अमर उजाला
Tue, 13 August 2024
Image Credit : सोशल मीडिया
पूरी दुनिया को जीतने वाले अशोक को दुनिया सम्राट अशोक कहती है, वो कभी नहीं हारा, बहुत कम लोगों को यह पता है कि वो एक बार हार गए थे
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20 साल की आयु में सम्राट अशोक विदिशा आए और विदिशा के शाक्यवंशी साहूकार की बेटी देवी से उनकी नजरें मिलीं और वो अपना दिल हार गए थे
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उस दौर में विदिशा का नाम बैस नगर था, इतिहास के पन्नों में आज भी उल्लेख मिलता है
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इसके बाद उनका प्रेम परवान चढ़ा और बैसनगर के बाग-बगीचों और नदी किनारे अशोक और देवी अक्सर मिलने लगे
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बैसनगर की देवी से दिल हार चुके सम्राट अशोक ने देवी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा और देवी ने एक शर्त रखी कि वे बैसनगर को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी
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सम्राट अशोक ने देवी की बात मानी और विवाह कर लिया, सम्राट अशोक ने भी जीवनभर देवी की भावनाओं का सम्मान किया
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अशोक और देवी के एक पुत्र महेन्द्र और एक पुत्री संघमित्रा हुए, देवी भगवान बुद्ध की अनुयायी थीं, महेन्द्र और संघमित्रा भी बुद्ध की अनन्य भक्त थीं
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अशोक अपने दोनों बच्चों को पाटलिपुत्र ले गए, लेकिन संघमित्रा यहीं रहीं, सम्राट अशोक के शासनकाल के 30वें वर्ष 239 ईसा पूर्व में विदिशा में ही देवी की मौत हो गई थी
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सम्राट अशोक और देवी के साथ ही उनके बच्चे महेन्द्र और संघमित्रा का नाम भी इतिहास में अमर हो गया, महेन्द्र के साथ-साथ संघमित्रा ने भी बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी
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मध्यप्रदेश के इस जिले में नहीं है कोई रेलवे स्टेशन
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