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Champai Soren: सत्ता मिलने से छिनने तक, दिल्ली-कोलकाता में मुलाकातें, क्या है चंपई के भाजपा में आने की कहानी?

टाइमलाइन

झारखंड में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही सियासी हलचल बढ़ गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हो गए हैं। चंपई रांची में भाजपा में शामिल हुए। उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेताओं शिवराज सिंह, हिमंत बिस्वा सरमा, बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली।

हाल ही में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा में खुद का अपमान होने की बात कह कर पार्टी से अलग राह तलाशने की बात कही थी। इसके बाद दिल्ली में चंपई की भाजपा नेतृत्व से मुलाकात हुई और अब अंततः पार्टी का हिस्सा बन गए हैं।

बीते छह महीने में चंपई का सियासी करियर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। इसी दौरान वह मुख्यमंत्री भी बने और पद भी छोड़ना पड़ा और अब पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ आ गए हैं। आइये टाइमलाइन के जरिए जानते हैं कि चंपई सोरेन का झामुमो से मोह भंग कैसा हुआ? पार्टी से अलग होने की बात कैसे आई? भाजपा नेतृत्व से कब मुलाकात हुई? झामुमो से इस्तीफा कब दिया? अभी क्या हो हुआ है?
 

2 फरवरी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद ईडी ने हेमंत को जमीन घेटाला मामले में गिफ्तार कर लिया। हेमंत की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन झामुमो विधायक दल के नेता चुने गए। 2 फरवरी 2024 को उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इस पद पर पहुंचने वाले चंपई सातवें नेता थे। इसके साथ ही चंपई शिबु सोरेन और हेमंत सोरेने के बाद झामुमो के तीसरे नेता बन गए जो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे।   28 जून
पांच महीने से रांची की जेल में बंद हेमंत को 28 जून को बड़ी राहत मिल गई। झारखंड उच्च न्यायालय ने 8.36 एकड़ जमीन के अवैध कब्जे से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि सोरेन को जमीन के कब्जे से सीधे तौर पर जोड़ने का कोई सबूत नहीं है। इसके बाद झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और अदालत से राहत मिलने के बाद हेमंत ने चंपई की जगह ली।    3 जुलाई 
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद एक बार फिर झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन की कवायद शुरू हो गई। तय हुआ कि अदालत से जमानत मिलने के बाद सोरेन ने राज्य की कमान संभालेंगे। इस बीच चंपई सोरेन ने 3 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

4 जुलाई
हेमंत सोरेन ने करीब पांच महीने बाद झारखंड की सत्ता फिर से संभाल ली। 4 जुलाई को हेमंत तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इससे पहले चंपई सोरेन ने विधायक दल के नेता और राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। 8 जुलाई
हेमंत सोरेन ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। नई सरकार में चंपई को कैबिनेट मंत्री के रूप में जल संसाधन, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली।  17 अगस्त
अटकलों का बाजार तब गर्म होने लगा जब झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का दिल्ली दौरा तय हुआ। कहा जाने लगा चंपई सोरेन कुछ झामुमो विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होंगे। चंपई इस बात से खुश नहीं थे कि उन्हें शीर्ष पद से हटा दिया गया। खबरों में कहा गया कि 17 अगस्त की रात वे कोलकाता में थे, जहां उन्होंने बंगाल भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात की। इसके अलावा, बताया गया कि सोरेन झारखंड भाजपा प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संपर्क में हैं। 18 अगस्त
चंपई ने 18 अगस्त को तमाम खबरों का खंडन करते हुए कहा कि वह किसी निजी काम से दिल्ली आए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां अपने निजी काम से आया हूं। अभी हम जहां पर हैं वहीं पर हैं।’ चंपई ने यह भी बताया कि वह अपनी बेटी से मिलने दिल्ली आये हैं। हालांकि, इसी दिन चंपई ने एक लंबा सोशल मीडिया पोस्ट लिखा जिससे तय हो गया कि वह झामुमो से अलग होंगे। चंपई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाया था। 18 अगस्त को लिखे पोस्ट में चंपई ने कहा, ‘लगातार अपमानजनक व्यवहार से भावुक हो कर मैंने सियासत में नए विकल्प को अपनाने का फैसला किया है।’

चंपई के मुताबिक, 1 जुलाई को अगले दो दिनों के उनके सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें बताया गया कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक वो सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।

चंपई ने कहा, ‘विधायक दल की बैठक के दौरान उनसे इस्तीफा मांगा गया और मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्मसम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।’

पूर्व सीएम ने कहा कि उनके पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से संन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना।

26 अगस्त
इन संकेतों के बाद चंपई ने अपने इलाकों के दौरे शुरू कर दिए और अपने लोगों और समर्थकों से मिलने लगे। इस बीच 26 अगस्त को चंपई नई दिल्ली पहुंचे जहां उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। बीते एक हफ्ते में यह उनकी दूसरी दिल्ली यात्रा थी। इस बैठक के बाद भाजपा प्रदेश प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि चंपई सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। इसके बाद खुद चंपई का बयान आया जिसमें झामुमो नेता ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पर भरोसा जताया है।  28 अगस्त
आखिरकार 28 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे को एक्स पर पोस्ट करते हुए चंपई सोरेन ने लिखा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से त्याग पत्र दिया। झारखंड के आदिवासियों, मूल वासियों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों के मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा।  30 अगस्त
राज्य के पूर्व सीएम चंपई सोरेन शुक्रवार को रांची में आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गए हैं।  

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