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राजनीति

भाषाई-उपेक्षा-का-दंश
गणपत तेली  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 1 सितंबर, 2014: भारतीय पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवा परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में भारतीय भाषाओं की उपेकà¥à¤·à¤¾ और दोयम दरà¥à¤œà¥‡ के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ कà¥à¤› समय से बराबर उठता रहा है। संघ लोक सेवा आयोग की पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवाओं के अतिरिकà¥à¤¤ भी अधिकतर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—ी परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में भारतीय भाषाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ ही है।…
विद्वेष-की-बुनियाद-पर-सियासत
अपूरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤‚द  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 29 अगसà¥à¤¤, 2014 : भारतीय जनता पारà¥à¤Ÿà¥€ की उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ इकाई ने आधिकारिक पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ में ‘लव-जेहाद’ का जिकà¥à¤° नहीं किया है। यह बताया गया कि à¤à¤¸à¤¾ उसने पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के संकेत पर किया। इससे पारà¥à¤Ÿà¥€ को सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हो न हो, उसके उदारपंथी, अंगरेजीभाषी, आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पैरोकारों…
खाद्यान्न-सुरक्षा-और-वैश्विक-विसंगतियां
धरà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² सिंह  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 28 अगसà¥à¤¤, 2014 : à¤…पने खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ अधिकार की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठभारत के कड़े रà¥à¤– के कारण विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° संगठन (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीओ) के आका अमीर देश भले नाराज हों, लेकिन अब हमारे समरà¥à¤¥à¤¨ में कà¥à¤› देश और संगठन खà¥à¤² कर सामने आठहैं। पहले पड़ोसी चीन ने समरà¥à¤¥à¤¨…

बगीचे को तोतों से डर लगता है

गिरिराज किशोर  जनसत्ता 27 अगस्त, 2014 : यह बात मुझे क्यों याद आ रही है? यह बात दोबारा दिमाग में उठ रही है। पहले तब उठी थी जब आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि न्यायपालिका प्रतिबद्ध होनी चाहिए। आपातकाल के बावजूद हर तरफ  से आवाजें आने लगी…

ओझल आदिवासी समाज

विनोद कà¥à¤®à¤¾à¤°  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 26 अगसà¥à¤¤, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहà¥à¤² इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी à¤à¤• कौतूहल का भाव रहता है। इस परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में यह जानना दिलचसà¥à¤ª होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी…

आत्म-मोह का धुंधलका

कनक तिवारी  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 25 अगसà¥à¤¤, 2014 : कà¥à¤¯à¤¾  à¤¹à¥ˆ इस आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ में? पूरà¥à¤µ नौकरशाह, मंतà¥à¤°à¥€, राजनयिक नटवर सिंह की लगभग चार सौ पृषà¥à¤ à¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से विवादासà¥à¤ªà¤¦ और महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बना दी गई। यह आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ होने के बदले यादधà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€ डायरी के पृषà¥à¤ à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹…

बेलगाम महंगाई के पोषक

विकास नारायण राय  à¤œà¤¨à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾ 22 अगसà¥à¤¤, 2014 : वितà¥à¤¤à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरà¥à¤£ जेटली के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आम लोगों के लिठबवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवशà¥à¤¯à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤“ं की आपूरà¥à¤¤à¤¿ से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तरà¥à¤• रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार…