अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: हर्षिता सक्सेना Updated Sat, 17 Sep 2022 11:32 AM IST
‘कौन बनेगा करोड़पति सीजन 14’ में एक करोड़ की धनराशि जीतकर कोल्हापुर की रहने वाली 45 वर्षीय कविता चावला ने यह साबित कर दिया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। साल 2000 में जब कौन बनेगा करोड़पति की शुरुआत हुई थी। तभी से कविता चावला इस शो में भाग लेना चाह रही थी और 21 साल, 10 महीने के बाद उन्हें मौका मिला बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का।
यकीन ही नहीं हुआ कि एक करोड़ जीत लिए
कविता चावला कहती हैं, ‘एक गृहिणी होने और परिवार की जिम्मेदारियां उठाने के नाते मेरा कौन बनेगा करोड़पति में आने और करोड़पति बनने का एक छोटा सा सपना था। यह सपना मेरे लिए उस समय हकीकत में बदल गया, जब बच्चन साहब ने जोरदार आवाज में घोषणा की कि मैंने एक करोड़ रुपए जीत लिए हैं। यह एक ऐसा पल था, जो मेरे रोंगटे खड़े कर देने के लिए बहुत था। मैंने अपने आप में धैर्य रखा लेकिन खुद को शांत करना मुश्किल था। मेरी जिंदगी की एक बड़ी महत्वाकांक्षा पूरी हो चुकी थी और मैं आखिरकार इतिहास का हिस्सा बन गई।’
चार बार मिली असफलता
जब साल 2000 में कौन बनेगा करोड़पति की शुरुआत हुई। तभी से कविता चावला इसमें भाग लेने की कोशिश कर रही हैं। वह कहती हैं, ‘कौन बनेगा करोड़पति के लिए मैं हर सीजन के लिए कोशिश कर रही थी। मुझे साल 2012 में पहली बार कॉल आया और फोन पर तीन सवाल पूछे गए, लेकिन मैं घबरा के जवाब नहीं दे पाई। पहला मौका था, कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन मैं कोशिश करती रही, पांच साल के बाद फिर दूसरा मौका मिला, जिसमे न्यूमेरिकल सवाल पूछा गया और जवाब नहीं दे पाई। साल 2020 में दूसरी सीढ़ी तक पहुंच गई। कोविड का समय था तो, ऑनलाइन ही ऑडिशन हुए, लेकिन इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं आया। 2021 में तीन सीढ़ी तक बढ़ी और फास्टेस्ट फिंगर तक पहुंच गई, लेकिन हॉट सीट तक नहीं पहुंच पाई। 2022 में फिर कोशिश की और यहां तक पहुंच गई।’
बेटे की पढ़ाई में खर्च करूंगी पैसा
कविता चावला खूब पढ़ना चाहती थीं, लेकिन वह ज्यादा तक पढ़ नहीं पाईं। कविता कहती हैं, ‘मेरे समय में लड़किया ज्यादा पढ़ना नहीं चाहती थी, लेकिन मेरी इच्छा पढ़ने की थी। मेरे पिता दसवीं के बाद नहीं पढ़ाना चाह रहे थे। वह मेरी शादी कर देना चाहते थे। लेकिन टीचर्स के अनुरोध करने पर दो साल तक पढ़ाया और मैं 12वीं तक पढ़ पाई। इस जीत की राशि से मैं अपने बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने का अपना सपना पूरा करना चाहती हूं, ताकि वो अपने सपनों को पूरा कर सके। मैं ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के मंच की आभारी हूं, जिसने इतने सारे सपनों को सच करने में अहम भूमिका निभाई है।’
मां ने सिलाई करके की परवरिश
कविता चावला के पिता गुरबक्श निरंकारी की कोल्हापुर में चप्पल की दुकान थी। वहां दुकान नहीं चली तो वह कोंकण गांव में शिफ्ट हो गए और वहां पर दुकान खोल ली। कविता चावला कहती हैं, ‘डैडी को बिजनेस सेट करने में समय लग रहा था। तो, मेरी मम्मी प्रमिला निरंकारी ने सिलाई करके हम दो भाई और दो बहनों की परवरिश की। साल 1999 में शादी हो गई और फिर कोल्हापुर आ गई। शादी के दो साल के बाद ही मेरा बेटा विवेक पैदा हो गया। मैं नही पढ़ पाईं लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा जितना पढ़ना चाहेगा उतना पढ़ाऊंगी।’
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