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राजनीति

प्रधानमंत्री-का-बैंक
कà¥à¤®à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 12 सितंबर, 2014: पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने पंदà¥à¤°à¤¹ अगसà¥à¤¤ को लाल किले से अपनी जिन हसरतों का जिकà¥à¤° किया, उनमें à¤à¤• थी कि इस देश के हर गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ और गरीब के पास अपना बैंक खाता होना चाहिà¤à¥¤ फिर à¤à¤• पखवाड़े से भी कम समय में, अटà¥à¥à¤ à¤¾à¤ˆà¤¸ अगसà¥à¤¤ को à¤à¤•…
इंसानी-रिश्ता-बनाने-की-तड़प
अपूर्वानंद  जनसत्ता 11 सितंबर, 2014: मुक्तिबोध अचानक क्यों लोकप्रिय हो उठे? ‘चांद का मुंह टेढ़ा है’ की भूमिका लिखते हुए 1964 में शमशेर बहादुर सिंह ने यह प्रश्न किया था। तब मुक्तिबोध अचेत थे। शमशेर ने लिखा कि 1964 के मध्य में मुक्तिबोध अचानक एक बड़ी घटना बन गए। अशोक…
महात्मा-गांधी-बनाम-चर्चिल
सà¥à¤§à¤¾à¤‚शॠरंजन  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 9 सितंबर, 2014: बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ सरकार ने घोषणा की है कि महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की मूरà¥à¤¤à¤¿ लंदन के पारà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤®à¥‡à¤‚ट सà¥à¤•à¥à¤µà¤¾à¤¯à¤° में विंसà¥à¤Ÿà¤¨ चरà¥à¤šà¤¿à¤² के साथ 2015 के गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•à¤¾à¤² तक लगाई जाà¤à¤—ी। पहले से ही गांधीजी की à¤à¤• और मूरà¥à¤¤à¤¿ लंदन में किंगà¥à¤œ कà¥à¤°à¥‰à¤¸ के निकट टैविसà¥à¤Ÿà¥‰à¤• सà¥à¤•à¥à¤µà¤¾à¤¯à¤° पर है…

जवाहिरी का जहर

अख़लाक़ अहमद उस्मानी  जनसत्ता 8 सितंबर, 2014: किसी हिंदी सूफी संत ने कहा है कि कुछ लोग अपने नाम के मुताबिक होते हैं या उसके खिलाफ। अरबी में ‘ऐमन’ लफ्ज का तजुर्मा सीधा और ‘जवाहिरी’ का अर्थ घटना होता है यानी ऐमन जवाहिरी का अर्थ होता है ‘सीधे रास्ते पर…

कश्मीर का रुख समझने की जरूरत

मधॠकिशà¥à¤µà¤°  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 5 सितंबर, 2014: जब भाजपा सरकार ने नरेंदà¥à¤° मोदी की ताजपोशी के लिठपाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ और अनà¥à¤¯ पड़ोसी देशों को नà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¾ देकर à¤à¤• नठवारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की तो उसमें नरेंदà¥à¤° मोदी ने अपने बड़पà¥à¤ªà¤¨ की पहचान बनाई। पर हाल ही में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ राजदूत की हà¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤ और अनà¥à¤¯…

कर्तव्य संस्कृति से साक्षात्कार

लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤§à¤° मालवीय  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 4 सितंबर, 2014: पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤µà¤° नरेंदà¥à¤° मोदीजी नमसà¥à¤•à¤¾à¤°, जापान के à¤à¤• विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में नियà¥à¤•à¥à¤¤ हो यहां आठमà¥à¤à¥‡ पचास बरस होते हैं। वहां से अवकाश पाकर मैं पिछले पचीस वरà¥à¤· से कà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥‹ जिले के इस ठेठ पहाड़ी गांव में निवसित हूं। मेरी किशोरावसà¥à¤¥à¤¾ बीती अब से तीन चौथाई…

