प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा चंदेरी मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले का एक ऐतिहासिक शहर है। जब मोरक्को निवासी इब्नबतूता दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के समय भारत की यात्रा पर आया था, तब उसने अपने यात्रा वृतांत में चंदेरी के बारे में लिखा है यह नगर बहुत बड़ा है और बाजारों में हमेशा भीड़ रहती है।
चंदेरी की एक खास बात यह भी है कि यहां भारत की एकमात्र बिना मीनार की जामा मस्जिद है। इस मस्जिद का प्रवेश द्वार पत्थर पर पत्ते फूल और कई तरह की ज्यामितीय पैटर्न करते हुए, पत्थर पर बारीक नक्काशी से बनाया गया है। इसके गलियारे मेहराबदार हैं। गलियारों के छज्जों को पतले व टेढ़े कोष्ठकों से सहारा दिया गया है, जो उस समय के दौरान चंदेरी में बनाए स्मारकों की याद दिलाता है। आंगन के बाद एक मुख्य हॉल है जो तीन बड़े गुंबदों के साथ ढका है।
भारतीय इतिहास में चंदेरी का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्रथम मुगल बादशाह बाबर ने इस पर अधिकार किया था, बाद में 18वीं शती के अंतिम चरण में जब मुगल वंश का पतन हो रहा था, इस पर सिंधिया का अधिकार हो गया।
महाभारत से जुड़ा है इतिहास
महाभारत के समय से चंदेरी का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। चंद्रगिरि पर्वत से घिरा यह शहर उस चेदि देश के राजा शिशुपाल की राजाधानी था। शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का लड़का था, जिसका अंत श्रीकृष्ण ने किया था।
चंदेरी का कभी था ‘उजाड़ ग्राम’ नाम
यहां प्राचीन काल के अनेक पत्थरों के खंडित अवशेष बिखरे पड़े हैं। लगभग 8 मील (लगभग 12.8 किमी) उत्तर की ओर ‘बूढ़ी चंदेर’ या चंदेरी नाम का एक उजाड़ ग्राम है, जो 10वीं-12वीं शती ई. के हैं।
उत्खनन से से प्राप्त 11वीं-12वीं शती ई. के प्रतिहार राजा कीर्तिपाल के अभिलेख से पता चलता है कि यहां उसके समय में कीर्तिदुर्ग नामक किले का निर्माण हुआ था। इस अभिलेख में चंदेरी का नाम ‘चंद्रपुर’ अंकित है।
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