प्रतीकात्मक चित्र।
दुनिया में जहां भी दिवाली के महत्व को लोग जानते हैं वो अपने पूरे परिवार के साथ इस त्योहार को मनाने के लिए तैयार रहते हैं। यह त्योहार ही कुछ ऐसा है दीपों का त्योहार, खुशियों का त्योहार और धन-वैभव-स्वच्छता का वो त्योहार जो दीपावली के नाम से सदियों से मनाया जा रहा है। दिवाली की शुरूआत होती है धनतेरस से, धनतेरस यानी धन का दिन।
लोग कहते हैं धन है तो सब कुछ है। यह सच है, लेकिन प्रेम और इंसानियत है तो धन का वैभव कई गुना बढ़ जाता है। धनतेरस ‘धन’ का दिन है। यानी धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन। अर्थशास्त्र में चाणक्य कहते हैं, ‘धर्मस्य मूलम् अर्थः’ जिसका अर्थ है, ‘समृद्धि धार्मिकता का मूल है।’
धन सब कुछ नहीं, जैसे एक घी के दीपक को जलाने के लिए, बाती को घी में आंशिक रूप से डुबोना पड़ता है। अगर बाती पूरी तरह से घी में डूब जाती है, तो वह रोशनी नहीं ला सकती है। जीवन ठीक ‘दीपक की बाती’ की तरह है, आपको दुनिया में रहना है और फिर भी इससे अछूते नहीं हो सकते हैं।
यदि आप दुनिया के भौतिकवाद में डूब गए हैं, तो आप अपने जीवन में खुशी और ज्ञान नहीं ला सकते हैं। संसार में होते हुए भी उसके सांसारिक पहलू में बिना डूबे , हम आनंद और ज्ञान के प्रकाश से सराबोर हो सकते हैं। दीपावली का दिन यही सीख देता है।
धनतेरस से शुरू होने वाली दीपावली हमें जीवन में ज्ञान के प्रकाश का स्मरण कराती है। इस दिन दीपक न केवल घरों को सजाने के लिए, बल्कि जीवन के इस गहन सत्य को संप्रेषित करने के लिए भी जलाए जाते हैं कि हर दिल में ज्ञान और प्रेम का दीपक जलता रहे, ताकि हर चेहरे पर उज्ज्वल मुस्कान आए।
दीपावली को दिवाली भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्तियां। जीवन के कई पहलू और चरण हैं और यह महत्वपूर्ण है कि जीवन को पूरी तरह से व्यक्त करने के लिए आप उनमें से प्रत्येक पर प्रकाश डालें। रोशनी की पंक्तियां आपको याद दिलाती हैं कि जीवन के हर पहलू पर आपका ध्यान और ज्ञान का प्रकाश एकाग्र होना चाहिए।
हर इंसान में कुछ अच्छे गुण होते हैं और प्रत्येक उस दीपक की तरह है, जो अपने व्यक्तित्व का प्रकाश करते हैं, यही कारण है कि कुछ लोगों में संयम होता है, कुछ में प्यार, ताकत, उदारता होती है, जबकि कुछ में लोगों में एकजुट करने की क्षमता होती है।
हर व्यक्ति में अव्यक्त मूल्य ‘दीपक’ की तरह है। सिर्फ एक दीपक जलाने से संतुष्ट न हों अज्ञानता को दूर करने के लिए हजारों दिए की रोशनी की आवश्यकता है। अपने आप में ज्ञान का दीपक जलाकर और ज्ञान प्राप्त करके आप अपने अस्तित्व के सभी पहलुओं को जागृत कर सकते हैं। जब आप यह दीपक अपने अंत:मन में जलाते हैं तो यही तो दीपावली है।
अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं को छोड़ दें। जो आज है उसमें जियो यही बात कई लोग सदियों से कहते आ रहे हैं नया कुछ नहीं, नया वो है जो आप, पढ़ने या सुनने के पहले नहीं जानते थे।
दिवाली आपके आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाने का प्रकल्प है जो त्योहार के रूप में हर साल आती है। जिसके पास आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है, उसके लिए दीपावली साल में केवल एक बार आती है, लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति दिवाली हर पल और हर दिन मनाते हैं।
Be First to Comment