मीडिया में स्वामित्व की मर्यादा

दिलीप ख़ान  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 3 सितंबर, 2014: भारत में मीडिया को लेकर हाल के वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में जो चिंता जताई गई है उस पर मीडिया के बाहर और भीतर लगातार चरà¥à¤šà¤¾ हà¥à¤ˆ, लेकिन उसे दà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤ करने की दिशा में कदम न के बराबर उठे। पिछले पांच-छह वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बड़े निगमों ने जिस…

लहू के दो रंग

अख़लाक़ अहमद उस्मानी  जनसत्ता 2 सितंबर, 2014: कुरआन और हदीस में बेशुमार जगह अत्याचारियों को इस बात से रोका गया है कि वे धर्म के आधार पर जुल्म करें। कुरआन अल्लाह के कथन हैं और हदीस उसके पैगंबर हजरत मुहम्मद के। लेकिन दो सौ साल पहले पैदा हुई ‘वहाबियत’ और…

भाषाई उपेक्षा का दंश

गणपत तेली  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 1 सितंबर, 2014: भारतीय पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवा परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में भारतीय भाषाओं की उपेकà¥à¤·à¤¾ और दोयम दरà¥à¤œà¥‡ के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ कà¥à¤› समय से बराबर उठता रहा है। संघ लोक सेवा आयोग की पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवाओं के अतिरिकà¥à¤¤ भी अधिकतर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—ी परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में भारतीय भाषाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ ही है।…

विद्वेष की बुनियाद पर सियासत

अपूरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤‚द  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 29 अगसà¥à¤¤, 2014 : भारतीय जनता पारà¥à¤Ÿà¥€ की उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ इकाई ने आधिकारिक पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ में ‘लव-जेहाद’ का जिकà¥à¤° नहीं किया है। यह बताया गया कि à¤à¤¸à¤¾ उसने पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के संकेत पर किया। इससे पारà¥à¤Ÿà¥€ को सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हो न हो, उसके उदारपंथी, अंगरेजीभाषी, आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पैरोकारों…

खाद्यान्न सुरक्षा और वैश्विक विसंगतियां

धरà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² सिंह  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 28 अगसà¥à¤¤, 2014 : à¤…पने खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ अधिकार की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठभारत के कड़े रà¥à¤– के कारण विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° संगठन (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ) के आका अमीर देश भले नाराज हों, लेकिन अब हमारे समरà¥à¤¥à¤¨ में कà¥à¤› देश और संगठन खà¥à¤² कर सामने आठहैं। पहले पड़ोसी चीन ने समरà¥à¤¥à¤¨…

बगीचे को तोतों से डर लगता है

गिरिराज किशोर  जनसत्ता 27 अगस्त, 2014 : यह बात मुझे क्यों याद आ रही है? यह बात दोबारा दिमाग में उठ रही है। पहले तब उठी थी जब आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि न्यायपालिका प्रतिबद्ध होनी चाहिए। आपातकाल के बावजूद हर तरफ  से आवाजें आने लगी…

ओझल आदिवासी समाज

विनोद कà¥à¤®à¤¾à¤°  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 26 अगसà¥à¤¤, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहà¥à¤² इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी à¤à¤• कौतूहल का भाव रहता है। इस परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में यह जानना दिलचसà¥à¤ª होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी…

आत्म-मोह का धुंधलका

कनक तिवारी  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 25 अगसà¥à¤¤, 2014 : कà¥à¤¯à¤¾  à¤¹à¥ˆ इस आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ में? पूरà¥à¤µ नौकरशाह, मंतà¥à¤°à¥€, राजनयिक नटवर सिंह की लगभग चार सौ पृषà¥à¤ à¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से विवादासà¥à¤ªà¤¦ और महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बना दी गई। यह आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ होने के बदले यादधà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€ डायरी के पृषà¥à¤ à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹…

बेलगाम महंगाई के पोषक

विकास नारायण राय  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 22 अगसà¥à¤¤, 2014 : वितà¥à¤¤à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरà¥à¤£ जेटली के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आम लोगों के लिठबवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवशà¥à¤¯à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤“ं की आपूरà¥à¤¤à¤¿ से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तरà¥à¤• रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार…