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यदि घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो ऐसी जगहों पर जाइए जहां जाकर आजादी का असली अहसास क्या होता हैं इस बात पर आप गर्व महूसस कर सकें। देश को आजाद कराने के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते दी, जिनके स्मारकों पर जाकर नतमस्तक होना…
केरल का मुन्नार हिल स्टेशन दुनियाभर के पर्यटकों के लिए तैयार है। इन दिनों बारिश ने यहां प्राकृतिक सुंदरता को और भी ज्यादा रोमांचक बना दिया है। लोग यहां नीलकुरिंजी के फूल देखने आते हैं। यह एक दुर्लभ फूल है जो हर बारह साल में केवल एक बार ही खिलता…
सेन्टोसा जिसे सेन्तोसा के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंगापुर का एक द्वीप है, जो सिंगापुर के मुख्य द्वीप से दक्षिण में एक जलडमरू के पार स्थित है। यहां सिंगापुर की सरकार ने पूरे द्वीप को एक पर्यटन स्थल बना दिया है, जहां यूनिवर्सल स्टूडियो, एक्वेरियम और दक्षिणी…

प्रकृति : भारत में पर्यावरण पर्यटन का अतुल्य नाम है ‘हैवलॉक द्वीप’

अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से ‘हैवलॉक द्वीप’ कुछ दूर स्थित है। यह द्वीप उत्तर-पूर्व में है, जहां राधानगर समुद्र तट पर शिविर लगाने की भी सुविधा उपलब्ध है। पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग का अतिथिगृह ‘डालफिन रिसॉर्ट’ भी उपलब्ध है। हैवलॉक द्वीप सबसे अधिक पर्यटकों के…

परंपरा : कैलाश पर्वत पर है ‘गौरीकुंड’ लेकिन यहां नहाना है मना

कैलाश मानसरोवर यात्रा के कई पड़ाव हैं इन्हीं में से एक है कैलाश पर्वत के पास स्थित राक्षसताल और गौरीकुंड। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां स्नान नहीं करना चाहिए क्योंकि रावण ने इसमें डुबकी लगाईं थी और उसके मन पर बुरा असर हुआ था। हिंदू…

जन्नत : भारत में यहां है ‘स्विट्जरलैंड’ जहां है बौद्ध-हिंदू संस्कृति का संगम

सिक्किम की सैर करने से पहले यह जान लीजिए कि यह राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा 16 मई, 1975 को बना। सिक्किम 1974 तक एक अलग देश  के रूप में अपनी पहचान रखता था। आजादी के 28 साल बाद  16 मई के दिन ही एक देश, भारत में राज्य बनकर…

पर्यटन : खूबसूरत लोगों का सुन्दर शहर जहां की हर बात है रोमांचक

संजीव शर्मा। मिजोरम की राजधानी आइज़ोल खूबसूरत लोगों का सुन्दर शहर है, जहां खूबसूरती केवल चेहरों की नहीं बल्कि व्यवहार की, साफ़ दिल की, शांति और सद्भाव की, अपने शहर को साफ़-स्वच्छ बनाने की जिजीविषा की और मदद को हमेशा तत्पर सहयोगी स्वभाव की है। सड़कों पर बिंदास एसयूवी दौड़ाती…

अनुभव : भारत में यहां होता है सूरज और बादलों के बीच ट्वंटी-ट्वंटी मैच

संजीव शर्मा।  मेघालय की राजधानी शिलांग से चेरापूंजी जाते समय आपको आमतौर पर सूरज और बादलों की आंख-मिचौली का पूरा आनंद उठाने का मौका मिलता है। तक़रीबन पांच से छः हजार फुट की ऊंचाई पर 10 से 20 डिग्री तापमान में रिमझिम फुहारों से तरोताज़ा हुए विविध किस्म के आकर्षक…

धरोहर : ऐसा दिखाई देता है स्वर्ग, देखना चाहें तो यहां जरूर आएं

चित्र: बत्तीसी बावड़ी, चंदेरी यदि आप प्राचीन इमारतों पर की गई नायाब कारीगरी देखने के शौकीन हैं तो चंदेरी की यात्रा जरूर कीजिए। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में चंदेरी एक प्राचीन शहर है। यह शहर महाभारत काल से अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संवारे हुए है। खिलजी वंश और मुगल…

भोपाल की गलियां-3 : कौन थे ‘भोपाली पटिए’ जो चलाते थे परनिंदा का चर्खा

राकेश ढोंडियाल। यात्रा में अब तक: मैं भोपाली ज़बान के साथ-साथ नामकरण का ‘क’, ‘ख’ और ‘घ सीख रहा था। अब तक भोपाल के बारे में काफी रोचक बातें मालूम हो चुकी थीं। अब आगे… भोपाल के बारे में थोड़ा सा अध्ययन किया तो पाया कि भोपाल का इतिहास जहां…

भोपाल की गलियां-2 : भोपाली बोली से रू-ब-रू होने का यहां मिलेगा मौका

राकेश ढोंडियाल। यात्रा में अब तक: मैं उस लड़के की बात को आज भी नहीं भूला हूं, जो भट सुअर के पीछे लटक कर ज़ोर से चिल्लाया था ‘जान दो…जान दो…सनन जान दो…।’ भोपाली ज़बान समझने का जुनून मुझे ऐसा लगा कि मैं ‘भट सुअर’ और ‘को खां’ जैसे नए…

भोपाल की गलियां-1 : 90 के दशक में भोपाल की पहचान बन गया था ये सवाल

राकेश ढोंडियाल। 90 का दशक यानी वो समय जब कई लोग बचपन के सुहाने दिन गुजार रहे थे। न कोई फ्रिक न कोई चिंता… बस! होता था तो टीवी पर मोगली या फिर बाहर बारिश में कागज की नाव चलाने का इंतजार, लेकिन आज से 27 साल पहले कैसा था…

स्पीति के रंग-2 : यहां है ऐसा गांव जहां कभी हुआ करता था समुद्र!

राकेश ढोंडियाल। स्पीति के रंग: यात्रा के पहले भाग में हम रिकांग पिओ से चले थे और काज़ा स्पीति नदी के तट, पिन घाटी से मुद गांव के रास्ते मोनेस्ट्री पहुंचे थे जहां तिब्बती बुद्धिज़्म के सबसे नए स्वरुप जेलपु विचारधारा के बारे में हमने जाना। अब आगे… हम बहुत…

स्पीति के रंग-1 : यहां मिलेंगे सेब के सूखे चिप्स और पॉपुलर विलो

राकेश ढोंडियाल। यह बात है आज से 3 साल पहले यानी जून 2016 की, मैं रिकांग पिओ (रिकांग पिओ, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले का मुख्यालय है।) के बस अड्डा पर था। चंडीगढ़ से हिमाचल परिवहन की बस में 320 किलोमीटर का सफर 12 घंटों में तय कर शाम लगभग…

सड़क : यहां की सड़कें बयां करती हैं प्रकृति का अनुपम सौंदर्य

राकेश ढोंडियाल। उत्तराखंड आन्दोलन जब अपने चरम पर था, तब मैंने यह लेख लिखा था। प्रभाकर क्षोत्रिय जी ने इसे ‘वागर्थ’ पत्रिका में रम्य रचना के नाम से प्रकाशित किया था। जिस क़स्बेनुमा शहर का ज़िक्र इसमें किया गया है उसका नाम है ‘नैनीताल’। वह सड़क सिर्फ़ एक मील लंबी…