न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Mon, 05 Aug 2024 09:57 AM IST
आज महाकाल की तीसरी सवारी है। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। महाकाल आज तीन स्वरूपों में दर्शन देने निकलेंगे – फोटो : अमर उजाला
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श्री महाकालेश्वर की श्रावण/भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में तृतीय सोमवार पर आज 5 अगस्त को भगवान श्री महाकालेश्वर की तीसरी सवारी निकलेगी। इसमें बाबा महाकाल श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर मृणाल मीना ने बताया कि श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यीनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
विभिन्न जनजातियों के दल सवारियों मे सम्मिलित होंगे
श्री महाकालेश्वर भगवान की तीसरे सोमवार की सवारी में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा। आज 5 अगस्त को मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल के पारंपरिक लोकनृत्य काठी नृत्य दल श्री महाकालेश्वर भगवान की तीसरी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। यह नृत्य मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल पारंपरिक प्रसद्धि लोकनृत्य है। इस नृत्य की शुरुआत देव-प्रबोधनी एकादशी (देवउठनी ग्यारस) से होती है और तीन महीने तेरह दिन तक लगातार गांव- गांव जाकर इस नृत्य को किया जाता है और महाशिवरात्रि के दिन पचमढ़ी जाकर भगवान महादेव पर जल चढ़ाकर विर्सजन किया जाता है। इस नृत्य की प्रस्तुति भारत के लगभग सभी राज्यों में हो चुकी है।
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