कैलाश मानसरोवर यात्रा के कई पड़ाव हैं इन्हीं में से एक है कैलाश पर्वत के पास स्थित राक्षसताल और गौरीकुंड। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां स्नान नहीं करना चाहिए क्योंकि रावण ने इसमें डुबकी लगाईं थी और उसके मन पर बुरा असर हुआ था।
हिंदू पौराणिक कहानियों के अनुसार रावण शिव भक्त था, बतौर राजा एक महान प्रशासक और बेहद प्रतिभाशाली इंसान था। वह शिव की आराधना करने कैलाश पर गया था। शिव के पास जाने से पहले रावण नहाना चाहता था, इसलिए उसने राक्षस ताल में डुबकी लगा ली। नहाकर जब शिव से मिलने चला तो रास्ते में उसकी नजर पार्वती पर दिखाई दीं। शिव के पास पहुंच कर रावण नें उनकी स्तुति की। उसकी इस भक्ति से शिव बहुत प्रसन्न हुए। प्रसन्न होकर उन्होंने रावण से कहा कि ‘अच्छा बताओ तुम्हें क्या चाहिए?’ इस पर उस मूर्ख ने कहा, ‘मुझे आपकी पत्नी चाहिए।’ लोग कहते हैं कि उसकी बुद्धि इसलिए फिर गई, क्योंकि उसने राक्षसताल में डुबकी मारी थी। उस ताल में नहाने से उसके दिमाग में ऐसे गलत विचार आए।
गौरीकुंड से जुड़ा है यह वैज्ञानिक कारण
इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी बताया जाता है कि इसके पानी में कुछ खास तरह की प्राकृतिक गैसें मिली हुई हैं, जो पानी को थोड़ा जहरीला सा बनाती हैं। हो सकता है कि इसके पानी से आप मरें नहीं, लेकिन इसका आप पर कुछ नकारात्मक असर हो सकता है। इसलिए जो लोग संवेदनशील हैं उनका कहना है कि यह ताल नहाने के लिए ठीक नहीं है।
यहां से शुरू होती है कैलाश मानसरोवर यात्रा
यदि आप लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले हैं तो पैदल यात्रा में इस साल तीर्थ यात्रियों को 24 किलोमीटर कम दूरी तय करनी होगी। इस साल सड़क के गाला से होते हुए सिर्खा तक पहुंचने से इस यात्रा के दो पड़ाव कम हो जाएंगे। इन दोनों पड़ावों तक सड़क निर्माण का काम पूरा हो गया है। सड़क बन जाने से यात्रियों की पैदल यात्रा में 24 किलोमीटर की कमी आएगी।
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