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राष्ट्रीय

चित्र : 1971 का ‘भारत-पाक युद्ध’ के दौरान भारतीय जाबांज सैनिक। यह बात है 3 दिसंबर, 1971 की। शाम का समय था। आकाशवाणी पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कहा, ‘मैं अपने देश और हमारे लोगों के लिए गंभीर संकट के क्षण में आपसे…
मुक्ति वाहिनी के लोगों ने भारतीय सेना के साथ मिलकर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी। चित्र सौजन्य : आउटलुक/रघु राय। लगभग 6 दशकों पहले 1971 में, भारत के मजबूत इरादों वाले भारत के शानदार सैनिकों, बंगालियों के पूर्ण समर्थन, भारत के एक अटूट राजनीतिक नेतृत्व के…
चित्र : किसान नेता राकेश टिकैत। डॉ. वेदप्रताप वैदिक। साल भर से चल रहा किसान आंदोलन अब स्थगित हो गया है, इस पर किसान तो खुश हैं, सरकार उनसे भी ज्यादा खुश है। सरकार को यह भनक लग गई थी कि यदि यह आंदोलन इसी तरह चलता रहा तो उत्तरप्रदेश,…

पाकिस्तान : ‘धर्म और देश की छबि’ तार-तार करते ‘इस्लामी संगठन’

कराची, पाकिस्तान में श्रीलंकाई कारखाने के प्रबंधक की लिंचिंग के बाद हत्या कर जला दिया गया। चित्र सौजन्य : अल जजीरा। डॉ. वेदप्रताप वैदिक। ‘तहरीके-लबायक पाकिस्तान’ नामक इस्लामी संगठन ने इस्लाम और पाकिस्तान, दोनों की छवि तार-तार कर दी है। पिछले हफ्ते उसके उकसाने के कारण सियालकोट के एक कारखाने…

संकट : क्या भारतीय अर्थव्यवस्था सचमुच में ‘ऑल इज वेल’ है?

प्रतीकात्मक चित्र। भारत सरकार भले ही यह दावा करती हो की भारतीय अर्थव्यस्था ‘ऑल इज वेल’ चल रही है। लेकिन इससे इतर चीजें कुछ ओर ही दशा दर्शाती हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा क्या होगी, यह काफी चुनौतीपूर्ण और चिंता का विषय हो सकता है। बीते दिनों भारत की…

भोपाल गैस त्रासदी : ‘कैसी थी वो रात’, जिस ‘रात की सुबह नहीं’!

चित्र : 2-3 दिसंबर, 1984 की रात के बाद, सुबह यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने से मृत परिजन को ले जाता हुआ व्यक्ति। भोपाल गैस त्रासदी को 37 साल हो चुके हैं। यह 2-3 दिसंबर,1984 के दौरान यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) कीटनाशक संयंत्र में हुई गैस रिसाव की घटना…

दुर्दशा : देश में, एक तरफ ‘विकास’ तो दूसरी तरफ ‘गरीबी’

डॉ. वेदप्रताप वैदिक। भारत में गरीबों की हालत कितनी शर्मनाक है। आजादी मिलने के दशकों बाद भारत में अमीरी तो बढ़ी है लेकिन वह मुट्ठीभर लोगों और मुट्ठीभर जिलों तक ही पहुंची है। आज भी भारत में गरीबों की संख्या दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है। हमारे देश…

ओमीक्रॉन : कोरोना के नए वेरिएंट ने दी दस्तक, चेहरे से ना हटाएं मास्क

प्रतीकात्मक चित्र। भारत में, इन दिनों अनगिनत चेहरों से मास्क लगभग गायब हो चुका है। लोग इस गलतफहमी में जी रहे हैं कि दोनों डोज लगवाने के बाद उनको कोरोना वायरस से किसी भी तरह का खतरा नही हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में न्यू वेरिएंट, बी.1.1.529…

क्रिप्टोकरेंसी : क्या होगा ‘डिजिटल करेंसी का भविष्य’, केंद्र सरकार सतर्क

केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी यानी डिजिटल मुद्रा पर बड़ा फैसला लेने के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला विधेयक संसद में पेश करेगी। बिल में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष को शामिल किया…

भाषा : यहां जानें, कैसे अंग्रेजों से ज्यादा खतरनाक है अंग्रेजी!

डॉ. वेदप्रताप वैदिक। भाजपा सरकार ने मानव-संसाधन मंत्रालय नाम बदलकर उसे फिर से शिक्षा मंत्रालय बना दिया, यह तो अच्छा ही किया लेकिन नाम बदलना काफी नहीं है। असली सवाल यह है कि उसका काम बदला कि नहीं? शिक्षा मंत्रालय ने यदि सचमुच कुछ काम किया होता तो पिछले सात…

भारत-पाक : बातचीत से ही निकलेगा कश्मीर समस्या का हल

प्रतीकात्मक चित्र। वेदप्रताप वैदिक। संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान कोई मौका नहीं छोड़ता है। वह हर मौके पर कश्मीर का सवाल उठाए बिना नहीं रहता। चाहे महासभा हो, चाहे सुरक्षा परिषद या मानव अधिकार परिषद! पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने अत्यंत आपत्तिजनक बात कह डाली और पाकिस्तान…

सद्भाव : देश में ‘धर्म के नाम पर’ माहौल खराब करने वालों को नसीहत!

प्रतीकात्मक चित्र। वेदप्रताप वैदिक। कुछ दिनों पहले, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक सेंट्रल स्कूल के कैम्पस में बनी एक मस्जिद को लेकर विवाद हुआ था, विवाद की वजह स्कूल परिसर में नमान पढ़ना था, और विवाद को शुरू करने वाली भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर थीं। सांसद इस…

सतर्कता : ‘तिब्बत पर संकट’ भारत के लिए बड़ा खतरा

राहुल कश्यप। साल 1951 में दुनिया की छत पर धरती के सबसे शांतिपूर्ण लोगों पर एक त्रासदी थी। इस ग्रह के इतिहास में इसे विडंबना ही कही जाएगी कि सबसे क्रूर शासनों में से एक क्रूर शक्ति द्वारा तिब्बत पर कब्जा कर इसे ‘शांतिपूर्ण मुक्ति’ की संज्ञा दी गई। भारत…

सवाल : चीन के शिकंजे से ‘तिब्बत’ कब और कैसे मुक्त हो पाएगा?

एन.एस.वेंकटरमन। छह दशक से अधिक बीत चुके हैं, जब चीन ने सेना भेजकर तिब्बत पर जबरन कब्जा कर लिया और विरोध करने वाले तिब्बतियों को निर्दयतापूर्वक कुचल दिया था। इसके बाद दलाई लामा और उनके अनुयायियों के पास तिब्बत छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। उधर, अब चीन…

तालिबान : वो सवाल, जो भारत-पाक का ‘कश्मीर मामला’ कर सकता है हल

चित्र : श्रीनगर स्थित लाल चौक। डॉ. वेदप्रताप वैदिक। लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं। पिछले ढाई महिने से भारत की विदेश नीति बगले झांक रही थी। अब वह धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है। जब से तालिबान काबुल में काबिज हुए हैं, अफगानिस्तान के सारे पड़ौसी देश…