अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: शाहरुख खान Updated Wed, 10 Jul 2024 09:59 AM IST
हाथरस हादसे के मूल कारणों और लापरवाहियों को उजागर करते हुए एसआईटी ने रिपोर्ट शासन को भेज दी। शासन ने भी इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते आधा दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर दिए। मगर, सवाल है कि क्या सिर्फ लापरवाही इन छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों की ही थी। या फिर एसआईटी में वरिष्ठों को बचाने का प्रयास किया गया है, जबकि सच तो ये भी है कि निचले स्तर से एक-एक बात पत्राचार के तौर पर और मौखिक तौर पर वरिष्ठों को बताई गई। मगर, उनके स्तर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
घटनाक्रम की शुरुआत पर गौर करें तो मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर ने 18 जून को एसडीएम के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए आवेदन किया था। जिस पर एसडीएम ने संबंधित विभागों से रिपोर्ट लेने के बाद अनुमति जारी की।
29 जून को इंस्पेक्टर सिकंदराराऊ ने पुलिस के बड़े अफसरों को पत्र लिखा जिसमें साफ बताया था कि एक लाख लोगों की भीड़ जुट सकती है। एसपी से होते हुए यह पत्र एएसपी तक पहुंचा। अपर पुलिस अधीक्षक ने यहां 69 पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी।
अब जरा सोचिए कि एक पत्र पुलिस के बड़े अफसरों के पास से होते होते थाने तक आ गया लेकिन कोई यह सवाल नहीं खड़ा कर सका कि फोर्स कम लग रही है। वहीं फायर ब्रिगेड भी कम से कम पांच से छह लगाई जानी चाहिए थीं लेकिन लगी एक।
सुबह से ही सिकंदराराऊ में भीड़ जुटने लगी थी। 11 बजे तक एक लाख तक की भीड़ थी। मगर फिर भी कोई बड़ा अफसर यहां नहीं आया। ऐसा भी नहीं था कि हाथरस में दूसरा कोई बड़ा कार्यक्रम हो रहा हो। जबकि एलआईयू स्तर से भी एक लाख से अधिक भीड़ का अनुमान लगाकर रिपोर्ट दी गई।
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