MP के मिर्च खेती पर किया वायरस ने अटैक:- एक बार फिर MP में मिर्च खेती पर पर वायरस का अटैक हुआ है , किसानों की 50% फसल नष्ट हो गई है l खेतों में खड़े-खड़े ही फसल सूख रही हैl किसान भी परेशां है की आखिर अब ये वायरस कहसे आया है l वायरस ऐसेही फसल बरबाद करता रहा तो मिर्च के मार्केट दाम 250 रुपए किलो तक पहुंच सकता हैl
अब खाने का जायका बढ़ाने वाली ये लाल मिर्च आपके किचन का बजट बिगाड़ सकती है। मालवा-निमाड़ में मिर्च की फसल पर व्हाइट फ्लाई वायरस (सफेद मक्खी) ने अटैक कर दिया है। इससे फसल को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हो गया है । इससे आने वाले दिनों में मिर्च के भाव 250 रुपए किलो से भी ऊपर तक जा सकते हैं।
मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश में भी पैदावार पर असर की खबरें आयी हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश में पैदावार और घटती है तो मालवा-निमाड़ छोड़कर दूसरे इलाकों के लिए बाहरी राज्यों से मिर्च मंगाना पड़ रहा हैं l थोक कारोबारियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन और दूसरे चार्जेस जुड़ने से लाल मिर्च का महंगा होना लगभग तय ही है।
पिछले साल भी ख़राब हुई थी फसल:-
मालवा-निमाड़ के मिर्च उत्पादक किसानों का कहना है कि पिछले साल बेमौसम बारिश की वजह से फसल खराब हो गई थी। इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन वायरस के अटैक से पौधे उखाड़कर फेंकना पड़ गए। जिस फसल पर वायरस का अटैक नहीं है, उसे बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
मिर्च की आवक कम आ रही है:-
मिर्च उत्पादक किसान अनिल पाठन, मिश्रीलाल छलोत्रा और नत्थू शाह का कहना है कि सफेद मक्खी के अलावा हरी इल्ली लगने की वजह से भी मिर्च के पौधे बड़े नहीं हो रहे हैं। फल आए तो साइज छोटा रह जाता है । मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी मिर्च मंडी बेड़िया (जिला खरगोन) में नई हरी मिर्च अब आने लगी है, लेकिन उसकी आवक कम है। एमपी की ई-मंडी की रिपोर्ट के अनुसार 12 अगस्त से 7 सितंबर तक मध्यप्रदेश की मंडियों में किसान सिर्फ 1600 क्विंटल हरी मिर्च लेकर पहुंचे थे, वहीं 9 से 15 सितंबर के बीच 913 क्विंटल मिर्च की आवक हुई है ।
बेड़िया मंडी का मिर्च का भाव बढ़ गया
सबसे ज्यादा आवक बेड़िया मंडी में हो रही है और 15 सितंबर को यहां अधिकतम भाव 20 हजार 500 रुपए क्विंटल रहा। बेड़िया मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष समर्थ बिरला ने बताया कि बेड़िया एशिया में दूसरे नंबर की मिर्च मंडी है। निमाड़ की अच्छी क्वालिटी की मिर्च यहां से देश और विदेश तक भेजी जाती है। कम पैदावार की वजह से इस साल मिर्च का भाव 200 से 250 रुपए किलो तक रहेगा।
और राज्यों में भी वायरस ने किया अटैक :-
आंध्रप्रदेश में पहले भारी बारिश से पहली तुड़ाई की मिर्च खराब हो गई। ऐसी उम्मीद थी कि दूसरी तुड़ाई से बेहतर किस्म का माल आने लगेगा, लेकिन वायरस ने हमला कर दिया। इससे उत्पादन के साथ क्वालिटी में भी गिरावट आ गई। कर्नाटक में भी कुछ हद तक वायरस ने हमला किया है। देखा जाए तो इस साल बेस्ट क्वालिटी की मिर्च का अभाव है। ऐसे में मिर्च का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है। खाड़ी देशों में हल्के किस्म के सभी मसाले चल जाते हैं, इसलिए हल्की किस्म की मिर्च का एक्स
बड़वानी में 6397 एकड़ में 70% फसल खराब हो गई…
बड़वानी के किसान खेत के बड़े हिस्से में मिर्च लगाते हैं। इस बार जिले में 6397 हेक्टेयर में किसानों ने मिर्च लगाई। किसानों का दावा है कि वायरस के अटैक से 70% फसल खराब हो गई।
