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प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते…
प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। स्थाई ख़ुशी को बाहरी संसार में पाया नहीं जा सकता। वो तो हमारे भीतर है। सच्ची ख़ुशी हमें तभी मिलती है जब हम अपने अंतर में समस्त ख़ुशियों के स्रोत अपनी आत्मा और परमात्मा के साथ जुड़ जाते हैं। एक समय की बात…
संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। क्या आपको ऐसा लगता है कि आपके दिन ऐसे गुज़रते हैं मानो आप एक ट्रैडमिल (व्यायाम की मशीन) पर दौड़ रहे हों और कहीं भी न पहुंच रहे हों? क्या आप दिन के अंत में बहुत अधिक थक जाते हैं, और फिर भी ऐसा महसूस…

दिनचर्या : रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगा समस्याओं से समाधान

अध्यात्म ‘जीने के मार्ग’ पर चलने की राह दिखाता है और आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में नहीं होती बल्कि शरीर का जन्म व मृत्यु होती है। सरल शब्दों में कहें तो, आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके बारे में होती है, जो कि न तो जीवन है और न ही…

नवरात्रि : मानवता को जीवंत और ‘आत्मा की अज्ञानता’ को दूर करने का अवसर

देवी मां के रूप में, मां दुर्गा मानवता को शांति और खुशी के एक नए युग में ले जाती हैं। लेकिन वह ऐसा अंधकार यानी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के बाद ही करती हैं, उनसे समझौता करके नहीं, उन्हें सांत्वना देकर या उन्हें खुश करके तो बिलकुल भी नहीं।…

नवरात्रि : भारतीय संस्कृति में, क्या है ‘दुर्गा’ का अर्थ

भारत दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां स्त्री को देवी माना गया है। दुनिया का कोई भी देश स्त्री के संदर्भ में स्थायी श्रद्धा नहीं दिखाता, जितना भारत में है। यहां देवी यानी शक्ति और इस अमिट शक्ति को पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसे हम नवरात्रि…

शाश्वत : ये है, श्री गणेश पूजन का ‘आध्यात्मिक महत्व’

चित्र : भगवान श्री गणेश। बुद्धि के देवता, जिनके दोनों हाथों में रत्नजड़ित आभूषण हैं। वह ईश्वर में सर्वप्रथम पूज्य हैं, जिनका आगमन हम गणेश चतुर्थी के रूप में इस पृथ्वी पर हर साल मनाते हैं। गणपति, आध्यात्मिक शक्ति और सर्वोच्च बुद्धि प्रदान करते हैं। उन्हें रिद्धि और सिद्धि के…

अंश : क्या ‘धर्म में सत्य’ पाया जा सकता है?

प्रतीकात्मक चित्र। जे. कृष्णमूर्ति, आध्यात्मिक गुरु। एक प्रश्न अमूमन लोगों के मन में जरूर आता है और वो यह है कि सभी धर्म, सिद्धांत, विचार और विश्वास में सत्य के अंश मिलते हैं। उन्हें अलग करने का सही तरीका क्या है? दरअसल, असत्य, असत्य है, और आप असत्य को सत्य…

पवित्रता : क्या जीवन में कुछ पवित्र है, यदि ‘हां’ तो वो क्या है?

प्रतीकात्मक चित्र : जीवन में पवित्रतता। जे. कृष्णमूर्ति, आध्यात्मिक गुरु। क्या जीवन में कुछ पवित्र है? यह विचार या कहें प्रश्न आविष्कार द्वारा नहीं बनाया गया है, क्योंकि मनुष्य, अनंत काल से, हमेशा यह प्रश्न पूछता आया है। क्या इस भ्रम, दुख, अंधकार, भ्रम से परे, संस्थानों और सुधारों से…

चिंतन : जब स्वयं को जागृत करेंगे तभी अभूतपूर्व परिणाम मिलेंगे

प्रतीकात्मक चित्र। जे. कृष्णमूर्ति, आध्यात्मिक गुरु। दुनिया भर में मौजूद संकट, बिना किसी मिसाल के असाधारण है। पूरे इतिहास में, सामाजिक, राष्ट्रीय, राजनीतिक, अलग-अलग अवधियों में अलग-अलग प्रकार के संकट आते रहे हैं। संकट आते हैं और चले जाते हैं। आर्थिक मंदी, अवसाद, आते हैं, संशोधित होते हैं, और एक…

श्रीमद्भगवत् गीता : सोच बदलना है तो दृष्टिकोण बदलें

अमोघ लीला दास। निश्चित ही सकारात्मक सोचना बेहतर है लेकिन यह सोच तभी विकसित होगी, जब हम अपने दृष्टिकोण को बदलेंगे। दृष्टिकोण हम बदल सकते हैं। हम कैसे देखते हैं, कहां देखते हैं, यह इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मान लीजिए हम किसी ऊंची इमारत के नीचे खड़े हैं। हम…

त्योहार : दिल से मनाएं हर दिन दिवाली, जिंदगी में रहेगी खुशहाली

प्रतीकात्मक चित्र। दुनिया में जहां भी दिवाली के महत्व को लोग जानते हैं वो अपने पूरे परिवार के साथ इस त्योहार को मनाने के लिए तैयार रहते हैं। यह त्योहार ही कुछ ऐसा है दीपों का त्योहार, खुशियों का त्योहार और धन-वैभव-स्वच्छता का वो त्योहार जो दीपावली के नाम से…

शिक्षा : मन में होते हैं ‘राम’ सीखिए कैसे किया जाता है ‘रावण का अंत’

राम और रावण त्रेतायुग में जन्में दो चरित्र हैं, जिनके बारे में हमें महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण से जानकारी मिलती है। रामायण के बाद कई ओर रामायण अलग-अलग नाम से लिखी गईं, और संभव है भविष्य में भी लोग लिखते रहेंगे। राम को हमने भगवान के रूप में स्थापित…

दर्शन : …तो क्या योग प्रथाओं के खिलाफ है अद्वैत?

प्रतीकात्मक चित्र। अद्वैत वेदांत दर्शन योग प्रथाओं के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह दर्शन यौगिक अभ्यास की बात करता है। यह एक गलत धारणा है कि अद्वैत मंत्र, प्राणायाम, पूजा और भक्ति जैसी अन्य आध्यात्मिक और यौगिक प्रथाओं के खिलाफ है, जो इसके दृष्टिकोण से कम मूल्य के रूप में…

दर्शन : रमण महर्षि क्यों कहे जाते हैं नव-अद्वैत के प्रणेता!

चित्र : रमण ऋषि अपने शिष्यों के साथ। रमण महर्षि की शिक्षाएं अमूमन नव-अद्वैत शिक्षकों के लिए प्रारंभिक बिंदु बनाती हैं, हालाकि, रामायण की शिक्षाओं की पृष्ठभूमि और पूर्ण दायरे को देखने के बजाय, केवल उनकी शिक्षाओं पर ही ध्यान केंद्रित किया जाता है जो सभी के लिए त्वरित प्राप्ति…