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जन्नत : भारत में यहां है ‘स्विट्जरलैंड’ जहां है बौद्ध-हिंदू संस्कृति का संगम

सिक्किम की सैर करने से पहले यह जान लीजिए कि यह राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा 16 मई, 1975 को बना। सिक्किम 1974 तक एक अलग देश  के रूप में अपनी पहचान रखता था। आजादी के 28 साल बाद  16 मई के दिन ही एक देश, भारत में राज्य बनकर शामिल हो गया।

सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने का संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल, 1975 को लोकसभा में पेश किया गया था। उसी दिन इसे 299-11 के मत से पास कर दिया गया। राज्यसभा में यह बिल 26 अप्रैल को पास हुआ और 15 मई, 1975 को जैसे ही राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए, नाम्ग्याल राजवंश का शासन समाप्त हो गया।

दिल एक भाषाएं अनेक

हिमालय के निचले इलाके में स्थित ‘सिक्किम’ भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा छोटा है, लेकिन यहां के नजारे लाजवाब हैं। यहां की खूबसूरती की वजह से इसे ‘पूर्व का स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। नेपाली जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा यहां मौजूद है। यहां अमूमन नेपाली भाषा बोली जाती है। यह भाषा इंडो-आर्य परिवार की है। इसके अलावा भूटिया भाषा बोलने वाले लोग भी मिल जाएंगे, जिनके रिश्ते तिब्बती-बर्मन परिवार के साथ हैं। अन्य भाषाओं में लोकप्रिय हैं लेपचा, शेरपा और लिम्बु ये सभी भाषाएं को स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं और उन्हें राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया जाता है।

यहां है बौद्ध और हिंदू मंदिर

सिक्किम का प्रमुख बौद्ध मठ पेलिंग में स्थित ‘पेमायंगत्से’ है। इसके अलावा पश्चिमी सिक्किम में ‘ताशीदिंग मठ’ भी है, जो सिक्किम के सभी मठों में सबसे पवित्र माना जाता है। सिक्किम का सबसे प्राचीन मठ ‘युकसोम’ है, जिसे ‘ड्रबडी मठ’ के नाम से जाना जाता है। यह ‘लहातसुन चेम्पों’ (सिक्किम के प्रमुख संत) का व्यक्तिगत आश्रम था जो लगभग 1700 ईस्वी में बना था।

अन्य मठों में फोडोंग, फेन्सांग, रुमटेक, नगाडक, तोलुंग, आहल्य, त्सुकलाखांग, रालोंग, लाचेन और एन्चेय प्रमुख हैं। सिक्किम में हिन्दू मंदिर भी हैं गंगटोक के मध्य में स्थित ठाकुर बाड़ी प्रसिद्ध है। इसके बाद दक्षिण जिले की एक पवित्र गुफा है, जिसमें एक शिवलिंग है जो इस गुफा को जगमाता है, जहां रोशनी नहीं पहुंच पाती है। राज्य में कुछ महत्त्वपूर्ण गुरुद्वारे और मस्जिदें भी हैं और उनमें से प्रमुख गंगटोक और रावनगला में हैं।

मोमोज है सिक्किम की पहचान

यदि सिक्किम घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां की राजधानी में गंगटोक के मोमोज़ खाना बिल्कुल ना भूलें, क्‍योंकि यह यहां सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड है। यह नॉनवेज और वेज दोनों तरह से ही बनाया जाता है और सूप के साथ परोसा जाता है। वा-वाई एक और लोकप्रिय भोजन है, जो नूडल्स से बनता है। गंगटोक में नूडल से बने अन्‍य लोकप्रिय भोजनों में थुपका, चाउमिन, थनथुक, फकथू वानटन और ग्‍याथुक हैं।

इसके अलावा, सिक्किम पर्यटन विभाग दिसंबर के महीने में गंगटोक में हर साल एक वार्षिक खाद्य एवं संस्कृति उत्सव का आयोजन करता है। इस उत्सव में सिक्किम के बहु सांस्‍कृतिक व्‍यंजनों के स्‍टॉल लगाये जाते हैं, जहां पारंपरिक ढंग से उन्‍हें सजाया जाता है। इस मौके पर दर्शकों के मनोरंजन के लिए संगीत एवं लोक नृत्य के प्रदर्शन किए जाते हैं। यह समारोह शहर में एमजी मार्ग पर मौजूद टाइटैनिक पार्क में आयोजित किया जाता है।

कब जाएं

अप्रैल, मई और जून ये वो माह है जब सिक्किम का मौसम प्राकृतिक छटा बिखेर रहा होता है। उत्तर भारत में जहां गर्मी होती है तो यहां शुष्क सर्द मौसम में घूमने का लुत्फ ले सकते हैं। यह साल का वह वक्त होता है, जब ऑर्किड और रोडोडेन्ड्रंस फूलों की रंगत से पूरे पहाड़ी राज्य में छाई होती है।

कैसे जाएं

सिक्किम का अपना कोई एयरपोर्ट नहीं है। सबसे नजदीक एयरपोर्ट है पश्चिम बंगाल बागडोगरा जो सिलिगुड़ी के पास है। यह सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 125 किलोमीटर दूर है। बागडोगरा दिल्ली और कोलकाता की नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है।

तो वहीं सड़क से जाना चाहते हैं तो सिक्किम को पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से से होते हुए भी पहुंचा जा सककता है। दार्जीलिंग, कलिमपोंग और सिलिगुड़ी गंगटोक और राज्य के अन्य शहरों से सीधे जुड़े हुए हैं, लेकिन मानसून में अक्सर भू-स्खलन की वजह से सड़क परिवहन में समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

रेल मार्ग से जाना चाहते हैं तो बता दें कि सिक्किम में रेल नेटवर्क नहीं है। सबसे पास का रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल का न्यू जलपाईगुड़ी (सिलिगुड़ी के पास) है, जो गंगटोक समेत पूर्वोत्तर के कई बड़े शहरों से जोड़ता है। इसके अलावा भारत में भी सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों- कोलकाता, दिल्ली से यह अच्छे-से जुड़ा है।

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