20 साल से मिर्च की खेती कर रहे किसान ओमप्रकाश काग का कहना है कि पिछले साल मिर्च की अच्छी पैदावार हुई थी। दाम भी अच्छे मिले थे। इस कारण उन्होंने और दूसरे कई किसानों ने कपास का रकबा घटाकर मिर्च लगाई। वायरस अटैक की समस्या नई नहीं है। पिछले तीन साल से फसल का नुकसान हो रहा है, लेकिन इस बार ये नुकसान बहुत ज्यादा है।
मिर्च तुड़ाई के बाद दाम बताते हैं व्यापारी
ओमप्रकाश कहते हैं कि व्यापारी मिर्च तुड़ाई के बाद दाम बताकर शोषण करते हैं। मिर्च पर प्रति एकड़ खर्च 50 हजार रुपए आता है, जबकि कमाई सिर्फ 10 हजार रुपए रह गई है। हरी मिर्च का भाव तोड़ने के बाद सुबह 10 बजे बताया जाता है। किसानों को एक दिन पहले भाव बताना चाहिए, ताकि किसानों का नुकसान न हो।
खरगोन में पौधों पर मिर्च आई भी तो छोटे साइज की
खरगोन जिले में इस सीजन 35 से 40 हजार हेक्टेयर में किसानों ने मिर्च लगाई है। 1.20 लाख क्विंटल पैदावार का अनुमान है। पिछले साल किसानों ने 51,350 हेक्टेयर में मिर्च लगाई थी। 1 लाख 79 हजार 725 क्विंटल मिर्च का उत्पादन हुआ था। उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक मोहन मुजाल्दे ने बताया कि जिले में इस साल मिर्च का रकबा कम हुआ है। जहां ज्यादा जलभराव की स्थिति है, वहां फसल में वायरस की शिकायत है। बाकी जगह फसल ठीक है।
ओंकारेश्वर (खरगोन) के किसान नितेश बर्फा ने बताया 1 एकड़ खेत में मिर्ची लगाई गई थी। शुरुआत के दिनों में पौधे ठीक थे, फल भी ठीक आया, लेकिन बारिश के बाद इसमें वायरस दिखने लगा। इससे या तो पौधे मर गए या फिर फल आए भी तो मिर्च की साइज बहुत छोटा रह गया।
वैज्ञानिकों ने बताया जिले में पिछले वर्षों के दौरान मिर्च की खेती में वायरस रोग सबसे बड़ी बाधा बन गया है। टीम ने बताया था मिर्च फसल में वायरस रोगों को फैलाने में (80 फीसदी से ज्यादा) सफेद मक्खी की भूमिका रही है। वहीं वर्षभर वायरस युक्त मिर्च फसल को खेतों में रखना, नर्सरी में ज्यादा समय तक पौधों काे रखना, मानसून की देरी, किसान द्वारा रोपणी व फसल पर दो या अधिक कीटनाशक दवाओं का मिलाकर छिड़काव करना, वायरस रोगों के लिए सहिष्णु संकर किस्मों का चुनाव सहित अन्य कारण रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. एसके बड़ोदिया ने बताया भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के दल ने किसानों को मिर्च की खड़ी फसल में पर्ण कुंचन रोग से बचाव के लिए किसी भी दैहिक कीटनाशक दवाई को बदलकर छिड़काव करने की सलाह दी है। इससे रोग वाहक सफेद मक्खी, मकड़ी व थ्रिप्स आदि रस चूसक कीटों को रोकने में सफलता हासिल करने सकते हैं। इसके लिए किसान नीम की निंबोली का काढ़ा 750 ग्राम निंबोली प्रति 15 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 एमएल व 50 ग्राम सल्फेक्स प्रति 15 लीटर पानी या एमीडाक्लोप्रिड 5 एमएल प्रति 15 लीटर पानी या नीम तेल 75 एमएल प्रति 15 लीटर पानी या फिप्रोनील 30 एमएल व 50 ग्राम सल्फेक्स प्रति 15 लीटर पानी या एसिटामीप्रिड 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी दवा की अनुशंसित मात्रा से अधिक न डाले। प्रति एकड़ में करीब 150 से 200 लीटर दवा के घोल का छिड़काव करें।
इस वायरस को किसान सफ़ेद मक्खी वायरस बोल रहे है,इस वायरस से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है,उसके पत्ते सुख जाते है फूल भी सुखकर निचे गीर जाते है इसके कारण किसान को वे फसल फेंक देना पड़ रहा है l
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