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प्रकृति : यहां हर 12 साल में एक बार ही खिलता हैं ये फूल

केरल का मुन्नार हिल स्टेशन दुनियाभर के पर्यटकों के लिए तैयार है। इन दिनों बारिश ने यहां प्राकृतिक सुंदरता को और भी ज्यादा रोमांचक बना दिया है। लोग यहां नीलकुरिंजी के फूल देखने आते हैं। यह एक दुर्लभ फूल है जो हर बारह साल में केवल एक बार ही खिलता है।

जुलाई से अक्टूबर तक यह फूल देखा जा सकता है। नीलकुरिंजी परपल रंग का होता है। इसका वैज्ञानिक नाम स्ट्रोबिलैंथस कुंथियाना है। लगभग 3,000 हेक्टेयर रोलिंग पहाड़ियों पर फैला इरविकुलम नेशनल पार्क में इस फूल की सुंदरता को बहुत नजदीक से निहारा जा सकता है।

नीलकुरिंजी से जुड़ी है ये खास बात

नीलकुरिंजी का पौधे में एक ही बार फूल खिलते हैं इसके बाद यह पौधा खत्म हो जाता है। इस फूल को आम बोलचाल की भाषा में नीलगिरी या ब्लू माउंटेन भी कहते हैं। यह शोला फॉरेस्ट में हर 12 साल में एक बार खिलता है फिर सूख जाता है। सूखने पर इसके बीज वहीं पर गिर जाते हैं और इसे से अगली पौध तैयार होने लगती है। इसकी प्रजाति मोनोकार्पिक नेचर वाली है। मानोकार्पिक नेचर यानी ऐसे पौधे जिनमें एक बार फूल या फल निकलने के बाद खत्म हो जाते हैं।

बेस्ट मॉनसून डेस्टिनेशन

केरल के इडुक्की जिले में मुन्नार हिल स्टेशन मौजूद है। जहां से कोच्चि सबसे नजदीक हवाई अड्डा है, यह 110 किमी दूर है और वहां से यहां तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। कोट्टायम और एर्नाकुलम निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। यहां रेल कनेक्टिविटी नहीं है और सड़क ही मुन्नार पहुंचने का एकमात्र विकल्प है। इडुक्की जिले का मुन्नार हिल स्टेशन जायकेदार चाय के बागानों के लिए भी जाना जाता है।

केरल टूरिज्म के मुताबिक 2017 में 11 लाख से अधिक टूरिस्ट सिर्फ इडुक्की की खूबसूरती को देखने के लिए पहुंचे थे। मानसून के मौसम में अगर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो मुन्नार एक बेहतरीन मॉनसून डेस्टिनेशन है। मुन्‍नार को एक मैग्‍जीन ने ‘बेस्‍ट प्‍लेस फॉर रोमांस 2017’ का खिताब दिया है। जब आप मुन्नार पहुंचे तो नीलकुरिंजी देखने के साथ यहां और भी ऐसे ही गजब नजारे देखने को मिलेंगे, जो धरती पर जन्नत की सैर कराते हैं।

नीलगिरी तहर

नीलगिरी तहर एक लुप्तप्राय जंगली बकरी प्रजाति है जो पहाड़ों पर रहती है। नीलगिरी तहर को भारतीय वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अनुसूची 1 में सूचीबद्ध किया गया था और आईयूसीएन द्वारा लुप्तप्राय माना जाता है।

1994 की लाल सूची श्रेणियों का उपयोग करके प्रजातियों को लुप्तप्राय माना गया था। यहां इरविकुलम नेशनल पार्क, मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण नीलगिरी के जंगली बकरों को बचाने के लिए किया गया था। 1975 में इसे अभ्यारण्य घोषित किया गया था। 97 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। यहां दुर्लभ नीलगिरी बकरों को देखा जा सकता है। साथ ही यहां ट्रैकिंग की भी सुविधा उपलब्ध है।

टी-म्यूजियम

इस संग्रहालय को टाटा-टी द्वारा संचालित किया जाता है। 1880 में मुन्नार में चाय उत्पादन की शुरुआत से जुड़ी निशानियां इसी संग्रहालय में रखी गई हैं। यहां मुन्नार के इतिहास से रूबरू कराती कई तस्वीरें मिलेंगी। इसके पास ही स्थित टी प्रोसेसिंग प्लेस में चाय बनने की पूरी प्रक्रिया को करीब से देखा और समझा जा सकता है।

मीसापुलिमाला

मेसापुलिमाला 2,640 मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट में दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। मेसापुलिमाला नाम शिखर की उपस्थिति से लिया गया है जो एक तेंदुए के चेहरे जैसा दिखता है।

इको प्वाइंट

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक प्राकृतिक गूंज स्थान है जहां आप जो कुछ भी कहते हैं वह आपको वापस ले जाता है। इको प्वाइंट मुन्नारेटी बांध और झील के शीर्ष स्टेशन के रास्ते मुन्नार से 15 किमी दूर मौजूद है। इको प्वाइंट की सुंदरता के अलावा, पर्यटक झील के माध्यम से नाव की यात्रा का लुत्फ ले सकते हैं। फोटोग्राफी लिहाज से यह एक अच्छा स्थान है।

अनामुड़ी पहाड़ी

इरविकुलम नेशनल पार्क के नजदीक ही ​दक्षिण भारत की सबसे ऊंची अनामुड़ी पहाड़ी है। इसकी ऊंची 2700 मीटर है। हालांकि इस चोटी पर जाने के लिए आपको वाइल्ड लाइफ अथॉरिटी की अनुमति लेनी होगी। यहां पहुंचकर मुन्नार की खूबसूरती को कैमरे में कैद कर सकते हैं।

पल्‍लईवसल

मुन्‍नार के चित्रापुरम इलाके से तीन किमी. दूर है पल्‍लईवसल। यह वही जगह है जो केरल के पहले हाइड्रो इलेक्‍ट्रिक प्रोजेक्‍ट के लिए जानी जाती है। यह जगह काफी खूबसूरत है और टूरिस्‍ट्स का फेवरेट पिकनिक स्‍पॉट भी है।

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