एमपी विधानसभा सत्र – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को नर्सिंग घोटाले पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी कांग्रेस ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग पर गंभीर आरोप लगा कर उनके इस्तीफे की मांग के साथ ही जांच के लिए विधायकों की कमेटी बनाने की मांग की। इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बीच तू-तू मैं-मैं भी हुई। मंत्री विश्वास सारंग ने अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि नर्सिंग काउंसिलिंग ऑटोनॉमस बॉडी है। इसमें मंत्री का हस्तक्षेप नहीं होता। वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने विपक्ष के आरोप को आधारहीन बताया। इससे नाराज विपक्ष ने आसंदी के पास नारेबाजी कर बहिर्गमन कर दिया।
दरअसल, नर्सिंग घोटाले पर उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि नर्सिंग घोटाले की जनक भाजपा है। सरकार ने नियम परिवर्तन कर शिक्षा माफिया को खुली छूट दी। अपात्र को रजिस्ट्रार बनाया गया। दबाव बनाकर नियम विरुद्ध नियुक्ति और काम कराए गए। वहीं, कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग पर गलत तरीके से मान्यता देने का आरोप लगाते हुए नर्सिंग फर्जीवाड़े की तुलना व्यापमं घोटाले से की। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश के हजारों छात्रों को नहीं पता था कि जिस कॉलेज में वे एडमिशन ले रहे हैं, वो फर्जी है। नर्सिंग घोटाले के लिए नियम बदले गए। 2020-21 में सबसे जयादा नर्सिंग कॉलेज खोले गए। उन्होंने कहा कि चार अधिकारी और तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री नर्सिंग काउंसलिंग चला रहे थे। उन्होंने काउंसलिंग चलाने का अधिकार ही नहीं है। सिंघार ने कहा कि काउंसिल का कंट्रोल अवैध तरीके से किया गया। उन्होंने कहा कि जब काउंसलिंग में कोई घोटाला नहीं हुआ था तो तत्कालीन मंत्री ने धारा 31 के तहत काउंसिल को टेकओवर क्यों किया? उन्होंने कहा कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियमों की प्रदेश में धज्जियां उड़ा दी गई। सिंघार ने आरोप लगाया कि मंत्री के संरक्षण के बिना घोटाला संभव नहीं।
बिना साक्ष्य आरोप नहीं लगा सकते : विजयवर्गीय
इस पर संसदीय कार्यमंत्री विजयवर्गीय ने टोकते हुए कहा कि यह सदन के नियम का उल्लंघन है। अध्यक्ष के सामने बिना साक्ष्य रखे और बिना अनुमति के किसी व्यक्ति के ऊपर आरोप नहीं लगा सकते। इस पर विजयवर्गीय और उमंग सिंघार के बीच नोंकझोंक हुई।
आरोप गलत हुए तो पद छोड़ दूंगा : सिंघार
सिंघार ने कहा कि आरोप गलत साबित हुए तो नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दूंगा। सारंग ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को घोटाले में शामिल किया गया। नर्स को आयुक्त कार्यालय में बैठा दिया गया। उन्होंने मांग की कि मंत्री विश्वास सारंग का इस्तीफा होना चाहिए।
नर्सिंग काउंसिल स्वायत्त संस्था : सारंग
नर्सिंग घोटाले पर तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री और वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरा नाम सुबह से लिया जा रहा है। यह एक महीने से चल रहा है। मैंने कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि यह आरोप राजनीतिक है, लेकिन अब लग रहा है कि यह व्यक्तिगत हो रहा है। सारंग ने कहा कि मैं दोषी नहीं हूं। नर्सिंग काउंसिल स्वायत्त संस्था है। मंत्री के पास कोई फाइल नहीं आती है। कांग्रेस सरकार में रजिस्ट्रार सुनीता शीजू ने कॉलेजों को मान्यता दी। कांग्रेस सरकार की मंत्री ने 20 मार्च 2020 को 153 कॉलेजों को मान्यता दी, जिस दिन कमलनाथ का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा हो रहा था।
कमलनाथ के इस्तीफे के दिन 354 मान्यता दी गई
