Press "Enter" to skip to content

कल्पवृक्ष : मन को स्थिर करने का सबसे आसान उपाय

  • सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु।

योग में, एक अच्छी तरह से स्थापित, स्थिर मन को कल्पवृक्ष कहते हैं। कल्पवृक्ष यानी हर इच्छा को पूरा करने वाला वृक्ष। अगर आप अपने शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा को एक ही दिशा में लगाते हैं तो निर्माण करने की आप की योग्यता अद्भुत होगी।

कल्पवृक्ष का अर्थ है कि हमने इस धरती पर जो कुछ भी बनाया है, वह पहले मन में बनाया गया था। मनुष्य ने जो कुछ भी कार्य किया है, उत्तम और घृणित, दोनों ही वे सब पहले मन में ही किये गये, बाद में बाहरी दुनिया के सामने प्रकट हुए। यौगिक परंपराओं में एक अच्छी तरह से स्थापित, स्थिर मन को कल्पवृक्ष कहते हैं। ‘कल्पवृक्ष’, अर्थात वह वृक्ष जो आप की हर इच्छा को पूरा करता है।

आप अगर अपने मन को एक खास स्तर पर संयोजित कर लें तो यह आप के पूरे सिस्टम को व्यवस्थित कर देता है आप का शरीर, आप की भावनाएं और उर्जायें, सभी उसी दिशा में संयोजित हो जाते हैं। अगर ये होता है तो आप स्वयं ‘कल्पवृक्ष’ हो जाते हैं। आप जो भी चाहते हैं, वह हो जाता है।

आप क्या चाहते हैं, इसके बारे में सावधान रहें! : यौगिक कथाओं में एक सुंदर कहानी आती है। एक व्यक्ति घूमने को निकला और चलते-चलते, अचानक ही स्वर्ग पहुंच गया। लंबी दूरी चलने के कारण वह थोड़ा थक गया था, तो उसको विचार आया, ‘क्या होता अगर मैं आराम कर सकता’?

तो उसे एक सुंदर वृक्ष दिखाई दिया जिसके नीचे सुंदर कोमल घास थी। वह वहां जा कर वृक्ष के नीचे घास पर सो गया। कुछ घंटों बाद, अच्छी तरह से आराम कर के वह उठा। फिर उसने सोचा, ‘अरे, मुझे भूख लगी है। क्या अच्छा हो यदि मुझे कुछ खाने को मिले’।

उसने बहुत सी अच्छी चीजों के बारे में सोचा जो वह खाना चाहता था और वे सब चीजें उसके सामने आ गयीं। पेट भर खा कर उसे प्यास लगी और उसने सोचा, ‘क्या ही अच्छा हो अगर कुछ पीने को मिल जाए। उसने कुछ अच्छे पेय पदार्थों के बारे में सोचा तो वे सभी उसके सामने आ गए।

लेकिन, उसे विचार आया, ‘यहां ये सब क्या हो रहा है? मैंने जो खाना चाहा वो खाने को मिल गया, जो पीना चाहा वो पीने को मिल गया! यहां जरूर कोई भूत हैं!’ जैसे ही उसने ये सोचा, वहां भूत आ गये। तब वह बोला, ‘अरे, यहां वाकई भूत हैं, ये मुझे सतायेंगे!’ तो भूतों ने उसे सताना शुरू कर दिया। तब वो दर्द से कराहने लगा और चिल्लाने लगा, ‘ये भूत मुझे सता रहे हैं, शायद ये मुझे मार डालेंगे!’ और वह मर गया।

समस्या ये थी कि वो इच्छा पूरी करने वाले कल्पवृक्ष के नीचे बैठा था। तो वह जो भी सोचता था, वह बात पूरी हो जाती थी। आप को अपने मन का विकास उस सीमा तक करना चाहिये कि वो कल्पवृक्ष बन जाये, पागलपन का स्रोत नहीं। एक अच्छी तरह से स्थापित मन को कल्पवृक्ष कहते हैं। इस मन में आप जो कुछ भी चाहते हैं, वह वास्तविकता बन जाता है।

अधिकतर लोगों की यही दशा है क्योंकि उनका शरीर, मन और ऊर्जा नियंत्रण में नहीं हैं तो वे अपनी विवशताओं से ही काम करेंगे। जब वे अपने ही ढंग से काम कर रहे होंगे तो कल्पवृक्ष एक बहुत दूर की चीज़ होगी।

महत्वपूर्ण बात ये है कि आप को यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह क्या है जो आप चाहते हैं? अगर आप को नहीं मालूम कि आप चाहते क्या हैं, तो उसे बनाने का सवाल ही नहीं उठता। आप जो चाहते हैं, हर मनुष्य जो चाहता है, उसकी ओर यदि आप देखें तो वह आनंदपूर्वक और शांतिपूर्वक रहना ही तो चाहता है।

More from संस्कृतिMore posts in संस्कृति »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.