न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: अरविंद कुमार Updated Fri, 30 Aug 2024 10:54 PM IST
मध्यप्रदेश के सीहोर में किसानों ने अनोखा प्रदर्शन किया। सोयाबीन के खेत में खड़े होकर सरकार से सोयाबीन के भाव बढ़ाने की मांग की। किसानों का प्रदर्शन – फोटो : अमर उजाला
विस्तार Follow Us
सीहोर जिले में कई गांवों के किसानों ने सोयाबीन के कम भाव को लेकर शुक्रवार को खेतों में खड़े होकर अनोखा प्रदर्शन किया। किसानों ने सोयाबीन के खेतों में खड़े होकर कहा कि आज सोयाबीन का जो भाव है, वह आठ साल पुराना है। इस भाव में किसान सोयाबीन बेचेंगे तो खेती लाभ का धंधा कैसे बनेगा। कम भाव में सोयाबीन विक्रय से किसान कर्जे के दलदल में जा रहा है।
सोयाबीन में इस समय कीट प्रकोप लगा हुआ है। अनेक किसानों की सोयाबीन की फसल बांझ हो गई है। वहीं, अनेक किसानों की फसल कीट प्रकोप के कारण खराब हो रही है। इसके चलते किसान खेतों से सोयाबीन काटकर फेंकने पर मजबूर हो रहे हैं। इसी तरह अनेक किसानों में सोयाबीन के खेतों में ट्रैक्टर चला दिए हैं। इसके कारण किसान पहले से ही परेशान हैं।
ऐसे समय में सोयाबीन फसल के गल्ला मंडी में भाव चार हजार रुपये क्विंटल चल रहे हैं। इससे किसानों के सामने निराशा का भाव आ रहा है। किसानों का कहना है कि सोयाबीन के भाव की कीमत इतनी कम होने के कारण लागत भी नहीं निकल पाएगी, उल्टे किसान घाटे के कारण उधारी के दलदल में फंस जाएगा।
प्रदर्शन कर बोले…
सोयाबीन के कम भावों को लेकर किसानों का शुक्रवार को सब्र का बांध टूट गया। सोयाबीन के कम भावों को लेकर चंदेरी, अमरोह, खमरिया सहित जिले के दर्जनों गांव के किसानों ने मिलकर सोयाबीन के फसल के खेत में खड़े होकर अनोखा प्रदर्शन किया। किसानों ने कहा कि सोयाबीन का रेट लगभग चार हजार रुपये है, जो विगत आठ साल पूर्व का रेट है। हर चीज की महंगाई बढ़ गई है, लेकिन सोयाबीन का भाव आज भी ज्यों का त्यों है।
सोयाबीन के कम भाव को लेकर किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिले के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग करते हुए कहा कि सोयाबीन की फसल का भाव छह हजार से अधिक होना चाहिए। तब कहीं जाकर किसानों को लाभ मिल पाएगा, नहीं तो खेती घाटे का सौदा हो रही है। इस मौके पर किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा के नेतृत्व में दर्जनों किसानों ने प्रदर्शन कर कहा कि सोयाबीन के कम भाव होने के कारण किसान कर्जे के दलदल में फंस रहा है।
यही हाल रहे तो वह दिन दूर नहीं जब किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएगा। किसान दुर्गा प्रसाद मेवाड़ा, पंकज विश्वकर्मा, मोहन पटेल, समर सिंह, मोर सिंह, सुमेर सिंह, राजमल मेवाड़ा, गोविंद मेवाडा, संजय अग्रवाल और राकेश मेवाड़ा ने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाना है तो सरकार को खेती-किसानी पर ध्यान देकर किसानों के बारे में सोचना होगा।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
Be First to Comment