके तने के अवशेषों को भी जला कर खत्म कर दिया था। जिसके बाद अब वहां मैदान नजर आने लगा था। इस बीच अतिक्रमणकारियों ने यहां सोयाबीन, मक्का और खरीफ की फसले तक बाई थी। जिनकी पैदावार भी अब लहलहाने लगी थी। हालांकि फसल काटने में अभी कुछ समय बाकी था और उस पर वन विभाग का बुलडोजर चल पड़ा।

कार्रवाई के दौरान 400 से अधिक का बल था मौजूद
खंडवा डीएफओ आर एस डामोर के मुताबिक यहां के लगातार जंगलों में अतिक्रमण की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की तैयारी वन विभाग कर रहा था। हालांकि वन विभाग अपने स्तर से कई बार इन अतिक्रमणकारियों से वन भूमि को मुक्त कराने की कार्रवाई कर चुका है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में बल उपलब्ध नहीं होने के चलते यह कार्रवाई काफी साबित नहीं हो रही थी। इसी के चलते सोमवार को खंडवा जिले के वन अमले के साथ ही बुरहानपुर जिले का वन अमला और पुलिस के करीब 100 जवान जिनमें महिला जवान भी शामिल थीं के साथ करीब कुल 400 से अधिक का जिला प्रशासन का अमला और प्रशासनिक अधिकारी वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने पहुंचे थे। 

वन अमले को देखकर जानवर लेकर भागे अतिक्रमणकारी
जिला प्रशासन की इस जंबो टीम ने अतिक्रमण किये हुए क्षेत्र में पहुंचते ही वहां के खेतों पर हमला बोला। यहां मक्का, सोयाबीन और खरीफ की फसल बोई हुई थी, जिस पर अमले ने जेसीबी और ट्रेक्टर चलवा दिए। इस दौरान यहां बने अतिक्रमणकारियों के झोपड़े भी प्रशासन ने तोड़ दिए। इधर  अतिक्रमणकारी आदिवासी भी ज्यादा मात्रा में बल देखकर अपने जानवरों जिनमे मुर्गा-मुर्गी, बकरी तक लेकर यहां से भाग खड़े हुए। बता दें कि लगभग हर साल ही एक दिन इस तरह की बड़ी कार्रवाई होती रही हैं। इसके बावजूद कुछ दिन बाद फिर से आदिवासी यहां फसल बो देते हैं। जबकि यहां स्थाई तौर से वन विभाग की जंबो टीम की लगातार गश्त होना चाहिए। क्योंकि इन क्षेत्रों में आदिवासी अतिक्रमणकारियों के डर से वनकर्मी भी कम संख्या बल के चलते यहां जाने से डरते हैं।  

आदिवासियों से टकराव का था अंदेशा
इधर खंडवा डीएफओ राकेश डामोर का कहना था कि शासन स्तर पर सीड बॉल और तार फेंसिंग आदि को लेकर प्रस्ताव भेजा गया था। जिसका बजट मंजूर हो चुका है। सरकारी तामझाम में कई राउंड गोलियां, आंसूगैस के गोले, कई बंदूकें भी बल अपने साथ ले गया था। वहीं मौके पर डीएफओ राकेश डामोर, एसडीएम बजरंग बहादुर, फॉरेस्ट एसडीओ संदीप वास्कले, तहसीलदार महेश सोलंकी की टीम भी मौजूद थी। बता दें कि ये अधिकारी इसलिए भी पहुंचे थे कि यदि किसी तरह का आदिवासियों से टकराव होता है, तो तुरंत सरकारी टीमें भी उन पर हमला कर सकती हैं। वहीं एसडीएम को गोली मारने के आदेश भी होते हैं। जिसका मतलब निकाला जा रहा है कि प्रशासन अपने पूरे तामझाम के साथ पहुंचा था। हालांकि इस तरह की स्थिति नहीं बनी। 

