Press "Enter" to skip to content

वेदांत : अध्यात्म की नजर में क्या है ‘ज्ञान’, ऐसे करें हासिल

जो लोग ज्ञान के मार्ग पर चलते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जिनकी बुद्धि उन्हें किसी चीज पर विश्वास नहीं करने देती, न ही वे किसी चीज पर अविश्वास करते हैं।

वेदों में ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए ज्ञान योग के अंतर्गत चार सिद्धांत बताए गए हैं। पहला है ‘विवेक’ द्वारा गुण और दोष में अन्तर करना। दूसरा सिद्धांत है ‘वैराग्य’ यानी त्याग, आत्म त्याग, संन्यास तीसरा सिद्धांत है ‘षट संपत्ति’ छ: कोष, संपत्तियां और चौथा सिद्धांत है ‘मुमुक्षत्व’ यानी ईश्वर प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयास करना।

यहां इस बात का ज्ञान होना बेहद जरूरी है कि वेदान्त, ज्ञान योग की एक शाखा है जो व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति की दिशा में प्रेरित करती है। इसका मुख्य स्त्रोत उपनिषद हैं जो वेद ग्रंथो और अरण्यक ग्रंथों का सार समझे जाते हैं। उपनिषद् वैदिक साहित्य का अंतिम भाग है, इसीलिए इसको वेदान्त कहते हैं।

विश्वास और अविश्वास दोनों से परे

आध्यात्मिक गुरु ‘सदगुरु’ जग्गी वासुदेव कहते हैं ज्ञानी व्यक्ति किसी चीज पर विश्वास नहीं करते, न ही किसी चीज से अपनी पहचान जोड़ते हैं। वे जैसे ही ऐसा करते हैं, बुद्धि का पैनापन और उसका प्रभाव खत्म हो जाता है।

आजकल ज्ञान के नाम पर लोग बहुत सारी चीजों पर विश्वास करने लगते हैं जैसे कि ‘मैं आत्मा हूं, मैं परमात्मा हूं।’ उन्हें लगता है कि सब कुछ वे किताबों में पढ़ कर जान सकते हैं, जैसे ब्रह्मांड की सारी व्यवस्था कैसी है, आत्मा का रूप और आकार क्या है, उसके परे किस तरह जाना है?

दरअसल, यह ज्ञान योग नहीं है, क्योंकि आप बस किसी चीज पर विश्वास कर रहे हैं। जो लोग ज्ञान के मार्ग पर चलते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं, जिनकी बुद्धि उन्हें किसी चीज पर विश्वास नहीं करने देती, न ही वे किसी चीज पर अविश्वास करते हैं। उनका मानना होता है कि ‘जो मैं जानता हूं, वह जानता हूं। जो मैं नहीं जानता, वह नहीं जानता।’ यही ज्ञान है।

यहां है ज्ञान योग का विस्तार से वर्णन

ज्ञान योग के विस्तार को समझने के लिए स्वामी विवेकानन्द की किताब ‘ज्ञानयोग’ का अध्ययन कर सकते हैं। इस किताब में स्वामी जी के ज्ञान योग से संबंधित व्याख्यान, उपदेशों और लेखों को लिपिबद्ध किया गया है। ज्ञान का संचय कैसे किया जाए इसके लिए यह किताब बहुत बेहतर तरीके से इन ज्ञान योग के बारे में बताती है।

More from संस्कृतिMore posts in संस्कृति »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *