मनन शाह उस समय 14 साल के थे जब उनके पेरेन्ट्स ने उन्हें कम्प्यूटर दिया। 15 साल की उम्र तक वो कम्प्यूटर में मास्टर हो गए। इस तरह 16 साल की उम्र में मनन ने अलग-अलग वर्जन में ब्लैक Xp तैयार किया, जिसे दुनियाभर में लाखों लोगों ने डाउनलोड किया। इस तरह उन्होंने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए 18 साल की उम्र में ही एथिकल हैकर के रूप में पहचान बना ली थी।
सन् 1993 गुजरात में जन्में मनन शाह, अब खुद एक एथिकल हेकर कंपनी के फाउंडर हैं, उनकी कंपनी का नाम अवालांस सिक्टोरिटी है। यहां मनन की बात इसलिए की जा रही है कि क्योंकि उन्होंने बेहद कम उम्र में ऐसा कुछ किया जो मिसाल बन गया। एथिकल हैकर के नाम से मशहूर मनन की तरह कोई भी स्टूडेंट्स जो कम्प्यूटर की अच्छी समझ रखते हैं ‘एथिकल हैकर’ बन सकते हैं।
मनन ही नहीं बल्कि त्रिशनीत अरोरा सायबर सिक्यूरिटी कम्पनी टीएसी सिक्योरिटी का संस्थापक और सीईओ है। अरोरा ने एथिकल हैकिंग और वेब सुरक्षा पर कई किताबें लिखी हैं। तो वहीं, अंकित फादिया कंप्यूटर सुरक्षा के एक निजी सलाहकार हैं। वह रिलायंस के साथ संयुक्त रूप से विभिन्न कंपनियों के लिए कंप्यूटर सुरक्षा पर जानकारी के लिए एक कार्यक्रम चलाते हैं। यह तीनों युवा इस प्रोफेशन में बेहतर काम कर रहे हैं।
बढ़ रही है एथिकल हैकर की डिमांड
मनन बताते हैं कि एथिकल हैकिंग साइबर सिक्योरिटी के लिए बेहद जरूरी है। आज एथिकल हैकर की बेहद जरूरत है। एक एक वास्तविक हैकर किसी साइबर सिक्योरिटी से संबंधित किसी कमजोरी को पहले पहचान लेता है और उसे समय रहते ठीक करता है।
ऐसे में एथिकल हैकर की डिमांड भी है और रिक्रूमेंट भी हो रहे हैं। नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक हमें 10 लाख साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की आवश्यकता है। जिनके पास कंप्यूटर विज्ञान, आईटी या कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री है, वह नैतिक हैकिंग यानी एथिकल हैकिंग के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। एथिकल हैकर बनने के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
कौन होते हैं एथिकल हैकर
दरअसल, एथिकल हैकर एक तरह से आईटी सिक्योरिटी प्रोफेशनल होते हैं। उसमें वह सभी खूबियां होती है जो एक हैकर में होती है, लेकिन इन खूबियों का इस्तेमाल वह कम्प्यूटर व साइबर वर्ल्ड में सेफ्टी के लिए करते हैं। इन्हें सेफ्टी यानी सुरक्षा विश्लेषक, पैनीट्रेशन टेस्टर्स या व्हाइट हैकर भी कहते हैं। ये कंपनी के इंर्फोमेशन सिस्टम को ब्लैकहैट हैकर्स से सुरक्षित रखते हैं।
कैसे बनें एथिकल हैकर
कई कंपनियों अपने डाटा की प्राइवेसी और फिशिंग जैसे फ्रॉड की घटनाओं से बचने के लिए कंप्यूटर साइंस और इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएट या अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को मौका देती हैं। कंप्यूटर साइंस और आईटी में इन बेसिक डिग्री के अतिरिक्त एथिकल हैकिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने पर भी काफी सहायता मिलती है।
कोर्स के लिए ये हैं बेहतर इंस्टट्यूट्स
साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ के कारण एथिकल हैकर की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां अपने सिस्टम में सेंसटिव डाटा की प्राइवेसी बनाए रखने और उन्हें हैकिंग से बचाने के लिए एथिकल हैकर को जॉब देती हैं।
गवर्मेंट सेक्टर की बात करें तो भारत के रक्षा मंत्रालय में इस तरह की जॉब की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा सीबीआई, इसरो, आईटी फर्म, बैंक, एयरलाइंस, पुलिस विभाग के साइबर सेल में एथिकल हैकर की डिमांड बनी रहती है।
भारत में ऐसे कई विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूट्स हैं जो एथिकल हैकर बनने के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग देते हैं। जैसे ईसी-कन्सिल, ल्यूसीडियस, Avalance प्रमाणित एथिकल हैकर, अंकित फ़ैडिया सर्टिफिकेशन, इनोब़ज़, टेक डिफेंस, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) स्कूल ऑफ वोकेशनल ऐजुकेशन एंड ट्रेनिंग, आईआईआईटी, इलाहाबाद, इंडिया स्कूल औफ हैकिंग, कोलकाता और आईएमटी गाजियाबाद।
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