100 हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलों को किया गया नष्ट
वहीं सोमवार को की गयी कार्रवाई में फिलहाल वन विभाग की टीम ने जंगल की 100 हेक्टेयर जमीन पर उगाई गई सोयाबीन और मक्का की खरीफ फसल ट्रैक्टर और जेसीबी चलवाकर उजाड़ी है। यह फसल जंगल पर कब्जा करने वाले माफिया ने उगाई थी। सोमवार सुबह से वन विभाग की टीम नाहरमाल सेक्टर के जंगल पहुंची थी, जहां अवैध रूप से उगाई गई फसलों पर जेसीबी चलवाई गयी थी। इस दौरान वन भूमि से कब्जा हटा रही टीम को बारिश की वजह से दिक्कत भी आईं। वहीं अभी इस जमीन को पूरी तरह कब्जा मुक्त करने में दो से तीन दिन लग सकते हैं। यहां वन अमला खेत बन चुके जंगल में अब जेसीबी मशीनों की मदद से खंतियां और गड्ढे करवा रहा है। यहां की फसलों को ट्रैक्टर चलाकर रौंदा जा रहा है। 

बुरहानपुर और बड़वानी से आ रहे हैं वन अतिक्रमणकारी
वहीं इन जमीनों पर किए गए अतिक्रमण को लेकर डीएफओ राकेश डामोर ने बताया कि यह अतिक्रमणकारी बुरहानपुर और बड़वानी जिले के सेंधवा ब्लॉक से आए हुए हैं, जोकि यहां पर लगातार वन भूमि पर कब्जा जम रहे थे। बता दें कि खंडवा व बुरहानपुर जिले में करीब 14 हजार एकड़ जंगल पर वन माफिया का कब्जा है। सबसे अधिक नाहरमाल क्षेत्र में ही है। वन विभाग की टीम यहां ट्रैक्टरों से फसल को नष्ट कर रही है, ताकि आर्थिक रूप से माफिया की कमर तोड़ी जा सके। जेसीबी और पोकलेन मशीनों से खंतियां खोदी जा रही हैं। नालानुमा खंती खोदने का मकसद माफिया को जंगल में प्रवेश से रोकना है। जंगल के अतिक्रमण मुक्त होते ही खंतियों और गड्ढों में सीड बॉल डाले जाएंगे।  

अगले 7 से 8 सालों में फिर से नजर आएगा जंगल
वहीं लंबे समय से जंगल कटाई और अतिक्रमण को लेकर वन अमले पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जोकि इतने समय से हाथ पे हाथ रखे बैठा था और इस दौरान अतिक्रमणकारियों ने जंगलों को नष्ट करने के साथ ही वहां फसल तक बो दी थी। जोकि अब पकने को तैयार थी। वहीं डीएफओ राकेश डामोर के मुताबिक अब इस जमीन पर फिर से पौधा रोपण करवाया जाएगा जो कि अगले 7 से 8 सालों में बड़े पेड़ का रूप ले लेगा और यहां एक बार फिर से हरा भरा जंगल नजर आने लगेगा। हालांकि उनका यह सपना वन अतिक्रमणकारी पूरा होने देते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा। 

सामाजिक संस्थाएँ कर रही आदिवासीयों को भृमित
वहीं वन विभाग ने माना की कुछ सामाजिक संस्थाएं भी अतिक्रमण कारियों को मदद कर रही हैं, और वे उन्हें भ्रमित कर वन भूमि पर अतिक्रमण करने को उत्साह रही है। इस तरह की सामाजिक संस्थाओं के सदस्य जंगल काट कर वहां पर फसले बोने को आदिवासियों को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें वन भूमि पर पट्टे दिलाने का लालच दिया जाता है, जो की केवल अवैध अतिक्रमण ही है। शासन के नियम अनुसार इस तरह से किसी को भी वन भूमि पर पट्टा नहीं दिया जाता है। इसलिए इस तरह के सामाजिक संगठनों से भी आदिवासियों को दूर रहने की डीएफओ राकेश डामोर ने अपील की है।

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