सारंगे ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने 354 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी। सारंग ने कहा कि एनएम श्रीवास्तव के कॉलेज को 2018 में अनुमति दी। सारंग ने कहा कि मलय कॉलेज को अनुमति देने के आरोप लग रहे हैं, जबकि उसे कांग्रेस सरकार में अनुमति दी गई। सारंग ने कहा कि हमने 415 कॉलेज का सत्यापन कराया, जिसमें 150 कॉलेज हमने बंद किए। सारंग ने कहा कि 180 कॉलेजों का निरीक्षण कर उनकी मान्यता निरस्त करने का काम उनके कार्यकाल में हुआ है। उन्होंने कहा- किसी भी छात्र के हित पर कुठाराघात नहीं हुआ है, न होगा। सारंग ने कहा कि परमिशन संबंधी जो नियम 2018 में भाजपा सरकार ने बनाए थे, वे कांग्रेस सरकार में लागू नहीं किए गए। जिओ टैगिंग के माध्यम से नर्सिंग कॉलेजों के अलग-अलग भवन दिखाने की व्यवस्था को रोकने का काम तत्कालीन कांग्रेस सरकार में किया गया। कांग्रेस ने ही भवन की अनिवार्यता का नकारा। हमारी सरकार आने पर कॉलेज बिल्डिंग के लिए बैंक गारंटी 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख की गई। 2021-22 में 792 आवेदन मिले, इनमें से 221 को ही मान्यता दी गई। उस समय ऑफलाइन आवेदन किया जाता था। भाजपा सरकार ने इसे ऑनलाइन किया। स्क्रूटनी कमेटी में सीनियर प्रोफेसर को शामिल किया। ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके। उन्होंने कहा कि छात्रों के गड़बड़ी को लेकर दिए ज्ञापन पर मंत्री होने के नाते पुनर्विचार करने और एडवाइजरी की बात कही थी। कोई भी अनुमति आदेश मैंने नहीं दिया। ना ही ऐसी कोई फाइल मंत्री तक आती है। सभी निर्णय मेडिकल काउंसलिंग लेती है।
आरोप आधारहीन : डिप्टी सीएम
वहीं, इस पूरे मामले पर उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सरकार का पक्ष रखते हुए विपक्ष के आरोपों को आधार और तथ्य विहीन बताया। उन्होंने कहा कि जांच में 60 प्रतिशत वो कॉलेज अनफिट हुए, जिनको कांग्रेस सरकार में मान्यता मिली। उन्होंने कहा कि जिन्होंने मान्यता दी हम उनको सही नहीं कह रहे। इस मामले में जांच जारी है। मोहन यादव सरकार दोषियों पर कार्यवाही कर रही है। हम इस सिस्टम को सुधार रहे है। दिसंबर 2025 तक एक लाख स्टूडेंट की परीक्षा कराएंगे। सभी छात्र परीक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री नर्सिंग कॉलेज की मान्यता में कोई रोल नहीं। हाईकोर्ट के निर्देश पर नर्सिंग कॉलेज मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अगुवाई में कमेटी बनी है। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई होगी। नर्सिंग कॉलेजों को नियमानुसार मान्यता दी जाएगी।
विपक्ष ने किया बहिर्गमन
विपक्ष ने उपमुख्यमंत्री के जवाब पर आसंदी के पास आकर नारेबाजी की। विपक्ष ने मंत्री के इस्तीफे और संसदीय जांच समिति बनाने की मांग की। इसके बाद बहिर्गमन कर दिया। अध्यक्ष ने हंगामे के बीच सदन की कार्रवाई पूरी कराई।
14 हजार में से 3 हजार फैकल्टी आउट ऑफ स्टेट
विधायक दिनेश जैन ने कहा कि नर्सिंग कॉलेजों की 14 हजार फैकल्टी में से तीन हजार फैकल्टी बाहरी प्रांतों की हैं। सरकार बताए कि आउट ऑफ स्टेट फैकल्टी पर कार्रवाई होगी या नहीं? जैन ने कहा कि विष्णु कुमार सोनकर 15 नर्सिंग कॉलेज के प्रोफेसर, वाइस प्रिंसिपल और प्रोफेसर हैं। उन पर कार्रवाई कब होगी?
एक ही व्यक्ति 15 कॉलेज का प्रिंसिपल
विधायक राजन मंडलोई ने कहा कि नर्सिंग कॉलेजों में ऐसा भी हुआ है कि एक ही व्यक्ति 15 कॉलेज का प्राचार्य रहा है। सरकार की जानकारी में सब कुछ होता रहा, इसलिए किस पर कार्रवाई की जाएगी, यह बताया जाए।
राहुल के बयान को लेकर संदन में हंगामा, 15 मिनट कार्यवाही स्थगित
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान को लेकर विधानसभा में हंगामा हुआ। भाजपा विधायक सीतासरण शर्मा ने राहुल गांधी के बयान का जिक्र कर उनसे माफी मांगने की बात कही। इसको सुनकर कांग्रेस विधायक भड़क गए। इसके चलते दोनों तरफ के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर दोनों पक्षों को शांत कहने कहते रहे, लेकिन सदन में शोर शराब खत्म नहीं हुआ। इसके चलते अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
नए कानून दंड देने के लिए नहीं बल्कि न्याय दिलाने के लिए
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक जुलाई से लागू तीन नए कानूनों को लेकर सदन में अपना वक्तव्य दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में तीन नए कानून लागू होने करने के लिए अंग्रेजों के कानून को बदल दिया गया। इन तीन नए कानून की आत्मा संविधान की मूल भावना से परिचय कराती है। इसमें मूल भावना को जोड़ा गया है। नए कानून दंड नहीं बल्कि न्याय दिलाने के लिए है।
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