Picture Courtesy: Forbes
अमेरिकी टूरिस्ट और ब्लॉगर जॉन एलन चाऊ हाल ही में अंडमान के उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर सेंटिनेलिस जनजाति द्वारा मार दिया गया। वो 27 साल का था। ब्लॉगर ने मछुआरों को अवैध रूप से द्वीप पर ले जाने के लिए किराए पर लिया और उन्हें मछुआरों ने द्वीप पर एक छोर पर छोड़ दिया। इसके बाद जो हुआ, वो कोई नहीं जानता, लेकिन जॉन अब मर चुका है।
जनजातीय लोगों के लिए वैश्विक स्तर पर काम करने वाले एनजीओ सर्वाइवल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘जॉन की मौत कभी नहीं होती यदि भारतीय अधिकारी जनजातीय और भारत या अन्य देशों के टूरिस्ट के लिए बेहतर सुरक्षा कदम उठाते। कुछ महीने पहले यह मामला काफी चर्चा में आया जब एक विदेशी पर्यटक इस क्षेत्र में अंदर जाकर वापिस जिंदा लौट आया था। हो सकता है उसने सेंटिनेलिस को घातक रोगों से संक्रमित किया हो, ताकि वो हमेशा के लिए वहां से खत्म हो जाएं।’
वर्तमान में अंडमान द्वीप पर मानव सफारी जारी है। सर्वाइवल इंटरनेशनल रिपोर्ट बताती है, ‘अंडमान प्रशासन ने पर्यटकों के लिए द्वीप के सबसे लोकप्रिय स्थल का समुद्री मार्ग खोलने का वादा किया है, ताकि पर्यटक समूह में द्वीप की सुंदरता का लुत्फ ले सकें। लेकिन सभी पर्यटकों को यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की प्रतिबद्धता जरूरी है। इसके बाद भी पर्यटक समुद्र मार्ग, सड़क के साथ मानव सफारी से घूमते हैं। बिजनेस पाइंट व्यू से यह पूरी तरह से एक बड़ा बिजनेस बनता जा रहा है।
‘ऐसा माना जाता है कि वो बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग हैं। इस द्वीप के लोगों से किसी भी तरह का संपर्क बनाना अवैध है। इस द्वीप के लोगों पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता।’
एक टूर कंपनी ट्रोपिकल अंडमान का कहना है कि, ‘प्रसिद्ध जरावा क्रीक यहां का सबसे पुराना स्थान है, जहां इन द्वीपों में पाए जाने वाले जनजातियां सभ्य दुनिया से अलग हैं। वे कच्चे सूअर, फल और सब्जियों का भोजन करते हैं। वे सामान्य रूप से ज्ञात किसी भी भाषा में नहीं बोलते हैं। उनका शरीर काला होता है और आंखें जरूरत से ज्यादा चमकदार।’
एक टूरिस्ट वेबसाइट, फ्लाईविड्स का कहना है कि जरावा में रहने वाले आदिवासियों की झलक सफारी से देखी जा सकती है। यहां होलीडिफी आदिवासियों का भी समूह है हालाकिं जारवा यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। जरावा तम्बाकू के काफी शौकीन होते हैं।
उत्तरी सेंटीनेल द्वीप किसी साइंस फिक्शन या किसी रहस्यमयी फिल्म की तरह ही है। यहां पानी इतना साफ है कि आप पानी ती तलहटी में मौजूद पत्थर को सूर्य की रोशनी में साफ देख सकते हैं। आदिमानव की तरह रहने वाले लोगों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां सभ्यता पहुंचने में कई हजार साल लग सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या तब तक यह आदिवासी जनजाति तब तक जिंदा बचेगी?
‘वैसे तो इस द्वीप पर जाना गैर-कानूनी है लेकिन इसी साल अगस्त में भारत सरकार ने नॉर्थ सेंटिनल द्वीप को उन 29 द्वीप समूहों से हटा दिया था, जहां विदेशियों को पहले से ली गई अनुमति के बिना जाना मना है।’
अंडमान के नजदीक मौजूद उत्तरी सेंटीनेल द्वीप अमेरिका के मैनहट्टन के आकार का है। यह क्षेत्र हिंद महासागर में बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह द्वीप पृथ्वी पर सबसे अलग स्थानों में से एक है और दुनिया का सबसे खतरनाक जनजाति का निवास स्थान भी यही है।
हालांकि भारत सरकार ने पहले इन जनजाति के साथ संबंध स्थापित करने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में इनसे संपर्क करने के सभी प्रयासों को रोक दिया गया था। आज तक, द्वीपवासियों के बारे में जितनी जानकारी है वह बहुत कम है। एक अनुमान से पता चलता है कि लगभग 300 सदस्य द्वीप पर रहते हैं। सर्वाइवल इंटरनेशनल के अनुसार, सैकड़ों पर्यटक रोज जरावा रिजर्व से गुजरते रहते हैं। तो वहीं, संयुक्त राष्ट्र और भारत के सर्वोच्च न्यायालय दोनों ने अंडमान ट्रंक रोड को बंद करने के लिए कहा है।
‘साल 2004 में आई सुनामी के वक्त सरकार ने इंडियन कोस्ट गार्ड के हेलिकॉप्टर सेंटिनल द्वीप पर भेजे थे ताकि सेंटिनली आदिवासियों की सहायता की जा सके। लेकिन आदिवासियों ने मदद लेने की बजाए हेलिकॉप्टर पर ही तीर चलाना शुरू कर दिया था।’
माना जाता है कि अंडमान द्वीपसमूह पर जरावा, ग्रेट अंडमानीज, ओंज और सेंटिनेलिस की जनजातियां 35,000 साल पहले से रह रहे है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक जरावा जनजाति के लगभग 400 सदस्य 40-50 लोगों के समूहों में रहते हैं। अधिकांश जनजातीय समूहों में रहती है जो आत्मनिर्भर रहते हैं, जरावा की संख्या लगातार बढ़ रही है। वे सुअर, कैटफ़िश ईल, टट्टूफिश, केकड़ों, मछली और कछुए का शिकार करते हैं। वे फल, जंगली जड़ों, कंद, और शहद भी इकट्ठा करते हैं।
जवेलिन और फ्लैट धनुष से लैस होते हैं। उनके पास तीन तरह के तीर भी होते हैं, जो मछली पकड़ने, शिकार करने और लोगों के लिए चेतावनी शॉट्स के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिनका उपयोग वे द्वीप पर उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों को रोकने के लिए करते हैं।
Video courtesy: Jim Dobson
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